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Nawab Malik : महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक को बड़ा झटका, बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की हैबियस कॉर्पस याचिका

Janjwar Desk
15 March 2022 7:26 AM GMT
Nawab Malik : महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक को बड़ा झटका, बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की हैबियस कॉर्पस याचिका
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(महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक को बड़ा झटका, बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज की हैबियस कॉर्पस याचिका)

Nawab Malik : बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक को अंतरिम राहत देने से इनकार किया है...

Nawab Malik : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) की रिहाई की मांग को खारिज कर दिया है। मलिक ने हैबियस कॉर्पस अर्जी (बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका) दायर कर अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया था और अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने कहा कि अर्जी में कई मुद्दे हैं जिनपर चर्चा होनी बाकी है। कोर्ट ने कहा की अर्जी की सुनवाई की तारीख बाद में तय की जायेगी लेकिन अभी को अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती है। नवाब मलिक फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं।

इससे पहले जस्टिस पी.बी. वराले और जस्टिस एस.एम मोदक की बेंच ने दोनों पक्षों की तीन दिनों तक चली लंबी जिरह के बाद तीन मार्च को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि 15 मार्च को आदेश सुनाया जाएगा।

नवाब मलिक महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्य कार्य मंत्री हैं। इसके अलावा वह एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता भी हैं। मलिक को ईडी ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। मंत्री को इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेजा गया और बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

मलिक के वकील अमित देसाई ने पहले हाईकोर्ट को बताया था कि उनकी गिरफ्तारी और उसके बाद की हिरासत अवैध है। उन्होंने अदालत से अपील की थी कि गिरफ्तारी रद्द की जाए और उन्हें तुरंत हिरासत से रिहा कर अंतरिम राहत प्रदान की जाए।

वहीं प्रवर्तन निदेशालय के वकील, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और वकील हितेन वेनेगाओकर ने कोर्ट को सूचित किया था कि मलिक को उचित प्रक्रिया अपनाने के बाद गिरफ्तार किया गया और विशेष पीएमएलए कोर्ट द्वारा जारी रिमांड आदेश ने उन्हें ईडी की हिरासत और फिर न्यायिक हिरासत में भेजन के वैध कारण बताए गए हैं।

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