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Siddique Kappan :पिछले 2 साल से जेल में बंद पत्रकार सिद्दीक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से किन शर्तों पर मिली जमानत, जानिये कोर्ट ने रिहाई के वक्त दिये हैं क्या कठोर निर्देश

Janjwar Desk
9 Sept 2022 3:08 PM IST
सिद्दीक कप्पन की बढ़ी मुश्किलें, जेल से बाहर निकलने के लिए नहीं मिल रहे यूपी के दो जमानतदार
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सिद्दीक कप्पन की बढ़ी मुश्किलें, जेल से बाहर निकलने के लिए नहीं मिल रहे यूपी के दो जमानतदार

Siddique Kappan : पिछले 2 साल से जेल में बंद पत्रकार सिद्दीक कप्पन को आज 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है....

Siddique Kappan : पिछले 2 साल से जेल में बंद पत्रकार सिद्दीक कप्पन को आज 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। सिद्दिक कप्पन को 23 माह पहले पांच अक्तूबर, 2020 को मथुरा से उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह हाथरस के चर्चित रेपकांड की रिपोर्टिंग के लिए निकले थे।

गौरतलब है कि इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने उत्तर प्रदेश के गृह विभाग से कप्पन की याचिका पर 5 सितंबर तक जबाव देने को कहा था। कप्पन मामले में 3 जजों की खंडपीठ बनी थी, जिसका नेत्त्व सीजेआई यूयू ललित कर रहे थे। उनके अलावा इस पीठ में जस्टिस एस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे।

अब सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीक कप्पन की जमानत मंजूर करते हुए कहा है कि वह अगले 6 सप्ताह तक दिल्ली से कहीं भी बाहर नहीं जा सकते। 6 सप्ताह बाद वह अपने राज्य केरल वापस जा सकते हैं, वह भी इस शर्त पर कि वहां हर हफ्ते वे स्थानीय पुलिस स्टेशन में अन्य शर्तों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस केस में जमानत पाने वाले पत्रकार सिद्दीक कप्पन को निर्देश दिया है कि वह अपना पासपोर्ट भी सरेंडर कर दें। सिद्दीक कप्पन को व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से प्रत्येक सुनवाई पर ट्रायल कोर्ट में उपस्थित रहने का भी निर्देश कोर्ट द्वारा दिया गया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि कप्पन किसी भी तरह से अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करेगें और न ही इस विवाद से जुड़े किसी व्यक्ति से संपर्क करेंगे।

गौरतलब है कि 43 वर्षीय कप्पन पत्रकारिता में एक दशक से अधिक समय से बतौर रिपोर्टर मलयालम समाचार प्रकाशनों और वेबसाइटों के लिए दिल्ली में कार्य करते आये हैं। उनकी ओर से 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकार की गई जमानत याचिका में कहा गया था कि उनका मामला अहम न्यायिक प्रश्न को उठाता है और यह स्वतंत्रता के अधिकार के साथ-साथ संविधान के तत्वावधान में स्वतंत्र मीडिया में निहित अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता से संबंधित है। सिद्दीकी कप्पन ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में कहा था कि मुकदमे में अभी तक सुनवाई न होने की वजह से परिवार व दोस्तों के लिए उनकी जेल की जिदंगी अनकही वित्तीय और मानसिक कठिनाई का पर्याय है। उन्हें एक ऐसे अपराध की सजा दी जा रही है, जो उन्होंने कभी किया ही नहीं।

सिद्दीकी कप्पन की गिरफ्तारी उस समय हुई थी जब वो एक कैब चालक और दो मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ हाथरस जा रहे थे। वहां जाने के पीछे कप्पन का मकसद 19 वर्षीय दलित लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले को कवर करना था, जिसके शव का पुलिस ने परिवार की इच्छा के विरुद्ध अंतिम संस्कार कर दिया था। कप्पन की विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि उन्होंने आतंकी साजिश के आरोपों में लगभग दो साल जेल में बिताए हैं, जबकि वह केवल हाथरस बलात्कार व हत्या के कुख्यात मामले पर रिपोर्टिंग के अपने पेशेवर कर्तव्य का निर्वहन करने की कोशिश कर रहे थे। यूपी पुलिस ने आरोप लगाया कि उनकी रिपोर्टिंग मुसलमानों को उकसाने के लिए थी और सबूत के तौर पर उन्होंने अल्पसंख्यक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 36 कहानियां लिखी थीं।

यूपी पुलिस ने आरोप लगाया था कि सिद्दीक कप्पन ने भारत के भीतर और विदेशों से आठ अन्य लोगों के साथ इस्लामवादियों से अवैध तरीके से धन हासिल किया था। पुलिस ने उनके खिलाफ तीन कानूनों से संबंधित सात धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। यूपी पुलिस ने कप्पन पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जान बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य में संलिप्त होने का आरोप भी लगाया था।

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