नेमावर हत्याकांडः प्यार, गुस्सा और बदले की वारदात पर चढ़ रहा सियासी रंग, क्या है 5 आदिवासियों के कत्ल की पूरी कहानी?
नेमावर हत्याकांड में एकलौती बची लड़की निकालेगी न्याय यात्रा
जनज्वार ब्यूरो। प्यार, नफरत, गुस्सा, बदला और साजिश से भरी है नेमावर हत्याकांड की पूरी कहानी। पूरी घटना किसी फिल्म की पटकथा मालूम पड़ती है। मध्य प्रदेश के देवास के नेमावर में आदिवासी परिवार के पांच लोगों की हत्या का मामला फिर चर्चा में है। इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाला और हत्या कर शवों को 10 फीट गहरे गड्ढे में छिपाने का आरोपी भी पुलिस की गिरफ्त में है। लेकिन हत्याकांड के खुलासे के बाद इस पर सियासी रंग चढ़ने लगा है।
इधर इस जघन्य हत्याकांड के बाद नेमावर आदिवासी वोट बैंक का अखाड़ा बनता नजर आ रहा है। हत्याकांड का खुलासा होने के बाद इस पर राजनीति तेज हो गयी है। नेता, पीड़ित परिवार से मिलने पहुंच रहे हैं। मामले की सीबीआई जांच तक की मांग उठने लगी है।
जघन्य हत्याकांड की पूरी कहानी
नेमावर, राज्य के देवास जिले में एक छोटा सा कस्बा है। जहां करीब 1,241 परिवार रहते हैं। इस नेमावर कस्बे में रहनेवाले आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी गयी। इंदौर से करीब 128 किमी दूर इस कस्बे में रहनेवाले मोहन लाल कास्ते की पत्नी ममता बाई कास्ते (45), उसकी बेटी रूपाली (21), दिव्या (14) और रवि ओसवाल की बेटी पूजा (15) एवं बेटा पवन (14) की निर्मम हत्या की गयी। इस जघन्य अपराध की कहानी 11 मई को लिखी गयी। दरअसल, रूपाली (मृतक) और आरोपी सुरेंद्र सिंह चौहान के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था। लेकिन दोनों में काफी दिनों से संबंधों को लेकर झगड़ा चल रहा था।
सुरेंद्र का किसी अन्य लड़की के साथ रिश्ता तय हो गया था, और वो शादी करने जा रहा था। इस बात से उसकी प्रेमिका रूपाली खफा थी और दोनों के बीच झगड़ा चल रहा था। 11 मई को सुरेंद्र का जन्मदिन था। और शादी की बात को लेकर इसी रात रूपाली-सुरेंद्र का झगड़ा हो गया। जिसके बाद गुस्से में रूपाली ने इंस्टाग्राम पर फर्जी अकाउंट बनाकर सुरेंद्र की मंगेतर की फोटो और फोन नबंर अपलोड कर दी। जिसके बाद उसे तरह-तरह के कॉल आने लगे।
इस बात से नाराज सुरेंद्र ने बदला लेने की ठानी और 13 मई की रात को उसने रूपाली को फोन कर मिलने के लिए अपने खेत पर बुलाया। जहां रूपाली की सुरेंद्र ने हत्या कर दी। इसके बाद सुरेंद्र ने रूपाली की मां, बहन और चचेरे भाई-बहन को भी खेत पर बुलाया और सभी की निर्मम हत्या कर दी। पूरे हत्याकांड की तैयारी पहले से थी। सुरेंद्र ने सभी के शव को खेत में 10 फीट गहरा गड्ढे में दफन कर दिया। सुरेंद्र ने इसके लिए पहले ही तैयारी कर रखी थी और अपने साथ में खाद और नमक भी लाया था। ताकि शवों को जल्दी गलाया जा सके।
डेढ़ महीने बाद मिला था पांचों आदिवासी सदस्यों का कंकाल
हत्याकांड के बाद जब रुपाली के भाई संतोष और बहन भारती, जो बाहर रहकर नौकरी करते हैं, उनका संपर्क घरवालों से नहीं हो पाया तो वो घर पहुंचे। जिसके बाद पूरे परिवार के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इस बीच रुपाली के फोन से भारती के पास मैसेज आया कि वह उसकी और अन्य परिजनों की तलाश ना करे। मैसेज में लिखा गया था कि रुपाली ने शादी कर ली है और वह बहुत खुश है।
भारती ने इस मैसेज की जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस ने रुपाली के फोन को ट्रेस करना शुरू किया। इस दौरान रुपाली के फोन की लोकेशन लगातार बदलती रही। पुलिस को पहले ये मानव तस्करी का मामला लगा। लेकिन एक दिन फोन की लोकेशन इंदौर के पास चोरल डैम के पास की मिली। इस पर पुलिस को शक हुआ। क्योंकि चोरल डैम एक पिकनिक स्पॉट है। और अगर चाहती है कि कोई उसे ना ढूंढे तो वह ऐसे सार्वजनिक स्थान पर क्यों जाएगी?
इसके बाद पुलिस को यकीन हो गया कि कोई रुपाली के फोन का इस्तेमाल कर पूरे जांच को भटकाने का प्रयास कर रहा है। बाद में दूसरे एंगल से जांच करने पर पुलिस को रुपाली और सुरेंद्र के अफेयर की बात पता चली, जिसके बाद पुलिस ने सुरेंद्र के साथी को शक के आधार पर हिरासत में लिया और उसने सारी सच्चाई उगल दी। इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी सुरेंद्र, उसके भाई वीरेंद्र, विवेक तिवारी, मनोज, करण, राजकुमार, राकेश को गिरफ्तार कर लिया।
इन आरोपियों की निशानदेही पर घटना के 48 दिनों बाद 29 जून को सुरेंद्र के खेत से करीब 10 फीट गहरे गड्ढे से सभी की लाश को पुलिस ने जेसीबी से खुदाई करवा कर निकलवाया। पांच सदस्यों के कंकाल मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई थी।
मामले का खुलासा होने पर नेमावर हत्याकांड में पुलिस ने 7 लोगों को आरोपी बनाया है जिनकी ज्यूडिशल रिमांड और पुलिस रिमांड जारी है। हत्याकांड के आरोपियों के अवैध निर्माण पर जेसीबी चलवाकर ढहा दिया गया। वही रूपाली के उस फोन की तलाश अभी भी जारी है, जिससे इस पूरे कांड का खुलासा हो पाया।
नेमावर बना राजनीति का केंद्र
राज्य के छोटे से कस्बे नेमावर में इस हत्याकांड के बाद समय मानो ठहर गया है। लोग इस पर बात करने से कतरा रहे हैं। वहीं सूबे की राजनीति इन दिनों नेमावर में शिफ्ट हो गयी है।आदिवासी दलित परिवार के पांच लोगों की हत्या ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। दो दिन पहले 5 जुलाई को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने नेमावर पहुंचकर पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की थी। इस दौरान उनके साथ उनके साथ पार्टी नेता कांतिलाल भूरिया,जीतू पटवारी विक्रांत भूरिया, सज्जन सिंह वर्मा, अरुण यादव और सांसद नकुलनाथ भी थे।
कमलनाथ ने इस जघन्य हत्याकांड की सीबीआई (CBI) जांच की मांग की। साथ ही पीड़ित परिवार के लिए 5-5 लाख रुपए की मदद की घोषणा की। मृतक परिवार गोंड जनजाति से ताल्लुक रखता है। ऐसे में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के मुखिया बलबीर सिंह तोमर की तरफ से भी पुलिस पर मामले की जांच का दबाव बनाया जा रहा था। एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की बात कही है। इधर आदिवासी संगठन सीबीआई जांच, मृतक के परिजन को एक करोड़ रुपए, सरकारी नौकरी देने और घटना स्थल पर स्मारक बनाने की मांग की कर रहा है।
आदिवासी वोट बैंक का अखाड़ा
2023 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है, लेकिन लगता है नेमावर फिलहाल राजनीति की प्रयोगशाला बन गया है। दरअसल, खंडवा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव होना तय है। ज्ञात हो कि खंडवा लोकसभा सीट पर आदिवासी, ब्राह्मण, गुर्जर और राजपूत की पकड़ है। यही जीत-हार का फैसला करते हैं। ऐसे में नेमावर में हुई आदिवासी दलित लोगों की हत्याओं का सीधा असर लोकसभा उपचुनाव पर पड़ेगा। साथ ही 2023 के विधानसभा चुनाव में भी इसे भुनाने की भरसक कोशिश होगी।
नेमावर कस्बे के पास खंडवा, खालवा, खरगोन, हरदा, बागली, आष्टा ऐसे इलाके हैं जहां आदिवासी वोट बैंक मजबूत माने जाते हैं। इसके अलावा राज्य में करीब 23 फीसदी आदिवासी हैं, जो 48 विधानसभा सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ रखते है। यानी नेमावर से आदिवासी हितों का मुद्दा उठता है तो आवाज दूर तक जायेगी।