सिक्योरिटी

नई प्राइवेसी पॉलिसी : दिल्ली हाईकोर्ट ने Whatsapp और Facebook की याचिका खारिज की

Janjwar Desk
22 April 2021 8:30 AM GMT
नई प्राइवेसी पॉलिसी : दिल्ली हाईकोर्ट ने Whatsapp और Facebook की याचिका खारिज की
x

नये आईटी नियम बढ़ायेंग सोशल मीडिया की मुश्किलें 

व्हाट्सएप के लिए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, फेसबुक के लिए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और सीसीआई के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी पेश हुए....

जनज्वार डेस्क। दिल्ली हाईकोर्ट ने कम्पीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के आदेश के खिलाफ फेसबुक और व्हाट्सएप की चुनौती खारिज की। सीसीआई ने व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को कथित रूप से प्रतिस्पर्धी विरोधी करार देते हुए जांच के आदेश दिए थे। इसपर कोर्ट ने याचिका में कोई भी मैरिट नहीं पाया गया और कोर्ट ने सीसीआई के जांच के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया।

जस्टिस नवीन चावला की एकल बेंच ने सीसीआई द्वारा व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को कथित रूप से प्रतिस्पर्धी विरोधी करार देते हुए जांच के आदेश को चुनौती देने वाली फेसबुक और व्हाट्सएप की याचिका पर 13 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस मामले में 3 संबंधित पक्षकारों द्वारा तर्क दिया गया। इसमें व्हाट्सएप के लिए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, फेसबुक के लिए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और सीसीआई के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी पेश हुए।

कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक साल्वे ने तर्क दिया कि सीसीआई के आदेश में कहा गया है कि नई प्राइवेसी पॉलिसी द्वारा कथित रूप से अत्यधिक डेटा संग्रह करके प्रभावित किया जा रहा है और यह जांचने की जरूरत है कि क्या अत्यधिक डेटा संग्रह से प्रतिस्पर्धा-विरोधी निहितार्थ किसी सीमा के बाहर किसी मुद्दे पर उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यह उस सरकार को प्रभावित करते है जिसे इस मुद्दे पर कानून बनाना है।

साल्वे ने कहा, '2021 पॉलिसी का प्राथमिक उद्देश्य यूजर्स को अधिक पारदर्शिता प्रदान करना है और यूजर्स को यह सूचित करना है कि व्यावसायिक सेवाएं इष्टतम लाभ प्रदान करने के लिए कैसे काम करती हैं। व्हाट्सएप की एक अलग व्यावसायिक सेवा है और इसे फेसबुक के साथ जोड़ने का प्रावधान है।'

साल्वे ने प्राइवेसी के उल्लंघन की चिंताओं को दूर करते हुए कहा कि 'व्हाट्सएप यूजर्स के अपने दोस्तों और परिवार के साथ व्यक्तिगत रूप से की गई बातचीत को नहीं देख सकता क्योंकि वे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित हैं और 2021 के अपडेट इसे बदलता नहीं है।'

उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप की पिछली 2016 की पॉलिसी पहले से ही इस तरह के शेयरिंग की सुविधा प्रदान करती है। साल्वे ने आगे कहा कि 2016 के पॉलिसी पर भी आरोप लगाए गए थे। जब आप डेटा की बात करते हैं, तो कृपया सराहना करें, मैं अपने दोस्तों, परिवार, सहकर्मियों से क्या बात करता हूं उसे व्हाट्सएप देख नहीं सकता है। लेकिन यह कि मैं उपयोगकर्ता हूं और यह मेरा नंबर है और मैं दिन में 10 वकीलों से कॉन्टेक्ट करता हूं, ऐसा डेटा शेयर किया किया जाएगा। मेरे प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए उसको मुझे अपना नंबर देना होगा। मेरे सिस्टम द्वारा बनाए गए डेटा का व्यावसायिक उपयोग करना होगा। मैं उपयोगकर्ता से उसके डेटा के लिए नहीं पूछ रहा हूं।

साल्वे ने आगे कहा कि पुरानी पॉलिसी में कोई नई चीज जोड़ी नहीं गई है और नई पॉलिसी को विशुद्ध रूप से व्यापार और वाणिज्यिक उपयोगकर्ताओं के लिए बनाया गया है ताकि उन्हें एक विशेष तरीके से व्हाट्सएप का उपयोग करने के लिए सक्षम बनाया जा सके। कोई यह स्पष्ट करे कि व्हाट्सएप कैसे एकत्रित किए गए डेटा का उपयोग करने जा रहा है।

एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने फेसबुक की ओर से दलील देते हुए कहा कि यह किसी का मामला नहीं है कि यह एक जॉइंट पॉलिसी है और इसलिए सीसीआई द्वारा फेसबुक के खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता।

रोहतगी ने न्यायालयों के सौहार्द सिद्धांत के आधार पर अधिकार क्षेत्र का मुद्दा उठाया। इसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष पॉलिसी के खिलाफ कई चुनौतियां लंबित हैं और सीसीआई एक निम्न निकाय है। इसलिए अभी भी संवैधानिक प्राधिकारियों के समक्ष कई चुनौतियां लंबित होने के कारण सीसीआई इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई विवाद चल रहा है तो क्या सीसीआई कह यह सकता है कि मैं कानून के तहत काम कर रहा हूं और इस मामले कूद पड़े जब यह संवैधानिक प्राधिकारियों के पास पहले से लंबित हो? मैं ऐसा करने के लिए सीसीआई के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दे रहा हूं।

रोहतगी ने फेसबुक ने विभिन्न आधारों पर व्हाट्सएप और खुद के खिलाफ सीसीआई की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि अन्य अदालतों में पहले से ही मामले लंबित हैं और अगर सीसीआई की कार्यवाही को रोक दिया जाता है तो कोई नुकसान नहीं होगा।

सीसीआई के लिए एएसजी अमन लेखी ने तर्क दिया कि यह मामला प्राइवेसी का नहीं बल्कि डेटा तक पहुंच का है और इसलिए सीसीआई अपने दायरे में रहकर अपना काम सही से कर रहा है। लेखी ने आगे कहा कि सीसीआई के आदेश पर तभी सवाल उठाया जा सकता है जब जांच रिपोर्ट कहेगी कि प्रभावी स्थिति का दुरुपयोग है। सकारात्मक रिपोर्ट दर्ज की जाएगी या नहीं यह एक बड़ा मुद्दा है।

लेखी ने आगे कहा कि इसका नाम ही प्राइवेसी पॉलिसी है, लेकिन सीसीआई द्वारा जिस पहलू को सही रूप में देखा गया है वह उक्त नीति के माध्यम से बाजार की स्थिति का दुरुपयोग है, जिसमें कथित रूप से अत्यधिक डेटा संग्रह और डेटा शेयरिंग किया जाएगा। एएसजी अमन लेखी ने कहा कि क्षेत्रीय नियामक के रूप में सीसीआई ने जांच के आदेश को सही ढंग से पारित किया था।

आगे उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि क्या अत्यधिक डेटा को इकट्ठा करना या शेयर करना या उपयोग करना प्रतिस्पर्धा-विरोधी परिणाम होगा। व्हाट्सएप द्वारा एकत्र किए गए डेटा का विश्लेषण वास्तविक फिजिकल जानकारी की तुलना में किसी व्यक्ति के बारे में और भी अधिक जानकारी देगा।

विश्वास विरोधी परिणामों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस डेटा का उपयोग करके वे अंततः प्रतियोगिता को खरीद लेंगे या इसे अप्रासंगिक बना देंगे। निजता नीति के कारण फेसबुक पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि इस माध्यम से भी डेटा संग्रह किया जा रहा है।

Next Story

विविध