Niti Aayog Report on Poverty: गरीबी के लिस्ट में बीजेपी शासित 4 राज्य सबसे आगे, योगी की यूपी है नंबर 1
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Niti Aayog Report on Poverty: नीति आयोग (Niti Aayog) ने देश का पहला बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index-MPI) रिपोर्ट जारी किया है, जिसके बाद देश में सियासत एक बार फिर तेज हो गई। आयोग (Niti Aayog) द्वारा जारी आंकड़े में गरीबी के मामले में जो पांच राज्य टॉप पर हैं, उनमें से चार राज्य बीजेपी शासित हैं। इन राज्यों में कहीं बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार है तो कहीं पर NDA की गठबंधन की सरकार है। आबादी के हिसाब से गरीबों के मामले में योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश (Poverty in UP) सबसे टॉप पर है।
भाजपा शासित 5 राज्य सबसे गरीब
नीति आयोग (Niti Aayog Poverty List) द्वारा जारी सूचकांक के अनुसार, बिहार, झारखंड और यूपी देश के सबसे गरीब राज्य हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में पुडुचेरी में सबसे कम गरीबी है। वहीं केरल इस रिपोर्ट में सबसे ऊपर है। बीजेपी और जेडीयू की डबल इंजन सरकार वाली बिहार राज्य की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है। राज्य में नीतीश कुमार की अगुवाई में भाजपा और जेडीयू गठबंधन की डेढ़ दशक पुरानी सरकार है। वहीं, दिसंबर 2019 से पहले रघुवर दास के नेतृत्व वाली बीजेपी शासित झारखंड की 42.16 प्रतिशत आबादी गरीब है। नीति आयोग के ताजा रिपोर्ट की मानें तो देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 37.79 प्रतिशत आबादी गरीब है।
सूचकांक में मध्य प्रदेश 36.65 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर है, जबकि मेघालय में 32.67 प्रतिशत आबादी गरीब है। मध्य प्रदेश में भी लंबे अर्से से बीजेपी की सरकार है और शिवराज सिंह चौहान 2005 से मुख्यमंत्री हैं। वहीं मेघालय में बीजेपी की गठबंधन सरकार है। दोनों राज्य गरीबी के मामले में चौथे और पांचवे स्थान पर हैं।
इन राज्यों में सबसे कम गरीबी
नीति आयोग की इस रिपोर्ट (Niti Aayog Reprt) में केरल, गोवा, सिक्किम, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्य देश के सबसे अमीर राज्यों की सूची में शामिल है। इन राज्यों में गरीब लोगों की कम आबादी के हिसाब से यह इंडेक्स में सबसे नीचे हैं। केरल में कुल आबादी का करीब 0.71 फीसदी ही गरीब है, जबकि गोवा में 3.76 फीसदी, सिक्किम में 3.82 फीसदी, तमिलनाडु में 4.89 फीसदी और पंजाब में 5.59 फीसदी लोग गरीब हैं। ये सभी राज्य पूरे देश में सबसे कम गरीब जनता वाले राज्यों में शामिल हैं और सूचकांक में सबसे नीचे हैं।
जानकारी के अनुसार, भारत के बहुआयामी गरीबी सूचकांक में तीन चीजों पर समान रूप से ध्यान दिया गया है। जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर शामिल हैं। ये पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार भारत का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक का माप, ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत और मजबूत कार्यप्रणाली के आधार पर बनाया गया है। इसमें गरीबी मापने के लिए कई चीजों को ध्यान में रखा गया है