#Olympic : मेडल जीत सकने से बस चंद कदम दूर हैं कमलप्रीत कौर, बेहद गरीब परिवार से रखती हैं ताल्लुक
कमलप्रीत आज रच सकती हैं इतिहास. (image - twitter)
जनज्वार ब्यूरो। देश की बेटी, भारतीय महिला डिस्कस थ्रो एथलीट कमलप्रीत कौर आज Tokyo Olympics 2020 में इतिहास रच सकने से बस थोड़ी ही दूर हैं। मेडल के लिए मुकाबला शुरू हो चुका है। कमलप्रीत कौर मैदान पर पहुँच चुकी हैं। चीन की खिलाड़ी को सबसे पहले थ्रो का मौका मिला।
कमलप्रीत ने क्वालीफिकेशन में 64 मीटर दूर चक्का फेंक फाइनल के लिए क्वालीफाई किया है। यदि कमलप्रीत पदक जीतने में सफल रहती हैं तो यह ओलिंपिक में ट्रैक एंड फील्ड में इंडिया का पहला मेडल होगा। और इसे जीतने वाली कमलप्रीत पहली एथलीट होंगी।
#Tokyo2020 I #Athletics
— Dept of Sports MYAS (@IndiaSports) August 2, 2021
Lets cheer for #KamalpreetKaur representing India in Discus Throw FINALS at #TokyoOlympics #go4gold Champion !#Cheer4India 🇮🇳👏👏 pic.twitter.com/MNHTBvPeYZ
इससे पहले, कमलप्रीत ने क्वालीफिकेशन राउंड में ग्रुप बी में तीसरे प्रयास में 64 मीटर दूर डिस्कस फेंका और दूसरे स्थान पर रहीं। क्वालीफिकेशन में शीर्ष पर रहने वाली अमेरिका की वालारी आलमैन के अलावा वह 64 मीटर या अधिक का थ्रो लगाने वाली अकेली खिलाड़ी रहीं। कमलप्रीत ने फाइनल में पहुंचकर पदक की उम्मीदें जगा दी है।
शानदार फार्म में हैं कमलप्रीत
Kalampreet we are proud of you. #KamalpreetKaur pic.twitter.com/mbVjstuXJT
— PROFESSOR (Parody) (@heistprofessor_) August 2, 2021
इस साल शानदार फॉर्म में चल रही कमलप्रीत कौर ने दो बार 65 मीटर का आंकड़ा पार किया है। उन्होंने मार्च में फेडरेशन कप में 65 . 06 मीटर का थ्रो फेंककर राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा था। वह 65 मीटर पार करने वाली पहली भारतीय हैं। इसके बाद जून में इंडियन ग्रां प्री 4 में अपना ही राष्ट्रीय रेकॉर्ड बेहतर करते हुए उन्होंने 66 . 59 मीटर का थ्रो फेंका।
गरीब परिवार से रखती हैं ताल्लुक
कमलप्रीत कौर का जन्म 4 मार्च 1996 को मुक्तसर जिले के गांव कबरवाला में मध्यमवर्गीय किसान कुलदीप सिंह के घर हुआ था। पिता के पास ज्यादा जमीन नहीं है और पहली बेटी होने पर परिवार ने खुशी भी नहीं मनाई थी। उसके बाद उन्हें एक बेटा भी हुआ। कमलप्रीत ने 10वीं तक की पढ़ाई पास के गांव कटानी कलां के प्राइवेट स्कूल से की है। कद की बड़ी और भारी शरीर की होने के कारण स्कूल में उसे एथलेटिक्स में शामिल किया गया।
कमलप्रीत के पिता बताते हैं, 'हमारे पास इतनी पूंजी नहीं थी कि वह बेटी को ज्यादा खर्च दे सकें। किसान परिवार में होने के कारण जितना हो पाता, वह उसे दूध-घी आदि देते रहे हैं, मगर प्रैक्टिस के लिए वह कई बार 100-100 किलोमीटर का सफर खुद तय करके जाती रही है। आज उसे अपनी मेहनत का परिणाम मिल रहा है। पूरी उम्मीद है बेटी देश के लिए मेडल जरूर लाएगी।'