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Pegasus Row : पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमिटी गठित करेगा सुप्रीम कोर्ट, अगले सप्ताह आ सकता है आदेश

Janjwar Desk
23 Sep 2021 9:29 AM GMT
Pegasus Row : पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमिटी गठित करेगा सुप्रीम कोर्ट, अगले सप्ताह आ सकता है आदेश
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वरिष्ठ अधिवक्ता एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक और पूरक अर्जी दायर कर पेगासस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच की मांग की। 

Pegasus Row : सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 13 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था। इसमें 12 याचिकाओं पर फैसला आएगा....

Pegasus Row जनज्वार। पेगासस जासूसी (Pegasus Spyware) मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि वो मामले की जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी (Expert Committie) का गठन करेगा। अगले हफ्ते आदेश जारी होगा। सीजेआई जस्टिस एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम इसी हफ्ते आदेश जारी करना चाहते थे। वो एक्सपर्ट कमिटी बना रहे हैं लेकिन कुछ सदस्यों ने निजी कारणों से शामिल होने से इनकार कर दिया है, इसलिए मामले में देरी हो रही है। सीजेआई ने ये बात याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ वकील सीयू सिंह से कही।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 13 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था। इसमें 12 याचिकाओं पर फैसला आएगा। केंद्र सरकार ने जनहित और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया था। जिन लोगों ने ये याचिकाएं दाखिल हैं उनमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild Of India), वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, माकपा के सांसद जॉन ब्रिटास, वकील एमएल शर्मा, आईआईएम के पूर्व प्रोफेसर जगदीप चोककर, वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, नरेंद्र मिश्रा, रूपेश कुमार सिंह, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के नाम शामिल हैं।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने का जोखिम नहीं उठा सकती। नागरिकों की निजता (Right To Privacy) की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है लेकिन साथ ही सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) को बाधित नहीं कर सकती। ऐसी सब तकनीक खतरनाक होती हैं। इंटरसेप्शन किसी तरह गैर कानूनी नहीं है। इन सबकी जांच एक विशेषण समिति से कराने दें। इन डोमेन विशेषज्ञों का सरकार से कोई संबंध नहीं होगा। उनकी रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट के पास आएगी। केंद्र ने कहा कि हम हलफनामे के जरिए ये जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते। अगर मैं कहूं कि मैं किसी विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा हूं या नहीं कर रहा हूं तो यह आतंकवादी तत्वों को तकनीक की काट लाने का मौका देगा।

सीजेआई रमना (CJI NV Ramana) ने कहा कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या कर रही है। हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों में नहीं जा रहे हैं। हमारी सीमित चिंता लोगों के बारे में है। समिति की नियुक्ति कोई मुद्दा नहीं है। हलफनामे का उद्देश्य यह होना चाहिए ताकि पता चले कि आप कहां खड़े हैं। संसद में आपके अपने आईटी मंत्री के बयान के अनुसार फोन का तकनीकी विश्लेषण किए बिना आंकलन करना मुश्किल है।

सीजेआई ने 2019 में तब के आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravishankar Prasad) के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने भारत के कुछ नागरिकों की जासूसी का अंदेशा जताया था। सीजेआई ने 2019 में तब के आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने भारत के कुछ नागरिकों की जासूसी का अंदेशा जताया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने वर्तमान आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaisha) के संसद में दिए बयान का हवाला दिया। सरकार ने किसी भी तरह की जासूसी का खंडन किया है। सीजेआई ने आगे कहा कि हमने केंद्र को हलफनामे के लिए बार-बार मौका दिया। अब हमारे पास आदेश जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। समिति नियुक्त करना या जांच करना यहां सवाल नहीं है। अगर आप हलफनामा दाखिल नहीं करते हैं तो हमें पता कैसे चलेगा कि आपका स्टैंड क्या है।

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