जासूसी मामला: राज्यसभा सांसद ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, कहा प्राइवेसी के मुंह पर तमाचा है पेगासस
(सांसद ब्रिटास की वकील रेश्मिता आर. चंद्रन ने अदालत से कहा कि आरोपों की प्रकृति गंभीर होने के बावजूद सरकार ने इस मुद्दे में शामिल आरोपों की जांच करने की परवाह नहीं की है)
जनज्वार डेस्क। राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने इजरायली स्पाइवेयर पेगासस द्वारा कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक पदाधिकारियों की जासूसी के आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
ब्रिटास का कहना है कि सरकार संसद में आरोपों का 'गोलमोल' जवाब दे रही है। भाकपा (मार्क्सवादी) सांसद ने कहा कि आरोप प्राइवेसी पर हमले की ओर इशारा करते हैं। यह वास्तव में नागरिकों पर साइबर हमला था। उन्होंने पेगासस को एक हथियार करार दिया है जिसका इस्तेमाल निजी स्मार्टफोन को हैक करने के लिए किया जाता था, जिससे विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती थी।
सांसद ने कहा कि सरकार की ओर से इलैक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बयान दिया है कि हमारे देश में टाइम टेस्टेड प्रोसेस यह सुनिश्चित करने के लिए अच्छी तरह से स्थापित है कि अवैध निगरानी नहीं होती है।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटास ने अदालत से पूछा कि क्या बयान का मतलब यह है कि निगरानी सरकार द्वारा अधिकृत थी। यदि ऐसा है, तो क्या सरकार द्वारा भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 92 और भारतीय टेलीग्राफ नियमों के तहत "वैध अवरोधन" के लिए प्रक्रियाओं का पालन किया गया था।
उन्होंने आगे कहा कि इसीलिए सरकार को चुनाव आयुक्तों और न्यायाधीशों, सीबीआई अधिकारियों, सुप्रीम कोर्ट के एक कर्मचारी, कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों और पत्रकारों सहित अपने स्वयं के मंत्रियों, संवैधानिक प्राधिकरणों के कर्मचारियों के उपकरणों की जासूसी के कारणों का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
सांसद ने कहा कि दूसरी ओर, अगर विदेशी शक्ति के द्वारा पेगासस से जासूसी की एक्सरसाइज की गई है तो यह बाहरी एक आक्रमण का कृत्य होगा। उन्होंने कहा कि सबसे हैरान करने वाला फैक्टर सरकार की ओर से अस्पष्ट जवाब का अभाव है।
सांसद ब्रिटास की वकील रेश्मिता आर. चंद्रन ने अदालत से कहा कि आरोपों की प्रकृति गंभीर होने के बावजूद सरकार ने इस मुद्दे में शामिल आरोपों की जांच करने की परवाह नहीं की है बल्कि केवल एक उम्मीद जगाई कि जांच के लिए हमारे देश में टाइम टेस्टेड प्रोसेस यह सुनिश्चित करने के लिए अच्छी तरह से स्थापित है कि किसी की निगरानी न हो।
सांसद ने सर्वोच्च अदालत से कहा कि पेगासस 'प्राइवेसी के मुंह पर एक तमाचा' था जिसे अदालत ने मौलिक अधिकार के रूप में घोषित किया था जो जीवन और सम्मान के अधिकार से जुड़ा हुआ है।
सांसद ने कहा भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़ने के आरोप लगाने वाली न्यायपालिका की एक कर्मचारी के फोन को कथित तौर पर हैक करना 'न्यायिक प्रशासन में एक टोस हस्तक्षेप' को दर्शाता है। यह अभूतपूर्व व चौंकाने वाला है।