पीएम मोदी 16 करोड़ नौकरी की जगह सिर्फ 71 हजार को जॉब लेटर दे बीच चुनाव में वोटरों को कर रहे भ्रमित
Gujrat में विधानसभा चुनाव- 2022 होने वाले हैं। इसके अलावा दिल्ली में MCD इलेक्शन हैं। हालांकि गुजरात का चुनाव पीएम मोदी की नाक का सवाल है। वे या उनकी पार्टी BJP यह चुनाव हार जाती है तो बेतरह किरकिरी होगी। लोग कहेंगे मोदी और शाह अपने ही घर में मात खा गये। गुजरात चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए प्रयासरत प्रधानमंत्री ने कई योजनाओं का शिलान्यास किया। इसी कड़ी में कल 71 हजार रोजगार के लिए नियुक्ति पत्र भी उन्होंने Video कांफ्रेंसिंग के जरिए बांटेे। हालांकि विपक्ष इसे लेकर पीएम मोदी पर हमलावर है।
विपक्ष का कहना है कि पीएम ने हर साल जितनी नौकरियां देने का वादा किया था वो तो लोगों को मिल नहीं रहीं, अब जब चुनाव का समय है तो वे 71 हजार नौकरी का लॉलीपाप दे रहे हैं। राहुल गांधी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, मल्लिकार्जुन खरगे से लगाकर अरविंद केजरीवाल तक प्रधानमंत्री पर हावी हैं। यहां तक की उन्हें चुनावजीवी और जुमलाजीवी तक कहा जा रहा है।
दरअसल, 8 साल पहले केंद्र की सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार हर वर्ष दो करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन बुधवार 27 जुलाई 2022 को सरकार ने संसद में जो आंकड़े पेश किये वे वादों के मुताबिक हकीकत से मीलों दूर हैं। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मोदी सरकार इन आठ सालों में औसतन हर साल एक लाख युवाओं को भी सरकारी नौकरी नहीं दे सकी है।
लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किये गये आंकड़ों के मुताबिक मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने से लेकर अब तक अलग-अलग सरकारी सरकारी विभागों में कुल 7 लाख 22 हजार 311 आवेदकों को सरकारी नौकरी दी गई है। इनमें कल वाले 71 हजार को भी जोड़ लिया जाए तो भी हर साल के दो करोड़ का आंकड़ा कही से भी नहीं पाया जा सकता है।
2018-19 में महज 38 हजार 100 लोगों को ही नौकरी मिली, इसमें हैरान करने वाली बात ये है कि इसी साल सबसे अधिक यानी 5 करोड़, 9 लाख, 36 हजार 479 लोगों ने नौकरी पाने के लिए आवेदन किया था। इसके बाद 2019-20 में सबसे अधिक यानी 1 लाख 47 हजार 096 युवक सरकारी नौकरी हासिल करने में कामयाब हुये थे। सालाना दो करोड़ के दावों के विपरीत ये आंकड़े जाहिर करते हैं कि सरकार अपने दावे का महज एक फीसदी यानी यानी हर साल दो लाख नौकरियां भी देने में नाकामयाब साबित हुई।
वहीं, इन आठ सालों में सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने वालों की संख्या बताती है कि देश में किस कदर बेरोजगारी है। इस दौरान कुल 22 करोड़ 6 लाख लोगों ने आवेदन किया था। सरकार ने इसका ब्यौरा भी दिया है कि हर वर्ष कितने लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया है। नौकरी मांगने वालों और पाने वालों में जो इतना बड़ा फासला है, उसे किस तरह पाटा जायेगा, इसे लेकर भी सरकार भ्रम की स्थिति में बनी है।
इधर विपक्ष का दावा है कि तमाम राज्यों की सरकारों को अगर छोड़ भी दें तो अकेले केंद्र सरकार में ही करीब 30 लाख पद खाली पड़े हैं। लेकिन सरकार उन्हें इसलिए नहीं भरना चाहती, क्योंकि वे एक-एक करके तमाम महत्वपूर्ण संस्थानों का निजीकरण करना चाहती है। इसके अलावा एक सच ये भी है कि पेंशन जैसी सुविधा न होने के बावजूद युवा आज भी प्राइवेट सेक्टर की बजाय सरकारी नौकरी को ही अपने भविष्य के लिए सुरक्षित मानता है।
देश में बेरोजगारी का जो आलम है उसे देखते हुए अगर सरकार हर साल 10 लाख नौकरियां भी देने लगे तब भी इस खाई को पाटने में कई दशक लग जाएंगे। बीती 16 जून 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरियां देने का एलान किया है। पीएम ने सभी मंत्रालयों और विभागों में अगले डेढ़ साल में 10 लाख लोगों की भर्ती करने का निर्देश दिया था। हालांकि PM Modi की इस घोषणा पर भी कांग्रेस ने सरकार पर तंज कसने कसर बाकी नहीं रखी थी।
कांग्रेस के मुताबिक हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा करने के बाद अब सरकार ने वर्ष 2024 तक सिर्फ 10 लाख नौकरी देने की बात कही है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट के हवाले से कहा कि, वादा था दो करोड़ नौकरी हर साल देने का, आठ साल में देनी थीं 16 करोड़ नौकरियां। अब कह रहे हैं साल 2024 तक केवल 10 लाख नौकरी देंगे। 60 लाख पद तो केवल सरकारों में खाली पड़े हैं, 30 लाख पद केंद्र सरकार में खाली पड़े हैं। जुमलेबाजी कब तक?
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के डेटाबेस पर आधारित सेंटर फॉर इकनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.11 प्रतिशत हो गई थी। मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक तब से देश में बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत से ऊपर ही बनी हुई है।
खुद भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2020 में कोरोना (Covid) महामारी की पहली लहर में 1.45 करोड़ लोगों की नौकरी गई। दूसरी लहर में 52 लाख की और तीसरी लहर में 18 लाख लोग नौकरी से वंचित हुए। ऐसे में जाहिर है कि पिछले आठ साल के आंकड़े सामने आने के बाद विपक्ष को सरकार पर और अधिक हमलावर होने का हथियार मिल गया, जिसकी गूंज संसद तक में समय दर समय सुनाई देती है। बहरहाल, इस बात से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता है कि, पीएम मोदी 16 करोड़ नौकरी की जगह सिर्फ 71 हजार को जॉब लेटर दे बीच चुनाव में वोटरों को भ्रमित जरूर कर रहे हैं।