Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

Press Freedom in India : साल 2015 से विदेश दौरों पर पीएम मोदी नहीं लेते "पत्रकारों के सवाल", यूरोपियन मीडिया ने ऐसे की आलोचना!

Janjwar Desk
5 May 2022 1:07 PM IST
Press Freedom in India : साल 2015 से विदेश दौरों पर पीएम मोदी नहीं लेते पत्रकारों के सवाल, यूरोपियन मीडिया में शुरू हुई आलोचना
x

Press Freedom in India : साल 2015 से विदेश दौरों पर पीएम मोदी नहीं लेते पत्रकारों के सवाल, यूरोपियन मीडिया में शुरू हुई आलोचना

Press Freedom in India : वॉकर ने अपने सोशल ​मीडिया अकाउंट पर लिखा था, "मोदी और शॉल्त्स बर्लिन में प्रेस को संबोधित करने वाले हैं. वे दोनों सरकारों के बीच 14 समझौतों का एलान करेंगे। पर वे भारतीय पक्ष के आग्रह पर एक भी सवाल नहीं लेंगे...

Press Freedom in India : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पत्रकारों (PM Modi And Journalists) के बीच रिश्ता कुछ खास कहीं है। भारत में मीडिया की स्वतंत्रता (Press Freedom In India) पर बड़े लंबे समय से बहस चल रही है। यूरोप दौरे पर मीडिया (Media) को सवाल नहीं पूछने देने और भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड (Human Rights Records) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की आलोचना शुरू हो गई है। इस बारे में द टेलिग्राफ (The) ने प्रमुखता से छापा है। द टेलिग्राफ (The Telegraph) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 के आख़िर से ही ये चलता आ रहा है कि प्रधानमंत्री पत्रकारों के सवाल लिए बिना सिर्फ़ अपने समकक्षों के साथ संयुक्त बयान जारी कर देते हैं। हालांकि, इस बार जर्मन ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले के चीफ़ इंटरनेशनल एडिटर रिचर्ड वॉकर (Richard Walker) ने ट्वीट (Tweet) के ज़रिए मोदी के जर्मनी दौरे के दौरान जब पत्रकारों से सवाल नहीं लिए गए तो इस संबंध में अपनी बात रखकर खलबली मचा दी है।

वॉकर ने अपने सोशल ​मीडिया अकाउंट पर लिखा था, "मोदी और शॉल्त्स बर्लिन में प्रेस को संबोधित करने वाले हैं. वे दोनों सरकारों के बीच 14 समझौतों का एलान करेंगे। पर वे भारतीय पक्ष के आग्रह पर एक भी सवाल नहीं लेंगे। इसी ट्वीट के साथ डीब्ल्यू के इंटरनेशनल एडिटर ने भारत के प्रेस की आज़ादी (Press Freedom in India) के मामले में आठ पायदान फिसलने की बात पर भी जोर डाला है।

आपको बता दें कि रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर्स (आरएसफ़) ने प्रेस आज़ादी (Press Freedom in India) के मामले में 180 देशों की सूची में भारत को 150वां स्थान दिया। इस रिपोर्ट में पिछले साल भारत 142वें पायदान पर था। इस बार भारत आठ स्थान और नीचे आ गया है। वहीं समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की रैंकिंग में भी गिरावट आई है, जिसमें पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यांमार 176वें स्थान पर पहुंच गए हैं।

इस रैंकिंग में दुनिया के 180 देशों में पत्रकारों के काम करने की स्थिति का आकलन किया गया है। इस साल नॉर्वे (पहले) डेनमार्क (दूसरे), स्वीडन (तीसरे) एस्टोनिया (चौथे) और फ़िनलैंड (पाँचवें) स्थान पर हैं जबकि उत्तर कोरिया 180 देशों और क्षेत्रों की सूची में सबसे नीचे है.

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच रूस को इस रिपोर्ट में 155वें स्थान पर रखा गया है, जो पिछले साल 150वें स्थान से नीचे था जबकि चीन दो पायदान ऊपर चढ़ते हुए 175वें स्थान पर आ गया। पिछले साल चीन 177वें स्थान पर था।

द टेलीग्राफ की ओर से यह भी लिखा गया है कि मोदी के कार्यकाल में लंबे समय से विदेशी दौरों पर विमान में पत्रकारों को ले जाने की परंपरा को बंद कर दिया गया है। वहीं, नवंबर 2015 में पीएम मोदी के ब्रिटेन दौरे के बाद से विदेशी दौरों पर पत्रकारों के सवाल भी नहीं लिए जा रहे हैं। उस समय पीएम मोदी से भारत में बढ़ती कथित असहिष्णुता को लेकर सवाल किया गया था। आपको बता दें कि यह वाकया उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस रखने के शक में अखलाक की मॉब लिंचिंग के कुछ हफ्तों बाद किया गया था।

अख़बार ने हाल ही में संपन्न हुए ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के भारत दौरे का भी उदाहरण दिया, जहाँ उन्होंने अकेले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इससे पहले जब साल 2020 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अहमदाबाद के दौरे पर आए थे, तब दूतावास ने द्विपक्षीय वार्ता के बाद होटल में उनके लिए अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था।

आपको बता दें कि मंगलवार को जब डेनमार्क का शाही परिवार पीएम मोदी के लिए औपचारिक डिनर की मेज़बानी कर रहा था, उस समय 'द लंदन स्टोरी' नाम के एक डच थिंक टैंक से जुड़े मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कोपेनहेगन में अमालियनबोर्ग पैलेस के सामने विरोध स्वरूप खाली जूते रखे।

इस थिंक टैंक ने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर के बताया कि खाली जूते यूरोप में मोदी के ख़िलाफ बोलने वालों की कमी का प्रतीक है। थिंक टैंक के साथ काम करने वाली अलीना केहल कहा था कि सरकारें ख़ुशी-ख़ुशी भारत में हो रहे अत्याचारों पर आंखें मूंदे हैं। उनके मिलने का एजेंडा सिर्फ क्लीन एनर्जी पर समझौता है।

Next Story

विविध