जनज्वार पर प्रवीण तोगड़िया : 'राम मंदिर के नाम पर RSS ने किया इमोशनल ब्लैकमेल, इतिहास नहीं करेगा माफ'
(प्रवीण तोगड़िया बोले- भाजपा के लिए वोट की मशीन थी राम मंदिर)
जनज्वार। डॉ. प्रवीण तोगड़िया कभी हिंदुत्व के फायरब्रांड नेता माने जाते थे। उनके तेजतर्रार आवाज में हिंदुत्व को लेकर दिए भाषण अक्सर सुर्खियों में रहते थे। हिंदुत्व के लिए उन्होंने कैंसर सर्जन की नौकरी तक छोड़ी थी। वह विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं विश्व हिंदू परिषद छोड़ने के बाद से तोगड़िया भाजपा और आरएसएस पर हमला बोलते रहे हैं। हाल ही में पेगासस जासूसी सूची में उनका नाम भी सामने आया है। जनज्वार संवाददाता दत्तेश भवसार ने प्रवीण तोगड़िया से बातचीत की-
सवाल : कोरोनाकाल में सरकार का मूल्यांकन आप कैसे करते हैं?
कई राज्यों में टीएमसी, भाजपा, कांग्रेस की सरकारें है। मैं कहूंगा कि कोरोनाकाल में सभी राज्य सरकारें और केंद्र मिलकर मरीजों को राहत देने में विफल रहे। ऑक्सीजन देने में विफल रहे। वेंटिलेटर देने में विफल रहे। रेमिडेसिविर समेत सभी इंजेक्शन देने में विफल रहे। बहुत बड़ी तादाद में लोगों की मृत्यु हुई जिसके बारे में चर्चाएं चल रही हैं। सभी सरकारों को मरने वालों के परिजनों से माफी मांगनी चाहिए।
सवाल : राम मंदिर को लेकर जो कथित घोटाला है, उसको लेकर आपको क्या लगता है कि हिंदू अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है?
देश के हिंदुओं ने हिंदुत्व और हिंदुओं के आंदोलन पर भरोसा करके करोड़ों लोगों ने पैसे दिए। सैकड़ों लोगों ने अपने प्राण दिए। पैसे से ज्यादा प्राण देना बड़ी बात है। इतना भरोसा किया। उस राम मंदिर में आर्थिक घोटाले की बात आती है। तो 1400 वर्ष के हिंदू आंदोलन को धक्का लगता है। सीधी बात है एक जमीन का सौदा अयोध्या के भाजपा के भाजपा के मेयर ऋषिकेष उपाध्याय के घर में हो रहा है। जमीन जिनके नाम से उनका नाम पाठक है, पाठक ने दो लोगों सुल्तान अंसारी और तिवारी दो लोगों को जमीन बेची। दस मिनट के बाद सुल्तान अंसारी और तिवारी राम मंदिर के चंपत राय को बेचते हैं। पाठक जमीन को दो करोड़ में चंपत रायत बेचता है और चंपत राय दस मिनट इस जमीन को साढ़े 18 करोड़ में खरीदकर पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। तो सवाल है कि पाठक से चंपत ने दो करोड़ में सीधे क्यों नहीं खरीदी।
पाठक ब्राह्मण है वह राम मंदिर के लिए जमीन देने के लिए न क्यों बोलेगा? मजे की बात तो यह है कि यह जमीन तो वक्फ बोर्ड की थी। जो कभी मंदिर के नाम पर नहीं चढ़ेगी। तो जो जमीन हमारे नाम पर नहीं होने वाली है तो उसके कोई साढ़े 18 करोड़ देता है क्या। घटना के बाद एक बार भी मीडिया के सामने बैठकर मीडिया के सवालों का जवाब देने का साहस चंपत राय ने नहीं दिखाया है। मैं कई वर्षों पहले मुंबई में आरएसएस के सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी से कहकर आया था कि चंपत राय कोई आर्थिक काम नहीं सौंपना चाहिए।
सवाल : इसका मतलब क्या यही माना जाए कि भाजपा मंदिर के नाम पर वोट ले रही है और उन्हें मंदिर बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है?
मैं कहूंगा भाजपा के लिए राम मंदिर वोट की मशीन थी। उनको मंदिर नहीं बनाना, मंदिर के नाम पर वोट लेना था। इसलिए 6 दिसंबर को वह बाबरी भी ढहाना नहीं चाहते थे। 2014 में सत्ता में आने के बाद से वह मंदिर बनाना ही नहीं चाहते थे। मैं मंदिर बनाने के लिए दबाव बनाने लगा तो मेरी जुबान बंद करने का प्रयास किया गया। मैंने जब जुबान बंद नहीं की तो मुझे संगठन छोड़ना पड़ा। मुझे फैसला करना पड़ा कि राम के साथ रहूंगा या हिंदुओं के साथ गद्दारी करूंगा। मेरा मानना है कि 95 साल तक उन्होंने हिंदुत्व सिखाया। भारत हिंदू राष्ट्र हैं, हिंदू ही राष्ट्रीय है, मुसलमान राष्ट्रीय नहीं हैं। हिंदुओं को जगाया तो सत्ता आ गई तो अब कहते हैं कि औरंगजेब और मोहनभागवत का डीएनए एक हैं। उनका हिंदुत्व को जगाने का काम केवल भाजपा को सत्ता में लाना था। हिंदुत्व के लिए नहीं था। मुझे लगता है कि देश को आरएसएस के व्यवहार के बारे में पुनर्विचार करना पड़ेगा।
सवाल : क्या अब यही मान लिया जाए कि राम मंदिर भाजपा के एजेंडे में नहीं है?
वह हिंदुत्व के लिए पक्के होते तो राममंदिर शुरू हुआ तब से हूं तब अयोध्या-काशी और मथुरा के मंदिर को बनाने का निर्णय इसके लिए प्रस्ताव हुआ था। राम मंदिर बन गया तो अब काशी-मथुरा के लिए आगे बढ़ना चाहिए। क्या आरएसएस बढ़ रहा है? केंद्र की भाजपा सरकार बढ़ रही है? नहीं बढ़ रही है। उन्होंने राम मंदिर के नाम पर सत्ता पाकर हिंदुओं के साथ छल किया। छल के लिए दूसरा शब्द इमोशनल ब्लैकमेलिंग है। हमें हिंदू के नाम पर ब्लैकमेल करके मेरे जैसे कैंसर सर्जन से डॉक्टरी छुड़वायी, मेरे जैसे लाखों लोगों से छुड़वायी। सैकड़ों लोगों को राम मंदिर के नाम पर मरवाया। यह आरएसएस का इमोशनल ब्लैकमेलिंग था। इतिहास आरएसएस को माफ नहीं करेगा।