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राष्ट्रीय

Presidential election 2022 : योगी के डिनर पार्टी में शामिल हुए राजभर और शिवपाल, क्या बदलेगा यूपी का सियासी समीकरण

Janjwar Desk
9 July 2022 12:44 PM IST
Presidential election 2022 : योगी के डिनर पार्टी में शामिल हुए राजभर और शिवपाल, क्या बदलेगा यूपी का सियासी समीकरण
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Presidential election 2022 : योगी के डिनर पार्टी में शामिल हुए राजभर और शिवपाल, क्या बदलेगा यूपी का सियासी समीकरण

Presidential election 2022 : न तो समाजवादी पार्टी ने मुझे फोन किया न ही मेरा वोट मांगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कल मुझे आमंत्रित किया, जहां मैंने एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें वोट देने का फैसला किया।

Presidential election 2022 : देश के नये राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा। इस बीच शुक्रवार को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सांसदों और विधायकों को डिनर पार्टी पर बुलाया। डिनर पार्टी का आयोजन सीएम के सरकारी आवास पर हुआ। डिनर पार्टी में उमाशंकर सिंह, राजभैया, ओपी राजभर और शिवपाल यादव की उपस्थिति सभी के लिए चौंकाने वाली रही। खास बात यह है कि यूपी की रानजीति में अहम वजूद रखने वाले इन नेताओं ने राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए प्रत्याशी यानि द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया।

राजा भैया ने कहा कि एनडीए की उम्मीदवार का जनसत्ता लोकदल के दोनों विधायक भी समर्थन देंगे। पार्टी प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया ने इसका ऐलान डिनर पार्टी के दौरान ही कर दिया था। उन्होंने कहा है कि एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन देना वक्त के हिसाब से जरूरी है। डिनर पार्टी में बसपा के एक मात्र विधायक उमाशंकर भी शामिल हुए। राजा भैया ने खुद मीडिया से बातचीत में इस बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि राजभर, शिवपाल यादव और उमा शंकर सिंह रात्रिभोज में शामिल हुए।

एनडीए को वोट दूंगा

दरअसल, सीएम योगी ने विधायकों और सांसदों को डिनर पर बुलाया था। इससे पहले लोक भवन में भाजपा सांसदों और विधायकों के साथ बैठक हुई। योगी ने ये डिनर पार्टी अपने आवास पांच कालिदास पर रखी थी। प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि मैं पहले ही कह चुका हूं कि जो मांगेगा, उसे वोट दूंगा। न तो समाजवादी पार्टी ने मुझे फोन किया न ही मेरा वोट मांगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कल मुझे आमंत्रित किया, जहां मैंने एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें वोट देने का फैसला किया।

अखिलेश जी से पूछिए मुझे क्यों नहीं बुलाया

लगभग यही बात सपा कार्यालय में राष्ट्रपति चुनाव की बैठक में न बुलाए जाने पर सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भी कही। उन्होंने कहा है कि मुझे न फोन किया, न बैठक में बुलाया। शिवपाल यादव को भी नहीं बुलाया गया। हम 6 लोग बैठकर इंतजार करते रहे। हम गठबंधन का धर्म निभाना चाहते हैं। राजभर ने कहा कि अखिलेशजी से पूछिए क्यों नहीं बुलाया। राष्ट्रपति चुनाव में वोट के लिए बात करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि 12 जुलाई को प्रेसवार्ता कर फैसला बताएंगे। मेरी शिवपाल से भी बात हुई है। उन्होंने कहा कि बुलाया नहीं तो मैं क्यों जाऊं। राजभर ने कहा कि आजमगढ़ चुनाव में सुभासपा का कमांडर मौके पर था। सपा का कमांडर गायब था। एसी का आनंद ले रहा था। यूपी विधानसभा में राजभर की पार्टी के छह विधायक हैं। बता दें कि बसपा प्रमुख मायावती ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वे एनडीए की उम्मीदवार का समर्थन करेंगे।

सपा को सलाह की जरूरत नहीं

दो दिन पहले विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा भी लखनऊ समर्थन हासिल करने के लिए पहुंचे थे। तब अखिलेश यादव ने राजभर और शिवपाल यादव को बैठक में शामिल होने नहीं बुलाया था। उससे पहले अखिलेश ने राजभर के एसी से बाहर निकलने की सलाह पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। अखिलेश ने साफ कह दिया था कि सपा को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। माना जा रहा है कि इस बात से राजभर नाराज चल रहे हैं।

Presidential election 2022 : ये है सियासी संदेश

वैसे तो राष्ट्रपति चुनाव से पहले डिनर पार्टी का आयोजन कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन डिनर पार्टी में एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान सहयोगी रहे शिवपाल यादव और ओपी राजभर का मुखर होना सियासी संदेश देने वाला है। ऐसा इसलिए कि चुनाव बाद भी राजभर अखिलेश यादव के साथ डटे रहे। जबकि उनके पास भाजपा से जुड़ने का अवसर था। उन्हें कैबिनेट में शामिल होने का न्योता भी भेजा गया था लेकिन उन्होंने विपक्षी एकता के लिए अखिलेश के साथ बने रहने की घोषणा की। शिवपाल यादव भी अपने भतीजे के रवैये से नाराज चल रहे हैं। यानि जिन छोटे दलों को जोड़कर अखिलेश यादव ने यूपी में विपक्ष एकता को मजबूती देने के संकेत दिये थे वो अब बिखरने लगा है। छोटे—छोटे कुछ दल पहले ही सपा का साथ छोड़ चुके हैं। इससे है कि भाजपा इन दलों से नजदीकी बढ़ाकर विपक्ष को यूपी में और कमजोर करने की मुहिम में अभी से जुट गई है। साफ है कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा यूपी में अपनी स्थिति पहले से ज्यादा मजबूत करने में जुट गई है।

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