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राष्ट्रीय

पंजाब के अधिवक्ता ने की किसान आंदोलन में आत्महत्या, लिखा उद्योगपतियों के प्रधानमंत्री बनकर रह गए मोदी

Janjwar Desk
27 Dec 2020 8:48 PM IST
पंजाब के अधिवक्ता ने की किसान आंदोलन में आत्महत्या, लिखा उद्योगपतियों के प्रधानमंत्री बनकर रह गए मोदी
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अमरजीत सिंह ने कथित सुसाइड नोट में लिखा है कि वह किसान आंदोलन के समर्थन में और कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी जान दे रहे हैं, ताकि सरकार जनता की आवाज सुनने को मजबूर हो जाए....

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को एक माह से भी अधिक का समय बीत चुका है। इस आंदोलन के दौरान अबतक 25 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। वहीं अब खबर है कि कथित तौर पर किसान आंदोलन में शामिल पंजाब के अधिवक्ता अमरजीत सिंह ने आत्महत्या कर ली है।

अमरजीत पंजाब में फाजिल्का जिले की जलालाबाद बार एसोसिएशन के अधिवक्ता थे और टिकरी बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन के बीबी गुलाब कौर स्टेज के पास उन्होंने जान दे दी। पुलिस के मुताबिक टिकरी बॉर्डर से कुछ किलोमीटर दूर अमरजीत ने कथित तौर पर जहर खा लिया। उन्हें रोहतक के एक अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

अमरजीत सिंह ने कथित सुसाइड नोट में लिखा है कि वह किसान आंदोलन के समर्थन में और कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी जान दे रहे हैं, ताकि सरकार जनता की आवाज सुनने को मजबूर हो जाए। पुलिस का कहना है कि वह 18 दिसंबर को लिखे गए सुसाइड नोट की सच्चाई की जांच कर रही है।

हरियाणा के झज्जर जिले के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने मृतक के रिश्तेदारों को सूचना दी है और उनके आने पर बयान रिकॉर्ड किया जाएगा और कार्यवाही आगे बढ़ेगी। इससे पहले भी आत्महत्या के दो अन्य मामलों का दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे किसान आंदोलन से संबंध पाया गया है। 65 साल के सिख प्रचारक संत राम सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर कथित तौर पर खुदकुशी की थी।

पुलिस को कथित तौर पर अमरजीत का पत्र मिला है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम संबोधित है। इसमें कहा गया है कि आम जनता ने पूर्ण बहुमत, शक्ति के साथ आप पर पूरा भरोसा जताया। आम जनता को प्रधानमंत्री के तौर पर आपसे अच्छे भविष्य की उम्मीद थी। लेकिन बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आप कुछ विशेष उद्योगपतियों के प्रधानमंत्री बनकर रह गए हैं।

पत्र में आगे लिखा गया है कि इन तीन काले कानूनों के जरिये किसान और मजदूर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जनता सड़क और रेल ट्रैक पर वोट की खातिर नहीं बल्कि अपनी और अपने परिवार की आजीविका बचाने के लिए है। पूंजीपतियों का पेट भरने के लिए आपने आम जनता और कृषि की कमर तोड़ दी है।

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