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जंगलराज की राह पर गहलोत का राज, अब उधार के पैसे मांगने पर जलाई गई दलित शिक्षिका की भी हुई मौत, शासन-प्रशासन मौन क्यों?
जंगलराज की राह पर गहलोत का राज, अब उधार के पैसे मांगने पर जलाई गई दलित शिक्षिका की भी हुई मौत, शासन-प्रशासन मौन क्यां?
जयपुर। राजस्थान ( Rajasthan ) के जालोर ( Jalor ) में एक दलित और मासूम छात्र की हत्या केवल इसलिए कर दी गई कि उसने प्यास लगने पर मटके से पानी पीने की जुर्रत की थी। ऐसी घटनाएं उस समाज में आज भी जारी है जहां की संस्कृति प्यासे पथिक को पानी पिलाना भी पुण्य का काम माना जाता है। मामला यहीं तक होता तो भी सब्र कर लेते। दबंगों और हैवानों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि उन्होंने राजस्थान की राजधानी जयपुर ( Jaipur ) और सीएम अशोक गहलोत ( CM Ashok Gehlot ) के राज में जयपुर में एक दलित महिला टीचर ( Dalit women Teacher ) को उसके 6 साल के बेटे के सामने इसलिए जिंदा जला दिया गया कि उसने उधार के पैसे मांगने की जहमत उठाई थी। दबंगों ने दलित महिला के पैसे तो नहीं लौटाये, सभी के सामने पेट्रोल डालकर जिंदा जरूर जला दिया।
इस घटना से पहले दलित महिला शिक्षक ने थाने और अन्य प्रशासनिक एजेंसियों से शिकायत भी की थी। दबंगों से जान बचाने की गुहार भी लगाई थी। आपको यह जानकार व्यवस्था से भरोसा उठ सकता है कि जयपुर ( jaipur ) में जिस महिला टीचर को दंबों ने जिंदा जलाया उसके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पीड़ित पक्ष के लोग 12 अगस्त को डीजीपी से मिले थे। पीड़ित पक्ष के लोगों ने जयपुर पुलिस मुख्यालय में रायसर थाना प्रभारी रामधन सांडीवाल, एएसआई कबूलसिंह, पुलिसकर्मी विनोद गुर्जर पर बदमाशों को शरण देने का आरोप लगाया था, लेकिन डीजीपी साहब ने मृतक महिला के परिजनों को न्याय दिलाना वाजिब नहीं समझा। या यूं कहिए कि उन्हें लगा लगा कि एक आम आदमी को न्याय दिलाने से क्या फायदा। या फिर मुझे पता नहीं कि राजस्थान के डीजीपी ने पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में क्या कदम उठाए। अगर कदम उठाये होते तो घटना के एक सप्ताह बाद आग से बुरी तरह झुलसी शिक्षिका की मंगलवार यानि 17 जुलाई की देर रात एसएमएस अस्पताल में मौत हो गई लेकिन सभी आरोपी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। ऐसा क्यों? जिंदा जलाने की घटना का खुलासा भी उस समय हुआ जब घटना का वीडियो बुधवार यानि 17 जुलाई को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
आश्चर्य की बात यह है कि तब तक राजस्थान (Rajasthan ) के शासन-प्रशासन का पूरा अमला कुंभकर्णी नींद में सोया रहा। कल्याणकारी राज्य के दौर में अमंगलकारी घटना का इससे बड़ा उदाहरण भला और क्या हो सकता है। ध्यान रखिए, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ता तो इस तरह की घटना से सीख लेकर प्रशासनिक अमला तत्काल कार्रवाई करने की जहमत उठाता न, पर इस बार भी वही हुआ जो हमेशा से होता रहा है।
आप ही बताइए, कौन करेगा व्यवस्था पर भरोसा
#जयपुर में दलित शिक्षिका को स्कूल से लौटते वक्त जलाया जिंदा
— Rajesh Moga (@RajeshMogaLive) August 17, 2022
एक ही परिवार के दो पक्षों का बताया जा रहा है है मामला
मृतका अनिता देवी पक्ष और आरोपी पक्ष के बीच था रुपयों का लेनदेन विवाद
करीब अस्सी फीसदी तक झुलस चुकी महिला ने अस्पताल ले जाने के कुछ देर के बाद ही तोड़ा दम pic.twitter.com/h9xmDvVw9D
दरअसल, राजस्थान के जालोर में दलित छात्र की मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि जयपुर की घटना ने साफ संकेत दे दिए हैं कि गहलोत के राज में भी जंगलराज ने दस्तक दे दी है। ऐसा मैं, इसलिए कह रहा हूं कि 10 अगस्त को जयपुर में एक दलित महिला शिक्षिका को जिंदा जला दिया गया। यह घटना जयपुर के जमवाररामगढ़ क्षेत्र के रायसर की है। जरा सोचिए, जिस समय दलित महिला शिक्षक को गांव के ही दबंगों ने जिंदा जलाया उस समय उसका छह साल का मासूम बेटा भी उसके साथ ही था। वह, मानव सभ्यता के वर्तमान दौर में अमानवीयता, अत्याचार, उत्पीड़न की पराकाष्ठा का दर्शन साक्षात कर रहा था। इस घटना को देखकर छह साल के मासूम के मस्तिष्क पर कितना घातक असर पड़ा होगा। क्या जब वो बड़ा होगा तो मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था पर वो भरोसा करेगा। कहीं, बड़ा होने पर ये घटना उसे व्यावस्था विरोधी तो नहीं बना देगा। अगर इस घटना के बावजूद छह साल का बच्चा मानसिक तौर पर मुख्यधारा का हिस्सा बना रहेगा है तो यह एक चमत्कार ही होगा। ऐसा इसलिए कि वाजिब पैसा मांगने पर उसकी मां को सभी के सामने कानून विरोधियों ने जिंदा जला दिया। किसी ने उसकी जान नहीं बचाई। दलित महिला को जलाने वाले भी और तमाशा देखने वाले भी। ऐसे में मासूम बच्चा बड़ा होकर किस पर भरोसा करे।
ये है पूरा मामला
दलित महिला शिक्षक को जिंदा जलाने की घटना जयपुर के रायसर गांव की है। 10 अगस्त सुबह आठ बजे रैगरों के मोहल्ले में रहने वाली 32 वर्षीय शिक्षिका अनीता रेगर अपने छह साल के बेटे राजवीर के साथ वीणा मेमोरियल स्कूल जा रही थी। इस दौरान कुछ दबंगों ने उसे घेर लिया और हमला कर दिया। बदमाशों से बचने के लिए अनीता पास ही में ही बने एक घर में घुस गई। मदद के लिए 100 नंबर पर डायल को पुलिस को सूचना दी लेकिन काफी देर बाद भी वहां पुलिस नहीं पहुंची। इसके बाद मौका मिलते ही दबंगों ने पेट्रोल डालकर अनीता रेगर को आग के हवाले कर दिया। आग की लपटों में घिरी अनीता मदद के लिए चिल्लाती रही, लेकिन कोई उसके पास नहीं आया। घटना की सूचना मिलने पर शिक्षिका का पति ताराचंद अपने परिवार के सदस्यों के साथ मौके पर पहुंचा और पत्नी को जमवारामगढ़ के सरकारी अस्पताल ले गया। जहां 70 फीसदी जल चुकी अनीता को प्राथमिकी उपचार के बाद डॉक्टरों ने जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर कर दिया। 16 अगस्त की रात एसएमएस अस्पताल में अनीता रेगर ने दम तोड़ दिया।
दबंगों ने क्यों जलाया जिंदा
मृतक शिक्षिका अनीता ने आरोपियों को ढाई लाख रुपये उधार दिए थे। लंबे अरसे से वह आरोपियों से अपने रुपए वापस मांग रही थी। बस, सही अनीता की गलती थी कि उसने पैसे वापस मांगने की जुर्रत कैसे की? रायसर गांव के दबंग बार-बार रुपए मांगने पर आरोपी शिक्षिका के साथ मारपीट और अभद्रता कर रहे थे। इसे लेकर अनीता ने 7 मई को रायसर थाने में केस भी दर्ज कराया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने शिक्षिका की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की और आखिरकार बदमाशों ने महिला को जिंदा जला दिया।
घटना के 8 दिन बाद भी आरोपी पुलिस की पहुंच से कोसो दूर
मृतक शिक्षिका के पति ताराचंद ने गांव के रामकरण, बाबूलाल, गोकुल, मूलचंद, सुरेश चंद, आनंदी, प्रहलाद रेगर, सुलोचना, सरस्वती और विमला पर अपनी पत्नी अनीता पर पेट्रोल डालकर आग लगाने का आरोप लगाया है। वहीं ताराचंद का कहना है कि शिकायत के बाद भी पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। अब तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किए गए हैं। मंगलवार देर रात शिक्षिका की मौत के बाद वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद पूरा मामला सामने आया।
दलित छात्र के पिता को है न्याय का इंतजार
बता दें कि इससे पहले जालोर के सायला थाना क्षेत्र के सुराणा गांव के नौ साल के इंद्र मेघवाल की शिक्षक की कथित पिटाई से मौत हो गई थी। इंद्र सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ता था। आरोप है कि 20 जुलाई को बच्चे ने स्कूल में रखे एक मटके से पानी पी लिया था। इस बात पर शिक्षक छैल सिंह ने उसकी पिटाई कर दी। इससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। मासूम को गंभीर हालत में उदयुपर और अहमदाबाद में ले जाया गया। 24 दिन चले इलाज के बाद बीते शनिवार को अहमदाबाद में उसकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर लिया है।