Morbi Cable Bridge Collapses: सेल्फी लेने की होड़ में टूटा गुजरात का झूलता पुल, अब तक 150 से अधिक की मौत
मोरबी का मौत से है पुराना नाता, कुंभकरणी नींद में सोई रही गुजरात सरकार और तबाह हो गई सैकड़ों जिदंगियां
Morbi Cable Bridge Collapses: गुजरात के मोरबी में सेल्फी लेने की होड़ में मच्छु नदी पर बना ऐतिहासिक झूलता हुआ केबल पुल टूट गया। पुल के टूटने से 150 से अधिक लोगों के मरने की खबर सामने आई है। जबकि पुलिस महानिदेशक आशीष भाटिया का कहना है कि अभी 60 से अधिक लोग लापता हैं और 30 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
बताया जा रहा कि पुल की क्षमता महज 100 लोगों की थी। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो दुर्घटना के वक्त लगभग 500 लोग पुल पर मौजूद थे। मृतकों में 50 के तकरीबन महिलाएं व बच्चे शामिल हैं। इनपुट है कि अभी मृतकों की संख्या बढ़ भी सकती है। NDRF की तीन टीमें व सेना की तीनों अंग बचाव में लगे हुए हैं। वायु सेना का विमान गरूड़ मदद के लिए घटनास्थल पर पहुँच चुका है।
प्रदेश सरकार ने हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया है। अधिकारियों ने बताया कि पानी के अंदर कीचड़ में धंसे शवों को निकालने के लिए पम्पों से पानी हटाया जा रहा है। अस्पताल तक घायलों को पहुँचाने के लिए लोगों ने मानव श्रंखला बनाकर भीड़ को दूर रखा है। इससे एंबुलेंस व बचाव दलों की निर्बाध आवाजाही हो सकी।
झूलता पुल देखते ही देखते काल बन गया। लोग जब तक कुछ समझ पाते तब तक सैंकड़ों लोग नदी में समा चुके थे। एक चश्मदीद ने बताया कि भारी भीड़ होने से पहले पुल हिला, इसके बाद लटका और भरभराकर गिर गया। पुल में लटके लोग चीखते हुए नदी में जाकर समा गये।
140 साल पुराना है पुल
मोरबी का यह केबल सस्पेंसन पुल 140 साल पुराना बताया जाता है। इसकी लंबाई लगभग 765 फुट है। ब्रिज का उद्धाटन 1879 में मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेंपल ने किया था। उस समय इसकी लागत साढ़े तीन लाख रूपये थी। बता दें कि पुल बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही आया था।
इन सवालों के बाकी हैं जवाब
- एनओसी के बिना पुल क्यों खोला?
- किसकी मंजूरी से खोला गया पुल?
- पुल पर क्षमता से अधिक लोग कैसे पहुँचे?
- भीड़ नियंत्रण के क्या किये गये उपाय?
- छठ को लेकर क्या विशेष इंतजाम किये गये?