मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी पर सनसनीखेज खुलासा, वेबसाइट की सूची में कांग्रेस नेता, जेएनयू के लापता छात्र की मां और पत्रकार शामिल
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नई दिल्ली। मुस्लिम महिलाओं की एक वेबसाइट ( Website ) पर नीलामी का सनसनीखेज मामला फिर से सामने आया है। एक वेबसाइट पर कई चर्चित मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन बोली ( Muslim Women Auctioned ) लगाने का आरोप लगा है। वेबसाइट पर 100 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं के नाम मौजूद थे। काफी विवादों के बाद बुली बाई ( Bulli deals ) नाम के इस ऐप पर अब कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। वेबसाइट ने जिन मुस्लिम महिलाओं की नीलामी वाली सूची में नाम डाला है उसमें कांग्रेस नेता से लेकर जेएनयू ( JNU ) के लापता छात्र की मां और पत्रकारों तक के नाम शामिल हैं।
पुलिस ने अभी तक नहीं की किसी की गिरफ्तारी
ताजा जानकारी के मुताबिक वेबसाइट की लिस्ट में 100 से ज्यादा चर्चित महिलाओं के नाम हैं। यह यह वेबसाइट 6 महीने पहले ही बना है। इसके लिए इंटरनेट होस्टिंग प्रदाता, गिटहब का प्रयोग किया गया है। इस मामले की शिकायत की गई है, लेकिन दिल्ली, नोएडा या गुड़गांव में पुलिस ने अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं की है। वेबसाइट के खिलाफ कार्रवाई न होने से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं में काफी असंतोष है।
वेबसाइट की नीलामी में शामिल एक महिला पत्रकार की शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ( Delhi Police ) ने प्राथमिकी ( FIR ) दर्ज कर ली है। महिला ने अपनी शिकायत में बताया है कि एक जनवरी को जब मैंने अपने न्यू ईयर के दिन आए एक मैसेज को ओपेन किया तो उसमें जो फोटो थी, वो मेरी फोटो थी। जिसमें लिखा था कि मैं 'दिन की बुल्ली बाई' हूं। मैं चौंक गई। मेरे लिए यह चौंकाने वाली बात नहीं थी क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पिछले एक साल में हम सब इस तरह के उत्पीड़न को झेल रहे हैं।
संसद में चर्चा हुई, महिला आयोग ने संज्ञान लिया, पर नहीं हुई कार्रवाई
महिला पत्रकार ने अपनी शिकायत में बताया है कि हम लोग कोरोना की दूसरी लहर के आघात से मुश्किल से ही उबर पा रहे हैं। मैं, नव वर्ष यानि 2022 की शुरुआत अच्छे तरीके से करना चाहती थी, लेकिन यह सोचकर हैरानी हुई कि कोई वर्ष के अंतिम दिन भी हमें नीचा दिखाने के लिए बैठा हुआ था। सबसे चिंताजनक बात यह है कि पिछली बार कई एफआईआर दर्ज की गई थीं। इसके बारे में संसद में भी चर्चा हुई थी। महिला आयोग ने संज्ञान भी लिया था। इसके बाद भी कोई सही कार्रवाई नहीं हुई।
इस बारे में एक कांग्रेस नेता ने कहा कि मैं स्तब्ध थी कि यह सब फिर से हो रहा है। ये अनजान आदमी हमारे लिए रेट पर चर्चा करते हैं। हमें नीलाम करते हैं। अश्लील भाषा का इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इस बात की शिकायत मैंने मई, 2021 में भी दर्ज कराई थी। जब पुरुषों का एक समूह यूट्यूब पर हमारी तस्वीरें पोस्ट कर रहा था। उक्त् समूह मनोरंजन जारी रखने के लिए अन्य पुरुषों से पैसे मांग रहा था। मुझे, इस घटना से बहुत बड़ा आघात लगा था। फिर मैंने पहले के गिटहब मामले के लिए एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मैंने दिल्ली पुलिस को सारे सबूत मुहैया कराए थे, लेकिन उन्होंने कभी मेरी सहायता नहीं की। इस मामले में पुलिस का रवैया असहयोगी है।
JNU की लापता मां का नाम भी नीलामी शामिल
ताज्जुब की बात यह है कि पिछले 5 साल से अधिक समय से लापता जेएनयू की एक छात्रा की मां को फोन आए। उन्हें बताया गया कि उनका भी नाम वेबसाइट पर दर्ज है। उन्होंने कहा कि वह इसे नजरअंदाज कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। ये लोग घटिया और नीच हरकत करके लोकप्रिय होना चाहते हैं। मैं सिर्फ एक मां हूं, जो अपने बच्चे को न्याय दिलाने की कोशिश कर रही हूं। जो लोग अपनी मां का सम्मान करते हैं, वे ऐसा कभी नहीं कर सकते।
स्क्रीनशॉट देखा तो चौंक गई, और रोने लगी
पीड़ित एक महिला पायलट जिन्होंने पिछली बार की घटना के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि मैंने सोचा था कि मुझे न्याय मिलेगा लेकिन यूपी पुलिस ने कभी मुझे पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया। मैंने कई बार जांच अधिकारी को फोन किया लेकिन सब बेकार रहा। उन लोगों ने अब एक और पेज बनाया है। जब मैंने स्क्रीनशॉट देखा तो मैं चौंक गई और रोने लगी।
वो हमारी आवाज को दबाना चाहते हैं
दिल्ली और यूपी पुलिस के असहयोगी रवैये से लगता है वेबसाइट वाले ऐसा करते रहेंगे। ऐसा कर वो हमारी आवाज को चुप कराना चाहते हैं। सरकार कुछ नहीं कर रही है। शायद यह काम कर रहा है। मुझे अब कमजोरी महसूस हो रही है। मैं काम पर नहीं जाना चाहती। हम चैन से सो नहीं पा रहे हैंं नींद नहीं आती है। मैं, हमेशा सोचती रहती हूं कि उन्होंने मेरी फोटो का इस्तेमाल क्यों किया। आखिर वो लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं?
2021 में भी हुई थी 2 FIR दर्ज
बता दें कि साल 2021 में दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस ( Uttar Pradesh Police ) द्वारा पिछले साल सुल्ली डील विवाद में मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों के दुरुपयोग के बाद दो प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।