Shahjahanpur News: 6 घंटे के भीतर ही पुलिस ने सुलझाया कोर्ट परिसर में वकील की हत्या का मामला, आरोपी गिरफ्तार

Shahjahanpur Crime News: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर कोर्ट परिसर (Shahjahanpur Court Complex) में हुई वकील भूपेंद्र प्रताप सिंह की हत्या की गुत्थी पुलिस (UP Police) ने छह घंटे में ही सुलझा दी है। पुलिस ने इस मामले में वकील सुरेश गुप्ता को गिरफ्तार किया है। इस मामले के पीछे किराएदारी का विवाद बताया जा रहा है। पुलिस के मुताबिक सिंजई में वकील सुरेश गुप्ता के पर भूपेंद्र सिंह रहते थे। किराएदारी को लेकर भूपेंद्र का सुरेश गुप्ता से विवाद हो गया था। तबसे अबतक दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ कई मुकदमें दर्ज कराए हैं। पुलिस के दावे के मुताबिक सुरेश गुप्ता ने अपना जुर्म कबूल लिया है।
बता दें कि सोमवार की सुबह अदालत की तीसरी मंजिल पर रिकॉर्ड रूम के सामने भूपेंद्र को गोली मार दी गई थी। भूपेंद्र को पीछे से गोली मारी गई ती। वारदात के बाद मौके से ही एक तमंचा बराम किया गया था। इस घटना के बाद कोर्ट परिसर में हड़कंप मच गया। उधर बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार पर हमला बोला था। वहीं घटना के बाद वकील भी सड़कों पर उतर आए थे।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की पड़ताल शुरु की। सीसीटीवी फुटेज और लोगों के बयान लिए गए तो सुरेश गुप्ता पर नजर टिक गई। फिर सुरेश गुप्ता को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरु की गई और मामले का पूरा खुलासा हो गया।
सुरेश गुप्ता (Suresh Gupta) ने पुलिस को बताया कि भूपेंद्र सिंह को नहीं मारते तो खुद ही सुसाइड करना पड़ जाता। पुलिस के मुताबिक सुरेश गुप्ता जेब में तमंचा रखकर अदालत परिसर में आए थे। भूपेंद्र को रिकॉर्ड रूम के पास ऐसी जगह पर निशाना बना गया जहां लोगों की आवाजाही कम थी। हत्या के बाद मची भगदड़ में ही सुरेश भी भीड़ के साथ भागे लेकिन अपनी सीट पर आकर बैठ गए थे। वहीं से पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। 88 वर्षीय सुरेश गुप्ता स्टेट बैंक से रिटायर हैं।
आरोपी सुरेश गुप्ता को मीडिया के सामने पेश किया गया तो उन्होंने बताया कि उनके ऊपर भूपेंद्र ने 156-3 के तहत 24 मुकदमे कर रखे थे। लूट, चोरी, डकैती जैसी धाराओं में दर्ज मुकदमें में अगर वह एक मुकदमा निपटाते तो भूपेंद्र रिवीजन डालकर उसे फिर से सुनवाई में पहुंचा देते। हर साल एक या दो मुकदमे उनके ऊपर करा देते थे। उनके खिलाफ 153 शिकायतें की थीं। वह पूरी तरह से परेशान हो चुके थे। उन्हें रात में नींद नहीं आती थी। एक ही रास्ता रह गया था या तो वह अपनी जान दे दें या फिर भूपेंद्र को मार दें।










