Shri Krishna Janmabhoomi Dispute : श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर इलाहबाद HC का फैसला, सभी अर्जियों का चार महीने में निपटारा करने का आदेश
Krishna Janmabhoomi Dispute : श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर इलाहबाद HC का फैसला, सभी अर्जियों का चार महीने में निपटारा करने का आदेश
Shri Krishna Janmabhoomi Dispute : मथुरा (Mathura) के श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmabhoomi Dispute) और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के मामलों को जल्द निपटाने की याचिका पर आज गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने मथुरा की अदालत को निर्देश दिया है कि अधिकतम चार महीने में सभी अर्जियों का निपटारा किया जाए।
सभी अर्जियां 4 महीनों में निपटाने का आदेश
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड व अन्य पक्षकारों के सुनवाई में शामिल ना होने पर एकपक्षीय आदेश जारी कर दिया जाए। यह याचिका नारायणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष यादव की तरफ से दाखिल की गई थी। इसमें याचिकाकर्ता ने मथुरा में चल रहे मुकदमे की सुनवाई हर रोज और जल्द निपटारा कराए जाने की अपील की थी। याचिका में मांग की गई थी कि मथुरा की अदालत में इस केस (Shri Krishna Janmabhoomi Dispute) से जुड़े जो भी मामले पेंडिंग हैं, उनका निस्तारण जल्द से जल्द किया जाए। अगर विपक्षी पार्टी सुनवाई के दौरान हाजिर न हों तो उनके खिलाफ कार्रवाई कर एकतरफा आदेश दिया जाए।
मथुरा की अदालत में कुल नौ वाद हैं दर्ज
बता दें कि श्री कृष्ण जन्मस्थान (Shri Krishna Janmabhoomi Dispute) और ईदगाह प्रकरण में मथुरा की अदालत में अब तक कुल नौ वाद दर्ज हो चुके हैं। एक अपील जिला न्यायधीश के नयायलय में लंबित है। इस पर जिला जज ने निर्णय सुरक्षित रखा है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान प्रकरण में सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री द्वारा 13. 37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया गया था, लेकिन परंतु सिविल जज सीनियर डिवीजन ने उनके वाद को स्वीकार नहीं किया गया। जिसके बाद वह अपील में जिला जज की अदालत पहुंची।
पिछली सुनवाई में सुरक्षित रखा गया था फैसला
जानकारी के लिए आपको बता दें कि जिला जज द्वारा निर्णय को सुरक्षित रखने के बाद के बाद 19 मई की तारीख नियत की है। जबकि नारायणी सेना, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास, अखिल भारत हिंदू महासभा और अन्य सहित कुल मिलाकर के नौ वाद अदालत में दर्ज हैं। जिनमें अलग-अलग सुनवाई चल रही है। सभी मामलों के वादी पक्षों ने हाईकोर्ट के निर्देशों को स्वागत किया है।