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Siddiq Kappan की रिहाई पर भावुक हुईं पत्नी Raihana, बोलीं - उनकी गिरफ्तारी के बाद जाना UAPA से परिवार पर क्या असर होता है?

Janjwar Desk
9 Sep 2022 12:01 PM GMT
सिद्दीकी कप्पन की रिहाई पर भावुक हुईं पत्नी रैहाना, बोलीं - उनकी गिरफ्तारी के बाद जाना UAPA से परिवार पर क्या असर होता है?
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सिद्दीकी कप्पन की रिहाई पर भावुक हुईं पत्नी रैहाना, बोलीं - उनकी गिरफ्तारी के बाद जाना UAPA से परिवार पर क्या असर होता है?

Siddiqui Kappan : केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से पति को जमानत मिलने पर उनकी पत्नी रैहाना ने उन सभी का आभार जताया जो उनके साथ रहे...

Siddiq Kappan : केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ( Siddiq Kappan ) की जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई देश की सुप्रीम अदालत ( Supreme Court ) में हुई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई को जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद सिद्दीक कप्पन ( Siddiqui Kappan granted bail ) को जमानत दे दी। जमानत मिलने के बाद उनकी पत्नी रैहाना कप्पन ( Raihana Kappan ) के चेहरे और आवाज से साफ पता चल रहा था दो साल पहले लगे आधात के बाद पहली बार उनके हिस्से में राहत नाम की कोई चीज आई है।

उन सभी का आभार जो साथ रहे

उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट करे एक न एक दिन पति सिद्दीकी कप्पन ( Siddiqui Kappan ) की सच का अहसास जरूर होगा। वो दिन आज आ ही गया। शीर्ष अदालत ने आज न्याय की रक्षा कीं। उसके बाद केरल के पत्रकार कप्पन की पत्नी रैहाना ने कहा कि उन सभी का आभार जो हमारे साथ रहे। पति की गरफ्तारी के बार मेरे पास पत्रकार और वकील बनने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। ये सब पति की मदद के लिए करने को मजबूर होना पड़ा।

पति की गिरफ्तारी से UAPA की क्रूर सच्चाई का हुआ अहसास

रैहाना कप्पन ( Raihana Kappan ) ने कहा कि मैं उन सभी को धन्यवाद देती हूं जो इस कानूनी लड़ाई में मेरे और मेरे परिवार के साथ खड़े रहे। हम पिछले दो वर्षों में जिस दर्द और असह्य पीड़ा से गुजरी हूं उसकी न तो हम व्याख्या कर सकते और न ही कल्पना। रेहाना कप्पन के भाव से साफ समझा जा सकता है कि यूएपीए लगने की वजह से उन्हें और उनके परिवार को न केवल कानूनी बाध्यताओं से गुजरना पड़ा, बल्कि सामाजिक, आर्थिक पारिवारिक और भावनात्मक मोर्चों पर भी उन्हें जिंदगी की क्रूर सच्चाई का सामना करना पड़ा। उन्होंने ( Raihana Kappan ) अपने पति ( Siddiqui Kappan ) पर दर्ज प्रवर्तन निदेशालय के केस के खिलाफ जमानत याचिका दायर की थी। इस बारे में उनका कहना है कि मुझे उम्मीद है कि ईडी से भी इस मामले में कप्पन को जल्द ही जमानत मिल जाएगी। ईडी ने यूएपीए मामले के संबंध में केस दर्ज किया गया था।

अक्टूबर 2020 तक मैं अपने परिवार तक ही सीमित थी

हाल ही में रैहाना ( Raihana Kappan ) ने एक मलयालम पत्रकार को मलप्पुरम जिले के वेंगारा स्थित अपने आवास से बताया था कि पति को जेल में रहते हुए दो साल ज्यादा हो गए। हमारे लिए जो बाहर रह रहे हैं, उनके लिए यह लंबी अवधि नहीं हो सकती है, लेकिन जेल में किसी के लिए यह कठिन है। इतने सालों के बाद न्याय मिले तो अच्छा नहीं है। रैहाना ने मलयालम पत्रकार को बताया कि कुछ समय के लिए कप्पन से मिलने और मामले को अंजाम देने के लिए उत्तर प्रदेश और दिल्ली की यात्रा करती रही। उन्होंने कहा था कि मैं अक्टूबर 2020 तक अपने परिवार तक ही सीमित थी लेकिन मुझे कप्पन की गिरफ्तारी के बाद बाहर निकलना पड़ा। ताकि उसे न्याय मिल सके।

हमारा परिवार ये भी नहीं जानता था कि अदालती मामले क्या होते हैं?

इससे पहले हमारे परिवार को पता नहीं था कि अदालती मामले क्या होते हैं। कई मायनों में पिछले दो साल के दौरान मुझे ऐसे कई अनुभव हुए हैं जिनसे मैं पहले पूरी तरह अनजान थी। मेरे पास पत्रकार और वकील बनने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था ताकि मैं कप्पन के लिए केस चला सकूं। मैं सीख रही हूं कि मामला क्या होता है और अदालती कार्यवाही क्या होती है?

पति की गिरफ्तारी के समय को याद करते हुए वह कहती हैं कि आखिरी बार उनके पास नियमित रूप से दैनिक फोन कॉल पर बातचीत 4 अक्टूबर 2020 को हुआ था। रैहाना ने पति से पूछा था कि अपनी दवा खाई थी या नहीं। यहां पर बता दूं कि सिद्दीकी कप्पन मधुमेह से पीड़ित हैं। 5 अक्टूबर को जब उसके कॉल और संदेशों का उत्तर नहीं मिला तो वह चिंतित हो गई। अगली सुबह एक पारिवारिक मित्र ने उसे बताया कि कप्पन को गिरफ्तार कर लिया गया है। तब भी उसने सोचा और मीडिया में उसके दोस्तों ने भी कहा कि वह जल्द ही रिहा हो जाएंगे लेकिन बाद में मुझे पता चला कि उन पर यूएपीए के आरोप लगाए गए थे। तब मुझे एहसास हुआ है कि किसी पर यूएपीए के आरोप लगाने से परिवार पर क्या असर पड़ता है।

मैं भारत माता की जय कहना चाहूंगी : Mehanaaj Kappan

वहीं 15 अगस्त यानि स्वतंत्रता दिवस पर जेल में बंद केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ( Siddiqui Kappan ) की 9 वर्षीय बेटी Mehanaaj Kappan का एक वीडियो आम नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों के बारे में बात करते हुए सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। कप्पन की बेटी ने अपना भाषण कुछ इस तरह से शुरू किया - मैं मेहनाज़ कप्पन हूं। एक पत्रकार की बेटी हूं। मेरे पिता को सभी भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध बुनियादी नागरिक अधिकारों से वंचित करके सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। वीडियो में मेहनाज़ ने धर्म और राजनीति पर आधारित हिंसा के बारे में बात की और कहा कि इसे प्यार और एकता के साथ जड़ से उखाड़ फेंका जाना चाहिए। हर भारतीय के पास यह तय करने का विकल्प है कि क्या बोलना है, क्या खाना है या किस धर्म को मानना है। यह सब महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह और अनगिनत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों और बलिदानों के कारण संभव हुआ है।

मेहनाज ( Mehanaaj Kappan ) ने उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए उनसे अपील की कि आम नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों को छीना नहीं जाए। भारत का गौरव किसी के सामने नहीं झुकना चाहिए। किसी भी अशांति की छाया को भी मिटा देना चाहिए। हम सभी को भारत को शीर्ष पर ले जाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमें बिना किसी मतभेद और संघर्ष के बेहतर कल का सपना देखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने 76वें स्वतंत्रता दिवस में कदम रख लिया है। इस विशेष अवसर पर एक अटूट गर्व और अधिकार के साथ एक भारतीय के रूप में मैं भारत माता की जय कहना चाहूंगी।

Siddiqui Kappan : बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका को अंतिम निपटान के लिए 9 सितंबर को तय किया और आज ही उन्हें जमानत भी मिल गई। दिल्ली के एक मलयाली पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को 5 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। तभी से वह जेल में है। सिद्दीकी कप्पन को केवल फरवरी 2021 में अपनी बीमार मां को देखने के लिए जमानत दी गई थी। उसी साल जून में उनकी मां खदीजा कुट्टी का निधन हो गया।

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