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Two finger Test : सोशल मीडिया पर SC के फैसले की हो रही तारीफ, अभिषेक मनु सिंघवी बोले - यह सबसे घटिया पितृसत्तात्मक प्रथा

Janjwar Desk
1 Nov 2022 10:51 AM IST
सोशल मीडिया पर हो रही टू फिंगर टेस्ट पर एससी के फैसले की तारीफ, अभिषेक मनु सिंघवी बोले - यह सबसे घटिया और पितृसत्तात्मक प्रथा
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सोशल मीडिया पर हो रही टू फिंगर टेस्ट पर एससी के फैसले की तारीफ, अभिषेक मनु सिंघवी बोले - यह सबसे घटिया और पितृसत्तात्मक प्रथा

Two Finger Test News : सोशल मीडिया पर लोग टू फिंगर टेस्ट के मसले पर शीर्ष अदालत ( supreme Court ) के फैसले को खुशी का इजहार करते हुए कहा कि यह देर से आया सही फैसला है।

Two Finger Test News : नौ साल पहले रेप मामले में टू फिंगर टेस्ट ( Two finger test ) पर रोक वावजूद देश के कई राज्यों में इस पर अमल जारी रहने पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने गंभीर चिंता जाहिर की है। अब शीर्ष अदालत ने आने ताजा फैसले में साफ कर दिया है कि टू फिंगर टेस्ट कराने वालों पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यह टेस्ट पीड़ित का दोबारा रेप जैसा मामला है। शीर्ष अदालत के इस फैसले पर सोशल मीडिया ( Social media users ) पर लोग खुशी का इजहार कर रहे हैं। लोगों ने इस फैसले का सही करार दिया है। हालांकि, सियासी मुद्दों की तुलना पर इस मसले पर ट्विट की संख्या बहुत कम है।

टू फिंगर टेस्ट नीच काम


सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ( Abhishek manu singhvi ) ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि टू फिंगर टेस्ट हमारे देश में सबसे घिनौनी, नीच और पितृसत्तात्मक प्रथा थी। यह रेप के पीड़िता का घोर अपमान के समान है।

निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन



बांग्लादेशी चर्चित लेखिका तसलीमा नसरीन ने सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार पीड़ितों के लिए महिला द्वेषपूर्ण 'टू-फिंगर टेस्ट' पर प्रतिबंध पर जारी अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि अवैज्ञानिक और अनैतिक टू-फिंगर कौमार्य परीक्षण महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और हिंसक प्रथा है। यह बलात्कार पीड़ितों के निजता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है।

अदालत के फैसले के बाद भी क्यों जारी है टेस्ट

फुलब्राइट प्रोग्राम के विजिटिंग चेयर प्रो. सुमित बौद्ध का कहना है कि इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप स्वागत योग्य है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) की अस्वीकृति और सरकार के प्रतिबंध के बावजूद #Twofingertest जारी है। सर्वोच्च अदालत के फैसले के उलट पुलिस वाले अब भी ये जांच करवा रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा क्यों हो रहा है। यह एक विचारनीय और गंभीर प्रश्न है।

वहीं अंबेडकराइट डॉ. गोपिका स्वर्णा बाई ने लिखा है कि अदालत का यह फैसला देर से ही सही, लेकिन सही फैसला है। एक अन्य ट्विटर यूजर अनुष्का सिंह रावत ने लिखा है कि कोर्ट के अनुसार #Twofingertest पितृसत्तात्मक है और इसे रोका जाना चाहिए। जो महिलाएं यौन रूप से सक्रिय हैं उनका बलात्कार नहीं किया जा सकता है। टू फिंगर टेस्टर बिल्कुल बकवास इसे हमेशा के लिए बंद कर देना चाहिए।

क्या है टू-फिंगर टेस्ट

टू फिंगर टेस्ट के तहत डॉक्टर रेप पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर टेस्ट करते हैं कि वह वर्जिन है या नहीं। यदि उंगलियां आसानी से चली जाती हैं तो माना जाता है कि वह सेक्सुअली एक्टिव थी। इससे वहां उपस्थित हाइमन का पता भी लगाया जाता है। अभी तक इसकी तीखी आलोचना होती रही है। यह किसी पीड़िता की गरिमा के खिलाफ है। साथ ही यह अवैज्ञानिक भी है। जानकार मानते हैं कि इससे यह पता लगा पाना मुश्किल होता है कि रेप हुआ है या नहीं।

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