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तरुण गोगोई ने NRC के खिलाफ डाली याचिका, 36 साल बाद काला कोट पहन बटोरीं थी सुर्खियां
File photo
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के निधन पर उन्हें याद कर रहे हैं दिनकर कुमार
जनज्वार। अपने जीवन के लिए दो महीने तक लंबी लड़ाई के बाद असम के तीन बार के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने सोमवार को 86 वर्ष की आयु में राज्य की राजधानी शहर के गौहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) में अंतिम सांस ली। कोरोना जटिलताओं से पीड़ित होने के चलते सोमवार को शाम 5:34 बजे 'मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर' के बाद उनकी मृत्यु हो गई।
पूर्व मुख्यमंत्री का राजकीय रूप से अंतिम संस्कार होगा। उनका पार्थिव शरीर दो दिन के लिए श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में रखा जाएगा जहां लोग दिवंगत आत्मा को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।
21 नवंबर को गोगोई को जीएमसीएच में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों की एक टीम द्वारा उनका उपचार चल रहा था। हालत बिगड़ने पर गोगोई को शनिवार रात को वेंटिलेशन पर रखा गया था।
गोगोई की डॉक्टर निज़रा देवी ने कहा, "तरुण गोगोई जमीन से जुड़े व्यक्ति थे और जानते थे कि आम लोगों से कैसे जुड़ना है। गोगोई हर श्रेणी के लोगों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना जानते थे।"
यहां यह उल्लेख करने की आवश्यकता है कि तरुण गोगोई 25 अगस्त को कोरोना संक्रमित घोषित किए गए थे और अगले दिन उनको जीएमसीएच में भर्ती कराया गया और उन्हें रक्त प्लाज्मा प्रत्यारोपण दिया गया। गोगोई का 20 दिनों तक इलाज किया गया और अंत में निगेटिव परिणाम आया। उनको एक बार फिर से उसी अस्पताल में 24 सितंबर को ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के बाद भर्ती कराया गया और अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में छुट्टी दे दी गई थी। गोगोई का जन्म 1 अप्रैल, 1934 को असम के जोरहाट जिले के रंगाजान टी एस्टेट में एक आहोम परिवार में हुआ था।
तरुण गोगोई ने लोकसभा के सांसद के रूप में छह कार्यकाल पूरे किए। उन्होंने पहली बार 1971-85 में जोरहाट सीट का प्रतिनिधित्व किया। 1976 में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के संयुक्त सचिव चुने जाने के बाद गोगोई राष्ट्रीय कद के साथ नेता बन गए। बाद में उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (1985-90) के महासचिव के रूप में कार्य किया।
गोगोई ने प्रधान मंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के केंद्रीय मंत्रिमंडल में खाद्य और प्रसंस्करण उद्योग विभाग में केंद्रीय राज्य मंत्री (1991-96) के रूप में कार्य किया। गोगोई असम विधान सभा के विधायक (एमएलए) के रूप में चार बार चुने गए। उन्होंने 1996-98 में पहली बार मार्घेरिटा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। गोगोई 2001 से तीताबर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे।
तरुण गोगोई 2001 में असम के मुख्यमंत्री चुने गए थे। उन्होंने राज्य चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में लगातार तीन बार चुनावी जीत हासिल करते हुए पार्टी का नेतृत्व किया।
असम में तीन दिन के शोक की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने गोगोई के मार्गदर्शन को याद करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि उन्होंने पिता को खो दिया है। सोनोवाल ने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिये थे और डिब्रुगढ़ से वापस लौटकर गोगोई से मिलने अस्पताल पहुंचे थे। यह असमिया संस्कृति की खूबसूरती ही है कि राजनीतिक विरोध के बावजूद दो पीढ़ी के नेता के बीच ऐसा अपनेपन का रिश्ता नजर आता है।
सोनोवाल ने कहा," उन्होंने आम लोगों की भलाई और उत्थान के लिए काम किया। व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है जैसे मैंने एक पिता को खो दिया है क्योंकि उन्होंने हमेशा एक पिता की तरह मेरा मार्गदर्शन किया और कभी-कभी आदेश भी दिए जैसा कि एक पिता अपने बेटे को देता है। आज हम सभी उस प्यार से वंचित हो गए हैं।"
राहुल गांधी ने उनके निधन पर ट्वीट करते हुए कहा, 'तरुण गोगोई एक सच्चे कांग्रेसी नेता थे। उन्होंने अपना जीवन असम के सभी लोगों और समुदायों को एक साथ लाने के लिए समर्पित कर दिया। मेरे लिए, वह एक महान और बुद्धिमान शिक्षक थे। मैं उन्हें बहुत प्यार करता था और उनका सम्मान करता था। मैं उन्हें मिस करूंगा। गौरव और परिवार के प्रति मेरा प्यार और संवेदना।"
रंगजन टी एस्टेट में मेडिकल प्रैक्टिशनर पिता डॉ कमलेश्वर गोगोई और कवियत्री मां उषा गोगोई की संतान तरुण गोगोई ने अपने माता-पिता से अलग अपना करियर एक वकील के तौर पर शुरू किया। तरुण गोगोई ने 1963 में असम की गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलबी की और उसके बाद सामाजिक कार्यों और राजनीति में गहरी रुचि रखने लगे।
असम राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाने वाले तरुण गोगोई ने अपने व्यस्त समय में से एक बागवानी और किताबों को खूब वक्त दिया। उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था, इसके अलावा खेलों के प्रति भी उनकी रुचि जब-तब दिखती रहती थी। टेनिस और फुटबॉल उनके प्रिय खेल थे।
तरुण गोगोई अखिल असम मोइना परिजात, बच्चों के संगठनों और भारत युवक समाज के पूर्व कोषाध्यक्ष रह चुके थे। हाल ही में एनआरसी को लेकर वो तब चर्चित रहे थे जब उन्होंने इसके विरोध में याचिका डाली थी और 36 साल बाद फिर से काला कोट पहनकर कोर्ट पहुंचने को मीडिया में छा गये थे।
गोगोई ने कहा था, 'एनआरसी गलतियों से भरा पड़ा है। विदेशियों की पहचान करने के बजाय इसने भारतीयों को विदेशी बना दिया, जिनके पास सभी वैध दस्तावेज थे। सूची से बाहर किए गए इन 19 लाख लोगों का भविष्य अब पूरी तरह से अनिश्चित है।'