12 साल में अनिल अंबानी के कंगाल होने की कहानी, राजनीति में कदम रखते ही शुरू हो गई थी उल्टी गिनती
नई दिल्ली। कभी देश के शीर्ष अरबपतियों में शामिल रहे अनिल अंबानी अब कंगाल हो चुके हैं। अनिल अंबानी की ये हालत महज दो चार सालों में नहीं हुई बल्कि 12 वर्षों में उन्हें एक के बाद एक झटके लगे हैं। अब हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि फोर्ब्स के द्वारा इस साल जारी की गई 2000 अरबपतियों की सूची में भी उनका नाम नहीं है।
बाजार के विशेषज्ञ मानते हैं कि अनिल अंबानी की ये हालत पारिवारिक बिजनेस में बंटवारे के बाद हुई है। अनिल अंबानी के हिस्से में जो भी कंपनियां आईं, उन्होंने उनपर कम ध्यान दिया जबकि दूसरी ओर कई नए क्षेत्रों और मेगा प्रोजेक्ट्स में जमकर निवेश किया। खराब कारोबार की वजह से एक के बाद उनकी कंपनियां डूबती चली गईं। कुछ कंपनियां दिवालिया हो गईं तो कुछ को बेच दिया गया।
बता दें कि साल 2017 में रिलायंस कम्युनिकेशन ने अपना वायरलेस बिजनेस बंद किया था। इसके बाद 2019 में रिलायंस कैपिटन ने अपना म्यूचुअल फंड बिजनेस बेच दिया। साल 2020 के शुरुआत में रिलायंस पावर 685 करोड़ का लोन चुकाने में डिफॉल्ट हो गई। इसके अलावा रिलायंस इंफ्रा भी करीब 150 करोड़ के कर्ज में फंस गई।
इस तरह अनिल अंबानी को एक के बांद एक झटके मिलते गए। जुलाई 2020 में करीब 2900 करोड़ का बकाया लोन नहीं चुकाने पर येस बैंक ने अनिल अंबानी ग्रुप का हेडक्वार्टर पर कब्जा कर लिया। इसके अलावा जून में भारतीय स्टेट बैंक ने 1200 करोड़ रुपये की कॉरपोरेट लोन की वसूली के लिए अनिल अंबानी को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में खींचा था।
रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल को दिए गए कर्ज के लिए अनिल अंबानी ने निजी गारंटी दी थी। इस साल ब्रिटेन में अनिल अंबानी के वकीलों बताया था कि रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी कभी भारत के अमीर उद्योगपतियों में थे, लेकिन अब नहीं हैं।
पिता के बिजनेस के बंटवारे से पहले अनिल अंबाई आरआईएल यानि रिलायंस इंडस्ट्रीय के प्रमुख चेहरा थे। जिम्मेदारियों का बंटवारा हुआ तो अनिल अंबानी ने आरआईएल के लिए दुनियाभर के मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए फंड इकट्ठा करना था। जबकि मुकेश अंबनी आरआईएल के चेयरमैन बने। अनिल अंबानी को सरकार और मीडिया को मैनेज करने का काम दिया गया।
अनिल अंबानी जब राज्यसभा के सांसद बने तो उनका राजनीति में कदम रखना मुकेश अंबानी को पसंद नहीं आया। मुकेश उन्हें आरआईएल के बिजनेस में ही पूरी तरह से देखना चाहते थे। इसके बाद दोनों भाईयों के बीच दरार बढ़ती गई। साल 2004 में हालत यहां तक पहुंच गई थी कि दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे।
दोनों भाइयों के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए उनकी मां कोकिला बेन सुलह के लिए आगे आईं। अनिल अंबानी को परिवार के व्यावसायिक बंटवारे के बाद जून 2005 में टेलीकॉम, इंफ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंसियल सर्विसेज का बिजनेस मिला। बंटवारे के बाद अनिल अंबानी कई मेगा प्रोजेक्ट्स को लेकर अति महत्वाकांक्षी दिखे। इसके लिए उन्होंने भारतीय बैंकों से खूब लोन लिया।
अनिल अंबानी साल 2006 से 2008 के बीच देश के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की बोली को लेकर व्यस्त थे। इसमें दादरी में गैस आधारित मेगा पॉवर प्रोजक्ट, मेट्रो ट्रेन, कोयला आधारित मेगा पावर प्रोजेक्ट भी शामिल थे। अनिल अंबानी ने एंटरटेनमेंट बिजनेस में भी बड़े पैमाने पर निवेश किया। उन्होंने हॉलीवुड फिल्मेकर स्टीवन स्पीलबर्ग की कंपनी ड्रीम वर्क्स को 83.5 करोड़ डॉलर में खरीद लिया।
साल 2007 में अनिल अंबानी ने रिलायंस पावर के शेयर को बिक्री के लिए लॉन्च किया। अधिक प्रीमियम के बावजूद निवेशकों ने इसमें जोरदार उत्साह दिखाया। कंपनी के शेयरों की बिक्री और रिलायंस पावर की लिस्टिंग से अनिल अंबानी देश के अरबपतियों की लिस्ट में टॉप में शामिल हो गए। साल 2007-2008 में उनकी संपत्ति और मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में बहुत कम का ही अंतर था।