सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना पीआईएल को बताया 'Personal Interest Litigation', क्यों?
Supreme Court : अदालती कार्रवाई की रिपोर्टिंग को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मीडिया के कुछ वर्गों ने दिल्ली प्रदूषण मामले में जजों को खलनायक के रूप में पेश करने के लिए उनकी टिप्पणियों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है। दिल्ली प्रदूषण संकट के बीच स्कूल खोलने के मुद्दे पर जजों की ओर से दिए गए बयान को मीडिया में रिपोर्ट किया गया उस पर सीजेआई एनवी रमना (CJI NV Ramana), जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ ने विशेष रूप से आपत्ति जताई। खंडपीड राजधानी दिल्ली में हवा की बिगड़ती गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए आपात उपाय संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।
सीजेआई रमना ने कहा- एक चीज जो हमने देखी है, पता नहीं यह जानबूझकर है या नहीं, ऐसा लगता है कि मीडिया के कुछ वर्ग के लोग ऐसे प्रोजेक्ट करने की कोशिश करते हैं जैसे कि हम खलनायक हैं, जो स्कूलों को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
सीजेआई ने साफ किया कि कोर्ट ने कभी भी दिल्ली सरकार को स्कूल बंद करने का निर्देश नहीं दिया और फैसला सरकार ने ही लिया है। सीजेआई ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को बताया, हमने कभी सुझाव नहीं दिया, आपने एक निर्णय लिया और हमसे वादा किया कि आप ऐसा करेंगे। आपने कहा था कि स्कूल और कार्यालय आदि बंद कर रहे हैं और आज के समाचार पत्र देखें। वहीं अधिवक्ता सिंघवी ने भी अपनी पीड़िता को व्यक्त करते हुए अदालत को बताया कि एक अखबार ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट का इरादा दिल्ली सरकार से प्रशासन को संभालने का है।
कानूनी मामलों की समाचार वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सिंघवी ने कहा- यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लॉर्डशिप को दोष वहां देना चाहिए जहां यह है। सुनवाई रचनात्मक तरीके से हुई और एक अखबार ने बताया कि कल की सुनवाई आक्रामक लड़ाई थी जैसा कि लॉर्डशिप प्रशासन को संभालने का इरादा रखता है। इसके बाद सीजेआई ने जवाब दिया- प्रेस की स्वतंत्रता हम छीन नहीं सकते, हम कुछ नहीं कह सकते। वे ट्विस्ट कर सकते हैं, कुछ भी लिख सकते हैं, वे कुछ भी उठा सकते हैं। आप एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं और कुछ कह सकते हैं, हम नहीं कर सकते। कुछ वर्गों ने इस तरह से पेश किया जैसे कि हम छात्रों और शिक्षा के लिए कल्याणकारी उपाय करने में रुचि नहीं रखते हैं।
सीजेआई ने सिंघवी से कहा- आपको अपनी बात कहने और जो कुछ भी आप कहना चाहते हैं उसकी निंदा करने की स्वतंत्रता है। हम ऐसा नहीं कर सकते ना? हमने कहां कहा कि हम प्रशासन को संभालने में रुचि रखते हैं। इसके बाद सिंघवी ने अखबार के लेख का जिक्र करते हुए कहा कि यह अनुमान लगाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को पूरी तरह से फटकार लगाई और प्रशासन को संभालने की धमकी दी। जब न्यायालय ने प्रेस रिपोर्टिंग की अनुमति दी है तो कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए।
इसके बाद जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि न्यायिक बुनियादी ढांचे से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने केंद्र को एक राष्ट्रीय निकाय बनाने पर विचार करने का सुझाव दिया था ताकि हाईकोर्ट को राज्य सरकारों पर निर्भर न रहना पड़े। हालांकि उसपर की गई रिपोर्टिंग की एक हेडलाइन थी कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट को राज्य सरकारों के पास भीख का कटोरा ले जाना पड़ता है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा - हमने देखा है कि कैसे हाईकोर्ट काम करते हैं। हमें कुछ रचनात्मक करना है लेकिन देखिए अदालत में कही चीजों को कैसे वहां ट्विस्ट किया जा रहा है।