सुप्रीम कोर्ट का सिंघु बॉर्डर को खाली कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार, कहा हाईकोर्ट में जाओ
जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के चलते बंद हरियाणा से दिल्ली को जोड़ने वाली सड़क सिंघु बॉर्डर को खाली कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सुझाव दिया है कि वे अपनी अर्जी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दायर करें।
याचिका में कहा गया था कि सड़क कई महीनों से बंद है इसलिए सुप्रीम कोर्ट सरकार से सड़क खोलने का निर्देश या फिर दूसरी सड़क बनाने का आदेश जारी करे, ताकि लोगों का आना जाना आसानी से होता रहे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हमारे लिए इस मामले में दखल देने की कोई वजह नहीं है। जब हाईकोर्ट मौजूद हैं और वे स्थानीय परिस्थितियों के बारे में पूरा जानकारी रखते हैं कि आखिर क्या हो रहा है। हमें हाईकोर्ट पर भरोसा करना चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वे हाईकोर्ट का रुख करें। इसके बाद उनकी ओर से अर्जी को वापस ले लिया गया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को छूट है कि वह हाईकोर्ट में अर्जी दायर करे। हाईकोर्ट भी आंदोलन की आजादी और मूलभूत सुविधाओं तक लोगों की पहुंच के मुद्दे को डील कर सकते हैं।'
कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट आंदोलन के अधिकार और अन्य लोगों के हकों के बीच संतुलन की बात कर सकता है। दरअसल सोनीपत के रहने वाले याचिकाकर्ता जयभगवान ने कहा था कि इस आंदोलन के चलते शहर के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग बंद है।
याची की ओर से पेश वकील अभिमन्यु भंडारी ने कहा कि सिंघु बॉर्डर सोनीपत के लोगों की आवाजाही के लिए अहम है और इस आंदोलन के चलते उनके मूवमेंट के अधिकार पर रोक लग रही है। उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन के खिलाफ नहीं है, लेकिन सड़कों को बंद करने से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते नौ महीने से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। सिंघु बॉर्डर पर भी किसान आंदोलन पर बैठे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर किसानों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में पंचायतें करनी भी शुरु कर दी हैं। रविवार 5 अगस्त को मुजफ्फर नगर में किसान महापंचायत आयोजित की गई जिसमें देशभर से लाखों किसान शामिल हुए।
आगामी वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। जिसके लिए कुछ महीनों का ही समय शेष है ऐसे में किसानों का लगातार जारी आंदोलन सरकार के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है।