Tamil Nadu News : स्कूली छात्रा की आत्महत्या के मामले में जुड़ा नया विवाद, ईसाई मिशनरी स्कूल पर लगा धर्मांतरण का आरोप
स्कूली छात्रा की आत्महत्या के मामले में जुड़ा नया विवाद
Tamil Nadu News : तमिलनाडु में स्कूली लड़की की मौत में अब नया विवाद जुड़ता दिखाई दे रहा है। दक्षिणपंथी संगठनों ने आरोप लगाया है कि इस मामले में धर्मांतरण की भूमिका भी है। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया है। बता दें कि तमिलनाडु के एक ईसाई मिशनरी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली 17 साल की छात्रा ने 9 जनवरी को आत्महत्या की कोशिश की और 10 दिनों में उसकी मौत हो गई।
सरकारी अस्पताल में तोड़ा दम
बता दें कि जिस स्कूल में छात्रा पढ़ती थी, वह स्कूल तंजावुर जिले के तिरुकट्टप्पाल्ली में है। यह स्कूल राज्य की राजधानी चेन्नई से 355 किलोमीटर दूर है। लड़की अरियालुर जिले की रहने वाली थी। स्कूल में वह आठवीं क्लास में पढ़ रही थी। वह इसी स्कूल के हॉस्टल में रहती थी।
स्कूल प्रशासन का कहना है कि 9 जनवरी को लड़की को उल्टी होनी शुरू हुई तो माता-पिता को सूचित किया गया। जिसके बाद लड़की के माता-पिता उसे गांव लेकर आ गए और स्थानीय अस्पताल में उसका इलाज करवाया। इलाज के दौरान जब लड़की की सेहत और खराब होने लगी तो उसे जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लड़की ने 19 जनवरी को दम तोड़ दिया।
बीजेपी अध्यक्ष ने किया ट्वीट
लड़की की मौत के अगले दिन तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई ने ट्वीट कर कहा कि 'उसे धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया था, इसलिए उसने आत्महत्या कर ली।' बीजेपी अध्यक्ष ने अपने ट्वीट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया था। इस वीडियो में लड़की बोलती हुई दिख रही है कि 'मेरे सामने मेरे माता-पिता को इन्होंने कहा कि वह मुझे ईसाई बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ईसाई बनने के बाद वे मेरी शिक्षा का ख्याल रखेंगे। इसके बाद से वह मुझे हमेशा डांटने लगे।'
लड़की ने इस वीडियो में एक नन का नाम भी लिया है और कहा है कि वह धर्म बदलने के लिए कहती थी। बता दें कि इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं हुई है। बीजेपी कार्यकर्ता, विश्व हिंदू परिषद और हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े लोग इस वीडियो को तेजी से शेयर करने लगे लेकिन कई संगठनों ने वीडियो के शोध को लेकर कई सवाल और संदेह जताना शुरू कर दिया। फिलहाल इस वीडियो की जांच पुलिस कर रही है।
एफआईआर में धर्मांतरण का आरोप शामिल नहीं
इस मामले की जांच में पुलिस जो कुछ भी कह रही है, वह दक्षिणपंथी संगठनों के दावों से मेल नहीं खाता है। बता दें कि तंजावूर की एसपी रावली प्रिया ने मीडिया में एक बयान जारी किया था। एसपी ने अपने बयान में कहा था कि ;जब लड़की का इलाज हो रहा था तो मैजिस्ट्रेट को लड़की का बयान मिला था। इस बयान में उसने धर्मांतरण की कोई बात नहीं कही थी। लड़की के माता-पिता ने भी ऐसा कुछ नहीं कहा था। मजिस्ट्रेट को भी धर्मांतरण के दबाव के आरोप को लेकर कुछ नहीं मिला है इसलिए एफआईआर में धर्मांतरण के आरोप को शामिल नहीं किया गया है।
लड़की द्वारा दिया गया बयान
बीबीसी में छपी खबर के अनुसार लड़की ने इलाज के दौरान मजिस्ट्रेट को बयान दिया था। जिसमें लड़की ने कहा था कि 'हॉस्टल की एक वार्डेन मुझे लगातार स्कूल के खातों की जानकारी लिखने के लिए कहती थी और पढ़ने नहीं देती थी। खर्च की गई कोई जानकारी छूट जाती थी तो वार्डेन शक करती थी और डांटती थी।'
लड़की द्वारा दिए गए बयान से साफ होता है कि उसने 9 जनवरी को खुदकुशी करने की कोशिश तक की जब उसे क्रिसमस की छुट्टी पर घर नहीं जाने दिया गया और उसे हॉस्टल का खर्च लिखने के लिए रखा गया।
माता पिता ने लगाया धर्मांतरण का आरोप
वहीं पुलिस ने इस मामले में एक और मुकदमा दर्ज किया है। इसमें पुलिस उनके खिलाफ जांच कर रही है, जो लोग हॉस्पिटल बेड से बोल रही लड़की के वीडियो को शेयर कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि पोक्सो एक्ट के तहत यह आपराधिक कृत्य है।
वहीं इन सब के बीच लड़की के माता-पिता ने एक दूसरे शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि लड़की को धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया इसलिए उसने आत्महत्या की कोशिश की होगी।
वीडियो शेयर करने के मामले में एफआईआर
मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार त्रिची जोन आई जी बालकृष्णन का कहना है कि हॉस्टल की वार्डेन को लड़की के माता-पिता की शिकायत पर गिरफ्तार कर लिया गया है। इन्होंने लड़की को प्रताड़ित करने और दूसरे काम करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है। पुलिस द्वारा जांच की जा रही है। वही लड़की के माता-पिता ने दूसरी शिकायत दर्ज कराई है। जिसमें उनका कहना है कि लड़की पर धर्मांतरण का दवाब बनाया गया। इसकी भी जांच जारी है।
इसके साथ ही बालकृष्णन ने बताया कि विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी के खिलाफ भीएफआईआर दर्ज की गई है। बता दें कि ये एफआईआर वीडियो शेयर करने के मामले को लेकर दर्ज है।
वीडियो से उलझ रहा है मामला
लड़की के माता-पिता ने मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच से संपर्क किया और इस मामले को सीबीसीआईडी (CBCID) के हवाले करने की मांग की है। बता दें कि अदालत ने विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष मुथुवेल से मोबाइल फोन जमा करने और जांच में सहयोग करने के लिए कहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इन्होंने ही हॉस्पिटल में इलाजरत लड़की का वीडियो बनाया था। कोर्ट के आदेश के बाद मुथुवेल ने अपना मोबाइल फोन जमा कर दिया है।
दूसरे वीडियो से मामला बिल्कुल उलझ गया है। इस वीडियो में लड़की कह रही है कि उसने आत्महत्या इसलिए की क्योंकि सिस्टर हमेशा स्कूल के खर्चों का ब्यौरा लिखने के लिए कहती थी। लड़की वीडियो में कह रही है कि वह बाद में करने के लिए कहती थी लेकिन सिस्टर नहीं सुनती थी।
साथ इस वीडियो में लड़की ने कहा है कि सिस्टर पहले खाता का ब्यौरा लिखने के लिए कहती थी, तब कुछ और काम करने देती थी। इस वीडियो को शूट करने वाला पूछ रहा है कि क्या स्कूल में बिंदी नहीं लगाने या ऐसी कोई और बात नहीं गई। तब इसके जवाब में लड़की ने कहा कि नहीं उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था।
शिक्षा विभाग ने सौंपी रिपोर्ट
जिला शिक्षा विभाग ने अपनी जांच की रिपोर्ट सौंपी है और यह रिपोर्ट मीडिया में भी प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 'पिछले 10 साल में जिला शिक्षा अधिकारियों और मुख्य शिक्षा अधिकारियों ने इस स्कूल की 16 बार जांच की है। यहां के छात्रों ने धर्म को लेकर कोई शिकायत नहीं की थी। इस स्कूल का संचालन भले अल्पसंख्यक समुदाय से हो रहा है लेकिन पढ़ने वाले ज्यादातर लोग हिंदू हैं। स्कूल के भीतर धार्मिक अभियान जैसी कोई बात नहीं है।'
वहीं दूसरे वीडियो में खुदकुशी की अन्य वजह और शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट आने के बाद दक्षिणपंथी विरोधी खेमा धर्मांतरण के आरोप पर भारतीय जनता पार्टी को घेर रहा है। बीजेपी से माफी मांगने को कहा जा रहा है। इनका कहना है कि भाजपा ने राजनीतिक हित साधने के लिए झूठा इल्जाम लगाया है।
बीजेपी की जांच टीम का पक्ष
इस मामले में ऐसा लग रहा है कि बीजेपी इस मुद्दे को छोड़ने के पक्ष में नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मामले की जांच के लिए 4 सदस्ययी एक जांच टीम बनाई है। इस टीम में मध्य प्रदेश से सांसद संध्या राय, तेलंगाना से विजयाशांति, महाराष्ट्र के चित्रा ताई वाघ, और कर्नाटक से गीता विवेकानंद शामिल हैं।
ग्रामीणों ने दर्ज कराई शिकायत
मिचाइलपट्टी, जहां स्कूल स्थित है, वहां के लोगों ने बीते गुरुवार को डीएम के पास एक शिकायत दर्ज कराई है। ग्रामीणों का कहना है कि वे सद्भावना बिगाड़ने वाली किसी भी तरह की जांच के खिलाफ है। वहीं स्कूल की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि स्कूल बहुत ही प्रतिष्ठित संस्थान है और धर्मांतरण का आरोप सस्ते राजनीतिक प्रॉपेगैंडा के लिए है।
मामले में उठ रहे हैं कई सवाल
इस मामले में एक सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि हॉस्पिटल में जब लड़की का इलाज चल रहा था तो विश्व हिंदू परिषद के प्रतिनिधि मुथुवेल ने वीडियो कैसे शूट किया। ऐसा कहा जा रहा है कि उन्होंने चार वीडियो शूट किए थे और एक जारी किया है। हालांकि उन्होंने अपना फोन पुलिस को सौंप दिया है। 1 दिन बाद दूसरा वीडियो मीडिया में जारी हुआ। दूसरे वीडियो में लड़की कह रही है कि उसने अपनी जान देने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उससे हॉस्टल में काम करवाया जाता था। दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि पुलिस ने खुद ही मीडिया में दूसरा वीडियो जारी करवाया था।
कानून के जानकारों की राय
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सीनियर वकील सुधार रामलिंग का कहना है कि पीड़ित का बयान मजिस्ट्रेट या डॉक्टर दर्ज कर सकते हैं और अगर पीड़ित नाबालिक है तो उसकी पहचान जाहिर नहीं की जा सकती है। इस मामले में कोई तीसरा पक्ष वीडियो शूट नहीं कर सकता है। इस तरह से वीडियो शूट करने के मामले में कानून कुछ नहीं कहता है लेकिन जिस तरह से वीडियो जारी कर पीड़िता की पहचान सार्वजनिक की गई वह अपराध है, इसकी जांच में चाहिए।
साथ ही उन्होंने कहा है कि पूरे मामले को बहुत ही खराब तरीके से हैंडल किया गया है। आगे उन्होंने कहा है कि 'अगर बच्चे को खुदकुशी के लिए मजबूर होना पड़ा तो जिम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए। जांच के बाद ही कुछ पता चल पाएगा। इससे पहले इस मामले को धार्मिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए।'