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Terror Funding Case : अलगाववादी नेता यासीन मलिक को फांसी या उम्रकैद? थोड़ी देर में कोर्ट कर सकती है सजा का ऐलान

Janjwar Desk
25 May 2022 7:07 AM GMT
Yasin Malik Verdict : यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा और 10 लाख का जुर्माना
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Yasin Malik Verdict : यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा और 10 लाख का जुर्माना

Terror Funding Case : कोर्ट ने माना है कि मलिक ने आजादी के नाम पर जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनियाभर में नेटवर्क स्थापित किया था....

Terror Funding Case : जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन जेकेएलएफ (Jammu Kashmir Liberation Front) के चेयरमैन यासीन मलिक (Yasin Malik) को दिल्ली की एनआईए कोर्ट (NIA Court) में लाया गया है। यासीन मलिक को कोर्ट आज सजा सुना सकता है। इससे पहले कोर्ट ने गुरूवार को टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराया था। यासीन मलिक ने सुनवाई के दौरान कबूल किया था कि वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था।

थोड़ी देर में कोर्ट यासीन मलिक को सजा सुना सकती है। पटियाला कोर्ट (Patiala Court) परिसर की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। कोर्ट के बाहर सीएपीएफ, स्पेशल सेल की तैनाती की गई है।

कोर्ट ने माना है कि मलिक (Yasin Malik) ने आजादी के नाम पर जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने (Terror Funding Case) के मकसद से दुनियाभर में नेटवर्क स्थापित किया था। एनआई ने इस मामले का सुओ मोटो लेते हुए 30 मई 2017 को केस को दर्ज किया था। इस मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ 18 जनवरी 2018 को चार्जशीट फाइल की गई थी।

एनआईए ने कोर्ट में कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने पाकिस्तानी आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला करके घाटी में बड़े स्तर पर हिंसा को अंजाम दिया।

वहीं यासीन मलिक ने कोर्ट में कहा था कि वह यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधि), 17 (आतंकवादी गतिविधि के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने) व 124-ए (देशद्रोह) के तहत खुद पर लगे आरोपों को चुनौती नहीं देना चाहता।

यासीन मलिक को उसके गुनाहों पर सजा दोपहर तीन बजे सुनाई जाएगी। कोर्ट क्या फैसला देता है इसपर सभी नजरें बनी हुई हैं। हालांकि मलिक को इन मामलों में अधिकतम मौत की सजा भी हो सकती है जबकि कम से कम उम्रकैद की सजा तय मानी जा रही है।

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