पॉलिश गेहूं बेचते थे आरोपी, जज ने वकील से कहा आप खाकर दिखाइए और जमानत ले जाइए
वरिष्ठ अधिवक्ता एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक और पूरक अर्जी दायर कर पेगासस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच की मांग की।
जनज्वार डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल भारत में हम स्वास्थ्य चिंताओं को लेकर उदासीन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने खाद्य पदार्थ में मिलावट के एक मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई से इनकार करते हुए ये टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने वकील से कहा कि क्या आप अपने क्लाइंट का खाद्य पदार्थ खाने को तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुवाई वाली बेंच के सामने मध्यप्रदेश के नीमूच जिले के दो याचिकाकर्ता प्रवर गोयल और विनित गोयल की ओर से ओर से अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आपकी अर्जी पर हम विचार करने के लिए तैयार हो जाएंगे अगर आप या आपकी फैमिली उस खाद्य सामग्री को खाने के लिए तैयार हैं जो आपका क्लाइंट बेचता है।
याचिकाकर्ता के वकील इस पर चुप से हो गए और फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अग्रिम जमानत की अर्जी पर विचार के लिए तैयार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि हम इस तरह के मामले में विचार को तैयार नहीं हैं। तब याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अर्जी वापस लेना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने याची के वकील से कहा कि क्या आप और आपकी फामिली ये सामग्री खाने को तैयार है। अगर हां तो हम जमानत के लिए तैयार हैं। अदालत ने कहा कि आपको जवाब देने में दिक्कत क्यों हो रही है। लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया जाए? हम आपकी अर्जी पर क्यों विचार करें।
याचिकाकर्ता के वकील ने मामले की सुनवाई के दौरान गुहार लगाई थी कि खाद्य पदार्थ में मिलावट का मामला जमानती है ऐसे में उनके क्लाइंट के गिरफ्तारी का औचित्य नहीं है। धोखाधड़ी का भी आरोप है और वह गैर जमानती है ऐसे में अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए।
दोनों आरोपियों पर आरोप है कि दोनों पॉलिश वाले गेहूं बेचते थे। उसमें किया जाने वाला रंगरोगन खाने वाले नहीं थे। दिसंबर में हुई रेड में सैकड़ों किलोग्राम पॉलिस किया हुआ गेहूं बरामद किया गया था। दोनों पर मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचेन का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य के मामले में सिर्फ भारत में लिबरल रवैया है।