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BJP की खरीद-फरोक्त से बचने के लिए कांग्रेस ने असम के महाजोत उम्मीदवारों को राज्य से भेजा बाहर

Janjwar Desk
16 April 2021 4:39 AM GMT
BJP की खरीद-फरोक्त से बचने के लिए कांग्रेस ने असम के महाजोत उम्मीदवारों को राज्य से भेजा बाहर
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बीपीएफ ने इस बात से इनकार किया कि उसे डर है भाजपा उसके जीते हुए विधायकों को खरीद सकती है। इसके विपरीत उसने यह दावा किया है कि भाजपा की सहयोगी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) से संबंधित बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के पांच-छह सदस्य इसके संपर्क में बने हुए हैं...

वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार का विश्लेषण

जनज्वार। एआईयूडीएफ के राजस्थान में अपने उम्मीदवारों को स्थानांतरित करने के बाद असम में कांग्रेस के नेतृत्व वाले महाजोत (महागठबंधन) के एक अन्य सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने अस्थायी रूप से अपने उम्मीदवारों को विदेश भेज दिया है। पार्टी सूत्रों ने यहां इसकी जानकारी दी।

बीपीएफ नेता और पूर्व समाज कल्याण मंत्री प्रमिला रानी ब्रह्मा ने कहा, सभी 12 बीपीएफ उम्मीदवारों को पड़ोसी देश में स्थानांतरित कर दिया गया है। बीपीएफ अध्यक्ष हाग्रामा मोहिलारी उम्मीदवारों के साथ गए हैं। हालांकि, मुझे नहीं पता कि वे किस देश में गए हैं।

गुवाहाटी में विभिन्न मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के 16 निर्वाचित सदस्यों के साथ बीपीएफ उम्मीदवार भूटान या सिंगापुर गए हैं। पिछले हफ्ते ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के लगभग 19 उम्मीदवारों को कांग्रेस शासित राजस्थान में स्थानांतरित कर दिया गया था। एआईयूडीएफ और बीपीएफ नेताओं ने कहा कि भाजपा द्वारा संभावित खरीद-फरोक्त को विफल करने के लिए, उन्होंने अपने उम्मीदवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है। असम विधानसभा चुनाव के नतीजे अभी एक पखवाड़े से ज्यादा दूर हैं, जबकि महाजोत के कई उम्मीदवार राज्य के बाहर 'छुट्टी' पर है क्योंकि वे सतर्कता बरत रहे हैं।

खरीद-फरोख्त के खतरे की बात करते हुए पहले एआईयूडीएफ ने 17 नेताओं को जयपुर के फेयरमोंट रिसोर्ट में भेज दिया। इसी रिसोर्ट में पिछले साल जुलाई में दो महीने तक राजस्थान के राजनीतिक उठापटक का नाटक चला था। अब बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के कई उम्मीदवारों ने गुवाहाटी छोड़ दिया है, हालांकि उनका ठिकाना अटकलों का विषय बना हुआ है - भूटान, सिक्किम, यहां तक ​​कि सिंगापुर या कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़। कुछ रिपोर्टों के अनुसार कोविड के प्रकोप के कारण सिंगापुर भेजने की योजना निरस्त की गई।

वैसे बीपीएफ ने इस बात से इनकार किया कि उसे डर है कि भाजपा उसके जीते हुए विधायकों को खरीद सकती है। इसके विपरीत उसने यह दावा किया है कि भाजपा की सहयोगी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) से संबंधित बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के पांच-छह सदस्य इसके संपर्क में बने हुए हैं।

पार्टियों की आधिकारिक सफाई यह है कि उनके उम्मीदवारों को व्यस्त प्रचार के कई महीनों के बाद 'ब्रेक' की आवश्यकता थी। एआईयूडीएफ के महासचिव चंपक कलिता ने कहा--वे आराम करने के लिए एक व्यक्तिगत यात्रा पर गए हैं। वे जल्द ही वापस आ जाएंगे, और कुछ तो पहले ही वापस आ चुके हैं। बीपीएफ के महासचिव प्रबीन बोरो ने कहा--हमारे कुछ उम्मीदवार छत्तीसगढ़ गए हैं, कुछ सिक्किम और कुछ भूटान गए हैं। तथ्य यह है कि हर कोई चुनाव के बाद एक ब्रेक का हकदार है।

बोरो ने कहा कि मीडिया पिछले साल बीटीसी चुनावों के दौरान भाजपा की हरकतों के चलते और तामुलपुर में दलबदल की घटना को देखते हुए हॉर्सट्रेडिंग की आशंकाओं के बारे में गलत अनुमान लगा रही है। दिसंबर 2019 में भाजपा ने 40-सदस्यीय स्वायत्तशासी परिषद बीटीसी के चुनावों में स्पष्ट बहुमत हासिल किया था, लेकिन भाजपा और यूपीपीएल ने काफी उठापटक के बाद परिषद पर नियंत्रण करने में कामयाबी हासिल की। उस समय नव निर्वाचित नेताओं को रिसॉर्ट्स और होटलों में ले जाया गया। हाल ही में 6 अप्रैल को असम चुनाव के तीसरे चरण से ठीक एक सप्ताह पहले बीपीएफ के तामुलपुर के उम्मीदवार रंगजा खुंगुर बसुमतरी ने पाला बदल लिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे।

यूपीपीएल के बारे में बोरो ने तर्क दिया कि उसके नेताओं के लिए बीपीएफ के करीब आना स्वाभाविक ही है। "जब महाजोत दिसपुर में सरकार बनाएगी, तो यूपीपीएल के लिए बीटीसी में सत्ता हासिल करने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। यही कारण है कि यूपीपीएल के सदस्य हमारे पास पहुंच रहे हैं, यहां तक ​​कि वे निश्चित हैं कि असम में महाजोत की सरकार बनेगी।" इससे पहले, जयपुर जाने वाले पार्टी उम्मीदवारों में से एक एआईयूडीएफ के करीम उद्दीन बारभूइया ने कहा था कि भाजपा के पांच-छह विधायक महाजोत के संपर्क में थे।

एआईयूडीएफ के एक सूत्र के अनुसार भाजपा के भीतर आंतरिक संघर्ष बढ़ गया है। मुख्यमंत्री पद के लिए स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण भाजपा विधायक महाजोत के करीब आ रहे हैं। आंतरिक संघर्ष के कारण आ रहे हैं।

असम कांग्रेस के प्रवक्ता रितुपुर्ना कोंवर ने एआईयूडीएफ और बीपीएफ की दलील को दोहराते हुए कहा कि इन दलों के नेताओं को आराम करने के लिए समय की आवश्यकता है, जबकि कांग्रेस से कोई भी बाहर नहीं गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि जब भाजपा की बात हो तो सावधानी बरतनी होगी और सतर्क रहना पड़ेगा। "भाजपा हमेशा खरीद-फरोख्त करती है। उसे कभी बहुमत नहीं मिला, लेकिन वह सरकार बनाने का प्रबंधन करती रही है, जैसे उसने गोवा और मणिपुर में किया। हम शत प्रतिशत सुनिश्चित हैं कि कोई नहीं बिकेगा लेकिन आप भाजपा पर भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि वे दबाव की रणनीति का उपयोग कर सकते हैं।"

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत दास ने उन दावों को खारिज कर दिया कि उनके उम्मीदवारों ने महाजोत से संपर्क किया था। उन्होंने कहा, 'सभी झूठ है' यह कहते हुए कि भाजपा को 'किसी भी उम्मीदवार को खरीदने की आवश्यकता नहीं थी' क्योंकि एनडीए को 2 मई को अपने दम पर सरकार बनाने का पूरा भरोसा है।

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