पीएम मोदी की चिंता पर बट्टा लगा रही जांच टीमें, गांवों में घर-घर जाकर जांच करने की हकीकत सच्चाई से मीलों दूर
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जनज्वार, कानपुर। कल यानी शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण इलाकों में घर-घर जाकर जांच व निगरानी करने के आदेश दिये हैं। पीएम ने कहा कि घर-घर जांच और निगरानी के लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तैनात की जाएं। उन्होने ऑक्सीजन आपूर्ती की व्यवस्था करने सहित यह भी कहा कि राज्य बिना किसी दबाव के संक्रमण के आंकड़े पारदर्शी तरीके से रखें।
पीएम की घोषणा की तस्वीर यूपी के तमाम गांवों में टूटती बिखरती नजर आती है। ऐसे में हकीकत परखने के लिए डब्ल्यूएचओ को गावें का चक्कर लगाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर सरकारी अस्पताल बंद पड़े हैं। गांव के अंदर जाने वाली रैपिड रेस्पांस टीम भी महज 10 से 20 लोगों की जांच कर लौट जा रही है। सिर्फ इतने ही लोगों की जांच कर टीम पूरे गांव की सेहत जान लेती है।
घाटमपुर और भीतरगांव ब्लॉक में आरआरटी ने गांवों में घर-घर जाकर बुखार पीड़ित लोगों की परिजनो सहित कोविड जांच करने का दावा तो किया है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि यह सभी दावे कोरा झूठ हैं। ग्रामीणों की माने तो घाटमपुर के 118 गावों में कुल 1205 लोगों की अब तक एंटीजन किट से जांच हो पाई है। यानी कि हर एक गांव का औसत करें तो प्रत्येक गांव में 11 लोगों की जांच की गई। जिनमें 53 कोरोना संक्रमित मिले।
यही हाल पतारा ब्लॉक का है। इस ब्लॉक के 72 गांवों में कुल 1346 मरीजों की जांच की गई है। औसतन प्रत्येक गांव में 18 से 19 लोगों की जांच हो पाई। जब घर-घर जांच करने का दावा किया तब पतारा में 20 संक्रमित पाए गये। भीतरगांव ब्लॉक के 120 गांवों में 2426 लोगों की जांच की गई है। हर गांव का औसत निकालें तो 20 से 21 लोगों की जांच की गई।
भीतरगांव के पासी का डेरा में रहने वाले 36 वर्षीय अनिल कुमार, 65 वर्षीय राजकुमार और 33 वर्षीय रिंकी देवी बुखार से तप रहे हैं। कुछ दिन पहले इस गांव में बुखार से एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो चुकी है। यह सभी लोग बताते हैं कि गांव में अभी तक कोई मेडिकल टीम नहीं आई। सेमरा गांव के शिवशंकर कहते हैं कि गांव के दर्जनो बुखार पीड़ितों ने निजी अस्पतालों अथवा झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराया है।