Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

The Kashmir Files से खुश नहीं 'कश्मीरी पंडित', बोले समाज में दूरियां बढ़ाएगी एकतरफा फिल्म, दम है तो....

Janjwar Desk
16 March 2022 10:15 AM GMT
The Kashmir Files के खिलाफ खड़े हुए कश्मीरी पंडित, बोले समाज में दूरियां बढ़ाएगी एकतरफा फिल्म, दम है तो....
x

(द कश्मीर फाइल्स पर जम्मू में रह रहे कश्मीरी पंडितों ने जताई नाराजगी)

The Kashmir Files : सुनील पंडिता कहते हैं- '1990 में हमारा पलायन हुआ है। उसका जिम्मेदार भी भारत सरकार है, आप उसको आज कुछ भी बोल दो..मुझे लगता है कि इस तरह की फिल्में बनेंगी तो दूरियां पैदा करेंगे उधर से भी और इधर से भी....

The Kashmir Files : द कश्मीर फाइल्स नाम की फिल्म 11 मार्च को रिलीज होने के बाद से अबतक विवादों में बनी हुई है। फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के पलायन पर आधारित है। इस फिल्म को भाजपा शासित राज्यों (BJP Ruled States) में सरकारों ने टैक्स फ्री किया है वहीं सरकारी कर्मचारियों को आधे दिन की छुट्टी भी दी है। लेकिन इस फिल्म को लेकर कश्मीरी पंडित बहुत खुश नजर नहीं आ रहे हैं।

दरअसल बीबीसी ने जम्मू में रहने वाले कश्मीरी पंडितों से बातचीत की और उनका पक्ष जाना। इस दौरान शादीलाल पंडिता नाम के एक कश्मीरी पंडित ने कहा- जो ये फिल्म (The Kashmir Files) है..मुझे लगता है कि ये 2024 को इलेक्शन स्टंट है। ये दुनियाभर में जाएंगे और कहेंगे देखो कश्मीरी पंडितों के साथ जुल्म हुआ है। पाकिस्तान ने हमें उजाड़ा..पाकिस्तान ने मिलिटेंसी की.. उस वक्त आम मुसलमान उसमें नहीं था। मुसलमानों को भी मारा गया।

एक महिला कश्मीरी पंडित अंजलि रैना कहती हैं, '32 साल से बारूद इकट्ठा हो रहा था, जब तक बारूद ठीक नहीं होगा तो..उसमें तो टाइम लगेगा।' अंजलि कहती हैं, 'तब की जो गवर्नमेंट थी, हमारी बात ही बाहर नहीं आने दी। ऐसा क्या कर दिया था हमने कि हमें यह जिंदगी जीनी पड़ रही है। घर जाने की उम्मीद है लेकिन हमें डर लगता है। वहां के दृश्य देखकर डर लगता है। याद तो आती है अपने घर की.. अपनी जन्मभूमि है।'

सुनील पंडिता कहते हैं- '1990 में हमारा पलायन हुआ है। उसका जिम्मेदार भी भारत सरकार है। आप उसको आज कुछ भी बोल दो..मुझे लगता है कि इस तरह की फिल्में बनेंगी तो दूरियां पैदा करेंगे उधर से भी और इधर से भी। उन्होंने आगे कहा- 1990 से आजतक हमारे नाम केवल फिल्में बनीं हैं और कुछ नहीं हुआ है। यहां तक की आज भी फिल्म बनने से न मेरी घर वापसी हो सकती है। न मेरे देश का समाधान हो सकता है, न मेरे जम्मू-कश्मीर का कोई समाधान हो सकता है। जिस तरह से 1990 से आजतक हमें पॉलिटिकल टिशू पेपर की तरह यूज किया गया है। आज भी वही हो रहा है। जो दूरियां हमने पास-पास लाने की कोशिश की थी इससे और दूरियां बढ़ेंगी।'

प्यारेलाल पंडिता नाम के कश्मीरी पंडित कहते हैं- ये जो फिल्म बनाई गई है। यह एकतरफा हमारे मुद्दे को उजागर करने के लिए किया गया है और कोई फिल्म प्रोड्यूसर निकले.. वो दोतरफा करे। मैं उसको बहादुर मानूंगा जो दोतरफा नरसंहार हुआ है..उसको उजागर करके एक फिल्म बनाए। इसलिए मैं किसी और प्रोड्यूसर-डायरेक्टर से अपील करता हूं जो दोनों साइड के जख्मों को उजागर करे। ताकि दुनिया को पता चल जाए कि एकतरफा बहुसंख्यकों पर जुल्म हुए हैं वहां कहां से आए। वो भी पाकिस्तान स्पोसंर्ड थे।

Next Story

विविध