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जनता को फ्री वैक्सीन देने के दावे के साथ प्राइवेट टीकों की आसमान छूती कीमतें, स्वदेशी कोवैक्सीन सबसे महंगी

Janjwar Desk
9 Jun 2021 6:59 AM GMT
जनता को फ्री वैक्सीन देने के दावे के साथ प्राइवेट टीकों की आसमान छूती कीमतें, स्वदेशी कोवैक्सीन सबसे महंगी
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मोदी सरकार ने देशभर को फ्री वैक्सीन देने के वादे के बीच तय किए वैक्सीन के दाम.

कोविशील्ड 780, स्पुतनिक 1145, तो वहीं कोवैक्सीन का दाम 1410 रुपये प्रति डोज तय किया गया है, सबसे बड़ी बात यह है कि, जो पूर्णरूप से स्वदेशी है, यानी कोवैक्सीन वही सबसे महंगी है...

जनज्वार, नई दिल्ली। अभी 24 घण्टा भी नहीं बीता है जब पीएम मोदी ने दो बड़े हिंदी अखबारों में छपे अपने वादों को ट्वीट किया है। पहला वादा देश को मुफ्त वैक्सीन का और दूसरा वादा था मुफ्त अनाज का। इधर 24 घण्टे से भी कम वक्त में मोदी सरकार ने वैक्सीन का रेट तय कर दिया है। यही तो है देशी वैक्सीन गुरू का मास्टरस्ट्रोक।

प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश को मुफ्त वैक्सीन देने का ट्वीट किया तो भक्तों के साथ-साथ देश के नागरिक भी हलाहल हो गए। कुछ लगवा चुके लोगों के मन में भी भावना जागी की उन्होंने रूपये देकर वैक्सीन लगवाई है तो अगला नंबर उन्हीं का है, जब मोदी जी कंपनी वालों को लाईन में खड़ाकर सबके पैसे वापस दिलाएंगे।

मोदी सरकार ने देश में मिलने वाली तीनों वैक्सीन की कीमत तय कर दी। तय कीमत के मुताबिक कोविशील्ड 780/- रू, स्पुतनिक 1145/- रू, तो वहीं कोवैक्सीन का दाम 1410 रीपये प्रति डोज तय किया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि जो पूर्णरूप से स्वदेशी है, यानी कोवैक्सीन वही सबसे महंगी है।

जबकी कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी का कहना था कि वह पानी की बोतल से भी सस्ती मिलेगी। गजब की आत्मनिर्भरता है, यह। सरकार महज 75 प्रतिशत वैक्सीन ही लगवाएगी। 25 प्रतिशत प्राइवेट वाले। ये प्राइवेट का रेट है। सोशल मीडिया वाले वाले राष्ट्रभक्तों को प्राइवेट में ही लगवाना चाहिए।

बताया जा रहा है कि GST+Service Charge इसी में शामिल है। कुल कीमत यही है। 12 सौ रुपए में कोवैक्सीन कंपनी देगी। 150 सर्विस चार्ज और 60 प्रतिशत GST. Total- 1410 रू.। पूर्णरूप से स्वदेशी वैक्सीन, कोवैक्सीन है जो सबसे महंगी है। बता दें कि दुनिया के किसी भी देश में सबसे महंगी वैक्सीन भारत में है। और हम वैक्सीन गुरु है।

अब इसके बाद मोदी के फ्री वो भी दीवाली तक मुफ्त अनाज का जुगाड़ कराने की बात भी देखने लायक होने वाली लगती है, क्योंकि इससे पहले या बाद में रूपये लेकर अनाज देने की बात सामने आती रही है। तो घटतौली करने जैसी प्राकृतिक आपदा वाले अवसर और उसकी योजनाएं भी तो सरकार का भरण पोषण ही करती है।

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