Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

प्रयागराज के करछना में बवाल नहीं, दलितों के खिलाफ हुई बड़ी साजिश, फैक्ट फाइंडिंग टीम का बड़ा खुलासा

Janjwar Desk
3 July 2025 3:41 PM IST
प्रयागराज के करछना में बवाल नहीं, दलितों के खिलाफ हुई बड़ी साजिश, फैक्ट फाइंडिंग टीम का बड़ा खुलासा
x
करछना थाने के अंदर का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें थाने के अंदर गिरफ्तार दलितों-नौजवानों को कान पकड़वा कर लाइनों में बैठाया गया है। यह न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि यह मानवधिकार का पूरी तरह से उल्लंघन है। यह पुलिस प्रशासन की दलित-विरोधी सामंती मानसिकता का परिचायक है...

लखनऊ। पिछले माह 29 जून को नगीना से दलित सांसद चंद्रशेखर आजाद प्रयागराज के करछना में दलित देवीशंकर हत्याकांड के बाद उसके परिजनों से मिलने जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें इजाजत नहीं दी गई और प्रशासन द्वारा उन्हें प्रयागराज के सर्किट हाउस में ही रोक दिया गया।

घटनाक्रम के मुताबिक पीड़ित दलित परिवार के देवीशंकर को बीते 12 अप्रैल की रात गांव के ही दिलीप सिंह उर्फ छुट्टन उसके घर से गेहूं का बोझ ढोने की बात कहकर साथ ले गया था। बाद में आठ लोगों ने मिलकर देवीशंकर को पीट-पीटकर मार डाला और शराब में कपड़े भिंगोकर लाश जला दी थी। 13 अप्रैल की सुबह उसकी अधजली लाश मिलने के बाद देवीशंकर के घर वाले आक्रोशित हो गए। पोस्टमॉर्टम के लिए पुलिस को 2 घंटे तक लाश भी नहीं उठाने दी। पोस्टमॉर्टम के बाद 13 अप्रैल की रात ही पुलिस ने देवी शंकर का जबरन अंतिम संस्कार करवा दिया।

इस घटना के बाद भाकपा (माले), आइसा और इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) की संयुक्त टीम ने प्रयागराज में करछना तहसील के इसौटा गांव का मंगलवार 1 जुलाई को दौरा किया और रविवार 29 जून को हुई घटना की जांच रिपोर्ट जारी की है।

फैक्ट फाइंडिंग टीम के मुताबिक इस क्रूर हत्याकांड पर पीड़ित परिवार को किसी भी तरह का मुआवजा या सहायता सरकार की तरफ से नहीं उपलब्ध कराई गई। सांसद चंद्रशेखर पीड़ित परिवार के घर नहीं जा सके। जांच दल के अनुसार, सवाल उठता है कि क्या एक सांसद को किसी दलित पीड़ित परिवार से मिलने का भी हक नहीं रह गया है? क्या यही बीजेपी का लोकतंत्र है?

जांच रिपोर्ट के अनुसार, सांसद को प्रयागराज शहर में पुलिस द्वारा रोके जाने पर करछना में कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। लोग सड़क जाम कर नारेबाजी करने लगे। हजारों की संख्या में आसपास के दलित नौजवान और कार्यकर्ता सांसद चंद्रशेखर को इसौटा गांव न आने देने के कारण शांतिपूर्वक प्रतिवाद दर्ज करा रहे थे। इसी दौरान कुछ अराजक और वहां के सामंती जातिवादी तत्वों द्वारा, जिनकी दुकानें उस स्थान पर हैं और बाजार में पूरा दबदबा है, शांतिपूर्वक चल रहे चक्का जाम और प्रतिरोध पर पत्थरबाजी की गई। इस पर पुलिस द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई न करने के कारण वहां मौजूद पुलिस से प्रदर्शनकारियों की नोंकझोंक हुई और कुछ आक्रोशित कार्यकर्ताओं द्वारा पुलिस की गाड़ी को भी नुकसान पहुंचाया गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस नोकझोंक के बाद वहां पुलिस और हमलावर सामंती-जातिवादी तत्वों ने मिलीभगत कर जबरदस्त तोड़फोड़ मचाई। कई गाड़ियों को आग के हवाले भी कर दिया। इस पूरी घटना पर पुलिस द्वारा एकतरफा कार्रवाई करते हुए 55 नामजद और 550 अज्ञात लोगों के ऊपर मुकदमे दर्ज कर दिए गए। अभी तक लगभग 70 नौजवानों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है और गिरफ्तारियां जारी हैं।

घटना के बाद पूरे इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ है। दलित आदिवासी मुहल्ले में पुलिस की कई टुकड़ियां सक्रिय हैं, जो दिन-रात घूम रही हैं और जो भी नौजवान मिल रहा है उसको गिरफ्तार कर जेल भेज दे रही हैं।

यहां तक कि मृतक देवीशंकर के परिवार से भी, तोड़फोड़ की घटना के दूसरे दिन, पुलिस ने कुछ लोगों को उठाकर जेल भेज दिया, जबकि घटना के दौरान पूरा परिवार अपने घर पर ही था। ऐसे बहुत से नौजवानों को उठाकर जेल भेज दिया जा रहा है, जिनकी पहचान वहां के सवर्ण सामंती लोगों द्वारा कराई जा रही है।

करछना में हुआ बवाल में लाठी, डंडे के अलावा बोतल में पेट्रोल भरकर बम की तरह भी प्रयोग करने की बात सामने आई है। जांच दल के अनुसार, यह सब दलित समाज की तरफ से नहीं था, बल्कि इलाके के सवर्ण सामंती तत्वों ने पहले से ही हमले की योजना बना रखी थी, जिसमें पुलिस प्रशासन ने मददगार की भूमिका अदा की।

इस सवाल पर गांव के एक व्यक्ति ने बताया कि हम लोग खाने के लिए मोहताज हैं तो पेट्रोल बम क्या चलाएंगे। दलित समाज के लोगों को पहले से इस तरह की घटना होने का अंदेशा नहीं था। परिस्थितियों में जो भी बदलाव हो रहा था, उसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को थी।

गाड़ियों में आग लगाने की घटना को देखा जाए तो लगभग सभी गाड़ियों में आग शाम होने के बाद लगाई गई, जब पुलिस प्रशासन बल प्रयोग कर प्रदर्शन कर रहे लोगों को भगा रहा था या गिरफ्तार कर ले रहा था। पुलिस की गाड़ियों के अलावा ज्यादातर गाड़ियों की पहचान न हो पाना भी इसी तरफ इशारा कर रहा कि जली हुई गाड़ियां शांतिपूर्वक प्रतिवाद दर्ज करने पहुंचे दलित आदिवासी समाज के नौजवानों की हो सकती है।

जांच दल ने भदेवरा करछना प्रयागराज में हुई घटना के लिए पूरी तरह से योगी सरकार की दलित विरोधी व सवर्ण सामंती शक्तियों का संरक्षण करने वाली नीतियों को जिम्मेदार माना। उक्त घटना में शांतिपूर्वक एकजुट हुए लोगों पर पत्थरबाजी करने और बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ करने और गाड़ियों को जलाने में वहां के सवर्ण सामंती तत्वों का हाथ है, जिनकी मदद पुलिस प्रशासन ने भी की।

जांच दल ने कहा कि करछना थाने के अंदर का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें थाने के अंदर गिरफ्तार दलितों-नौजवानों को कान पकड़वा कर लाइनों में बैठाया गया है। यह न सिर्फ अमानवीय है, बल्कि यह मानवधिकार का पूरी तरह से उल्लंघन है। यह पुलिस प्रशासन की दलित-विरोधी सामंती मानसिकता का परिचायक है।

जांच दल ने मांग की है कि 29 जून की घटना के जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को दंडित किया जाए। घटना सवर्ण सामंती तत्वों के उकसावे के कारण घटी, जिसमें हमले की योजना पहले से ही थी। इन उकसावेबाज तत्वों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। बेगुनाह दलित नौजवानों पर लगाए गए डेढ़ दर्जन फर्जी आपराधिक मुकदमे वापस लिए जाएं और उन्हें जेल से रिहा किया जाए। करछना प्रयागराज के गांवों में पुलिस की छापेमारी बंद हो, क्योंकि पूरे इलाके में दहशत व्याप्त है। मृतक देवीशंकर के परिवार को समुचित मुआवजा, आवास के लिए जमीन और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। उक्त पूरे मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच हो।

जांच दल में भाकपा (माले) राज्य समिति के सदस्य व आरवाईए के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, आइसा के प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष विवेक कुमार और आरवाईए के प्रदेश सह सचिव सोनू यादव शामिल थे।

Next Story

विविध