Top 7 Crime Cases India : भारत के वो 7 मर्डर मिस्ट्री केस जिन्होंने हिलाकर रख दिया था पूरे देश को

Top 7 Crime Cases India : भारत के वो 7 मर्डर मिस्ट्री केस जिन्होंने हिलाकर रख दिया था पूरे देश को
Top Crime Cases In India : नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों को अगर देखें तो बारत में प्रति मिनट कई तरह के अपराध होते हैं। लेकिन इन सबके बीच कोई-कोई मामला मीडिया के लिए ट्रॉयल बनकर देश विदेश की सुर्खियां बन जाता है। NCRB रिपोर्ट के मुताबिक भारत भर में हज़ारों क़त्ल के मामले दर्ज किए जाते हैं, लेकिन मीडिया की दिलचस्पी हर केस में नहीं होती। अलग-अलग वजहों से मीडिया कुछ चुनिंदा मामलों में सक्रियता दिखाता है और ये मुक़दमे सुर्खियों में लंबे समय तक बने रहते हैं जिनमें से एक था, आरुषि हत्याकांड।
आरूषि तलवार हत्याकांड
देश और दुनिया की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री। आरुषि तलवार मर्डर मिस्ट्री। कत्ल और कातिल का ऐसा रहस्य जो अभी तक सुलझ नहीं सका है। आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या क्यों और कैसे हुई। इस पर आजतक पर्दा पड़ा हुआ है। साल 2008 में दिल्ली से सटे नोएडा शहर में हुए इस डबल मर्डर केस में तीन जांच टीमें लगीं। 200 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने मामले में जांच की। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को उनकी बेटी आरुषि के क़त्ल के आरोपों से बरी कर दिया है। ये केस क़त्ल के उन मामलों में गिना जाता है, जिसने लंबे समय तक आम लोगों को झकझोरे रखा।
शीना बोरा मर्डर केस
शीना बोरा नाम की एक लड़की की हत्या अप्रैल, 2012 में होती है। उनकी मौत के तीन साल बाद केस खुलता है और जांच शुरू होती है। शक की सुई शीना की मां इंद्राणी मुखर्जी और सौतेले पिता और मशहूर मीडिया हस्ती पीटर मुखर्जी पर जाती है। पुलिस दोनों को गिरफ़्तार करती है। इस मामले की जांच पहले मुंबई पुलिस कर रही थी फिर बाद में जांच का ज़िम्मा सीबीआई को सौंप दिया गया।
सुनंदा पुष्कर मर्डर
17 जनवरी 2014 को कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर का शव दिल्ली के एक होटल में पाया गया था। मूलतः कश्मीर की रहने वालीं सुनंदा के पिता पीएन दास भारतीय सेना में वरिष्ठ अधिकारी थे। शशि थरूर के साथ उनकी तीसरी शादी हुई थी। एम्स की फारेसिंक रिपोर्ट के मुताबिक सुनंदा पुष्कर की मौत ड्रग्स के ओवरडोज़ के चलते हुई थी। दिल्ली पुलिस का एक विशेष जांच दल सुनंदा के मौत की जांच कर रहा है।
रिजवानुर रहमान की मौत
21 दिसंबर, 2007 को कोलकाता में एक रेलवे ट्रैक पर रिजवानुर रहमान की लाश पाई गई थी। पुलिस ने शुरू में कहा कि रिजवानुर ने खुदकुशी की है लेकिन बाद में शक की सुई रिजवानुर की पत्नी प्रियंका तोड़ी के उद्योगपति पिता अशोक तोड़ी की तरफ उठी। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इस साल अगस्त में कलकत्ता हाई कोर्ट ने अशोक तोड़ी की आरोपों से बरी किए जाने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी थी।
निठारी हत्याकांड
29 दिसंबर 2006 को दिल्ली से सटे नोएडा में पंढेर के घर के पीछे के नाले से पुलिस ने 19 कंकाल बरामद किए थे। बहुचर्चित निठारी कांड मामले में सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने 24 जुलाई, 2017 को मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू नौकर सुरिंदर कोली को फांसी की सज़ा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट ने पंढेर और कोली को 20 साल की पिंकी सरकार की हत्या का दोषी पाया था। पंढेर और कोली पर लड़की को अगवा करने, उसका बलात्कार करने और फिर उसकी जान लेने का आरोप है। पिंकी सरकार की हत्या के मामले से पहले 6 मामलों में दोनों को सज़ा सुनाई जा चुकी है। 9 मामलों में अब भी सुनवाई चल रही है जबकि सबूतों के अभाव में तीन मामलों पर चार्जशीट ही दायर नहीं की जा सकी है।
शिवानी भटनागर मर्डर केस
दिल्ली के अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' में काम करने वाली पत्रकार शिवानी भटनागर की 23 जनवरी 1999 को उनके पूर्वी दिल्ली स्थित अपार्टमेंट में हत्या कर दी गई थी। क़रीब नौ साल बाद अदालत ने 18 मार्च 2008 को फ़ैसला सुनाते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी रविकांत शर्मा समेत अन्य अभियुक्तों को आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के तहत दोषी करार दिया। इस मामले में बीजेपी के कद्दावर नेता रहे प्रमोद महाजन का नाम भी आया लेकिन उन्होंने शिवानी भटनागर से किसी तरह का संबंध होने से इनकार किया था। अक्टूबर, 2011 में दिल्ली हाई कोर्ट ने रविकांत शर्मा और अन्य दो अभियुक्तों को बरी कर दिया लेकिन एक अभियुक्त की आजीवन कारावास की सज़ा बरकरार रखी।
प्रियदर्शिनी मट्टू हत्याकांड
दिल्ली यूनिवर्सिटी की लॉ स्टूडेंट रहीं प्रियदर्शिनी मट्टू का शव 23 जनवरी, 1996 में दिल्ली स्थित उनके चाचा के घर पर पाया गया था। साल 1999 में निचली अदालत ने उनके क़ातिल और कॉलेज के सीनियर संतोष कुमार सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। लेकिन अक्तूबर, 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट ने संतोष कुमार सिंह को मौत की सज़ा सुनाई थी। लगभग चार साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले को उम्रक़ैद में बदल दिया।





