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छत्तीसगढ़ में हाथियों पर आफत, 10 दिन में छह की मौत, वन्य जीव तस्करी की आशंका

Janjwar Desk
19 Jun 2020 2:31 AM GMT
छत्तीसगढ़ में हाथियों पर आफत, 10 दिन में छह की मौत, वन्य जीव तस्करी की आशंका
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छत्तीसगढ के चर्चित गणेश हाथी का शव गुरुवार को मिला।
छत्तीसगढ में हाथियों की मौत की एक के बाद एक खबरें आ रही हैं। एक गर्भवती हथिनी की भी पिछले दिनों मौत हुई है। ऐसे में विस्तृत वन भूभाग वाले इस राज्य में वन्य जीवों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं...

जनज्वार। केरल में गर्भवती हाथिनी की पटाखा भरा अनानास खिलाकर की गयी क्रूर हत्या पर देश-दुनिया ने गम जताया। लेकिन, अब जब छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक लगातार हाथियों की मौत हो रही है तो यह राष्ट्रीय मीडिया के लिए कोई खबर नहीं बन पा रही है। गुरुवार को रायगढ जिले के छाल रेंज के बेहरामार गांव में फिर एक हाथी मरा मिला। उसी हाथी की पहचान वन विभाग के अधिकारियों ने गणेश हाथी के रूप में की। गणेश हाथी छत्तीसगढ़ का एक ऐसा चर्चित हाथी था जिसे काॅलर आइडी लगायी गयी थी ताकि उसे ट्रैक किया जा सके, हालांकि बाद में उसका काॅलर आइडी जंगल में गिरा मिला था।

गणेश हाथी को सरकार की ओर से तमोर पिंगला हाथी पुनर्वास केंद्र में रखने की योजना बनायी गयी थी। पर, वह योजना सफल नहीं हो सकी थी और वह भाग गया था। उसकी पहचान एक उधम मचाने वाली हाथी की थी। उसकी आकृति, गला व पूछ देकर गणेश के रूप में उसकी पहचान की गयी। उसकी मौत की वजह को उसके द्वारा कटहल खाने को बताया गया है।

पिछले महीने एक मृत हाथी का शव सूरजपुर जिले के प्रतापपुर से 10 किमी दूर ग्राम करंजवार में शव मिला था। उस हाथी का सड़ा गला शव मिला था और उसकी मौत या हत्या कई दिनों पहले ही हो चुकी थी। छत्तीसगढ के वरिष्ठ पत्रकार आलोक पुतुल ने इस संबंध में ट्वीट कर जानकारी साझा दी कि रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी के अनुसार, राज्य में छह हाथियों के अलावा 11 मई 2020 को सूरजपुर वन मंडल के प्रतापपुर रेंज के मुख्यालय के पास करंजवार आरएफ 36 में एक हाथी का शव मिला था। उसकी मृत्यु शव मिलने से एक से डेढ माह पूर्व होने का अनुमान लगाया गया।

छत्तीसगढ़ में पिछले दो स्पताह के अंदर एक गर्भवती हथिनी व एक बच्चा हाथी सहित छह हाथियों की मौत हुई है। सूरजपुर के प्रतापपुर में नौ-दस जून को एक गर्भवती हथिनी सहित दो हथिनी की मौत हुई है। बलरामपुर के अतौरी के जंगल में 11 जून को एक हथिनी की मौत हुई थी। वहीं, धमतरी के माडमसिल्ली के जंगल में 15 जून को एक हाथी के बच्चे की मौत हुई थी। रागयढ के धरमजयगढ में 16 से 18 जून के बीच दो हाथियों की मौत हुई। धरमजयगढ में हाथियों की मौत से यह संदेह पैदा होता है कि कहीं उनका शिकार तो नहीं हो रहा है।


पिछले महीने मौत के कई सप्ताह बाद एक हाथी का अवशेष मिला था।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हाथियों की मौत मामले पर बैठक कर चुके हैं और अधिकारियों को इस संबंध में सख्त हिदायत दी गयी है। कुछ जिम्मेवार अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हुई है। बावजूद इसके ऐसे मामले थम नहीं रहे हैं। उधर, विपक्षी भाजपा इस पर सरकार से सवाल पूछ रही है।

जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में पिछले 10 सालों में 130 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें 44 हाथियों की मौत करंट लगने से हुई है, जिसमें सर्वाधिक 22 संख्या धरमजयगढ की है।

छत्तीसगढ़ में वन्य जीवों के जीवन पर लगातार खतरे बढे हैं। गरियाबंद जिले के एसपी भोजराम पटेल की टीम ने तस्करों के पास से तेंदुए की खाल भी बरामद की है। छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक शिकार की घटनाएं भी सामने आ रही हैं, लेकिन वन विभाग की उपस्थिति वैसी प्रभावी नहीं दिख रही है।

हाथियों की कितनी संख्या है जानिए

2017 की गणना के अनुसार, भारत में 27, 312 हाथी जीवित हैं। एशिया में सबसे अधिक हाथी भारत में ही हैं। हाथियों की लगातार घटती संख्या के कारण 1996 में भारतीय हाथियों को विलुप्त प्राय जीव घोषित किया गया। विश्व मंें सबसे अधिक हाथी अफ्रीका में पाए जाते हैं। विश्व में उपलब्ध अधिकतर हाथी वहीं हैं। 2012 की गणना के अनुसार, दुनिया में चार लाख 40 हजार हाथी थे। हाथियों की संख्या किस तरह कम हो रही है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 1979 में 1.3 मिलियन यानी 13 हाथी थे जो 33 साल बाद दो तिहाई कम हो गए।


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