UAPA Case में कर्नाटक की अदालत ने 9 साल बाद बरी किया आदिवासी युवक, पुलिस नहीं साबित कर पायी 'नक्सल कनेक्शन'
(वित्ताला मालेकुडिया और उनके पिता)
UAPA Case। कर्नाटक (Karnataka) के दक्षिण कन्नड़ जिले (South Kannada) की अदालत ने एक आदिवासी (Tribal) युवक को 9 साल बाद बरी किया है। युवक को साल 2012 में नक्सली लिंक के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तब वह पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था। पुलिस उस आदिवासी युवक का कोई भी नक्सल लिंक (Naxal Connection) साबित करने में सफल नहीं हो पायी।
आदिवासी युवक वित्ताला मालेकुडिया (32 वर्षीय) के साथ उसके पिता (60 वर्षीय) को भी नक्सल लिंक के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन कोर्ट ने पाया कि उनके खिलाफ जो सबूत दिए जा रहे हैं वे केवल एक लेक से संबंधित हैं।
वित्ताला (Vittala Malekudia) के हॉस्टल से भगत सिंह (Bhagat Singh) के ऊपर लिखी एक किताब भी बरामद की गई थी जिसे पुलिस सबूत बनाने की कोशिश कर रही थी। इस किताब में कहा गया था कि जब तक गांव में सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होतीं, संसदीय चुनाव का बहिष्कार कर देना चाहिए। इसके अलावा कई अखबारों के टुकड़े और लेख भी वित्ताला के रूम से मिले थे।
अखबार-पुस्तकें पढ़ने पर रोक नहीं
कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि न तो इस तरह की पुस्तकें पढ़ने पर कोई कानूनी रोक है और न ही अखबार पढ़ना प्रतिबंधित है। ऐसे में इन पर आरोप साबित नहीं होते हैं।
वित्ताला और उनके पिता को 3 मार्च 2012 को पिता-पुत्र को इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था कि वे जंगलों में छिपे 5 नक्सलियों की मदद कर रहे हैं। उनपर आपराधिक साजिश, देशद्रोह और यूएपीए (UAPA) के तहत मुकदमा चलाया गया था।
नहीं गिरफ्तार हुए नक्सली
जिन पांच नक्सलियों पर केस दर्ज किया गया था उनमें विक्रम गौड़ा, प्रदीपा, जॉन, प्रभा और सुंदरी शामिल थे। हालांकि इन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका। कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में ही इन पांचों के केस को मालकुडिया से अलग कर दिया गया था।
कोर्ट के फैसले पर वित्ताला ने जताई खुशी
अदालत से बरी होने के बाद वित्ताला ने कहा, 'मुझे बहुत खुशी है। हमने 9 वर्षों तक संघर्ष किया। हमें नक्सली बताया गया था लेकिन चार्जशीट में वे कोई पुख्ता प्रमाण नहीं पेश कर पाए।'
दिल्ली की अदालत ने भी 4 लोगों को किया आरोपमुक्त
इससे पहले इसी तरह शुक्रवार 22 अक्टूबर को दिल्ली की एक अदालत ने भी यूएपीए के तहत गिरफ्तार चार लोगों को आरोपमुक्त किया है। कोर्ट ने आदेस दिया कि अभियोजन पक्ष ऐसा कोई सबूत लाने में विफल रहा जिससे यह संदेह पैदा होता हो कि उक्त धन किसी आतंकी संगठन के लिए इक्ठा किया गया था या उस धन को आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाना था।