UP Assembly Budget Session : बसपा के एकमात्र विधायक के सवाल पर फंसे योगी के मंत्री, फिर दिया ये जवाब
UP Assembly Budget Session : बसपा के एकमात्र विधायक के सवाल पर फंसे योगी के मंत्री, फिर दिया ये जवाब
UP Assembly Budget Session : उत्तर प्रदेश विधानसभा में इन दिनों बजट सत्र (UP Assembly Budget Session) चल रहा है। गुरुवार को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने 6.15 लाख करोड़ का बजट पेश किया था। शुक्रवार को बजट पर चर्चा शुरू की गयी। इस बीच, सवाल-जवाब का सिलसिला भी शुरू हुआ। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सबसे पहले बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह को सवाल पूछने का मौका दिया।
इस दौरान उमाशंकर ने ऐसा सवाल पूछ लिया कि थोड़ी देर के लिए पर्यावरण मंत्री भी उलझ गए। अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बीच में बात संभालने की कोशिश की। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
उमाशंकर सिंह ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से मिले इस सवाल (UP Assembly Budget Session) के लिखित जवाब को भी पढ़ा। बोले, 'मंत्री जी ने इसका जवाब दिया कि हां, पॉलीथिन निर्माण इकाईयों को बैन किया जा चुका है। लेकिन आगे उन्होंने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के प्रावधानों का हवाला देते हुए यह भी बताया है कि इस नियम के अंतर्गत किसी भी नए पॉलीथिन निर्माण इकाई को मंजूरी नहीं दी गई है।
ऐसे में मुझे यह जानना है कि क्या इसके पहले जो इकाईयां चल रहीं थी, क्या वह सारे लाइसेंस निरस्त हो गए? उसकी क्या स्थिति है? क्योंकि हकीकत में तो आज भी धड़ल्ले से पॉलीथिन बिक रही है और पुलिस ठेले, सब्जी वालों को परेशान करती है। क्यों नहीं, छोटे लोगों पर कार्रवाई करने की बजाय इसे बनाने वाली बड़ी कंपनियों पर कार्रवाई की जा रही है?'
बसपा विधायक के सवाल का जवाब देने के लिए उठे वन एवं पर्यावरण मंत्रालय राज्यमंत्री डॉ. अरुण कुमार सक्सेना उलझ गए। पहले तो वह उस जवाब को पढ़ने लगे, जिसे उमाशंकर सिंह ने खुद पढ़कर सुनाया था। इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उन्हें टोका और कहा कि ये तो पढ़ा हुआ है। केवल वो बताइए जो उन्होंने (उमाशंकर सिंह) पूछा है।
इसपर डॉ. अरुण ने कहा कि हां, 2016 से ही कोई नया लाइसेंस नहीं दिया गया है और उससे पहले जिन्हें दिया गया था उसे भी निरस्त कर दिया गया है। डॉ. अरुण ने आगे बताया कि 2018 में इसका कानून आया था। इस कानून में उन बड़ी कंपनियों के लिए भी नियम बनाए गए हैं, जो दूध व अन्य सामग्री की पैकिंग के लिए प्लास्टिक का निर्माण करते हैं। इसके मुताबिक, ऐसी कंपनियां जितना प्लास्टिक तैयार करेंगी, उतना ही उन्हें डिस्पोजल भी करना होगा। ताकि वह निष्प्रयोग किया जाए।' इसपर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें फिर से टोका। कहा कि आप बस इतना जवाब दीजिए कि पहले की फैक्ट्रियां बंद हुईं की नहीं? इस पर मंत्री ने हां में जवाब दिया।
जैसे ही मंत्री डॉ. अरुण सक्सेना ने पॉलिथीन बनाने वाली सभी फैक्ट्रियों के निर्माण पर प्रतिबंध लगने की बात कही, बसपा के विधायक उमाशंकर सिंह फिर खड़े हो गए। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष (UP Assembly Budget Session) को संबोधित करते हुए कहा, 'माननीय मंत्री जी ने कहा कि 2016 से पहले वाली सारी फैक्ट्रियों को बैन किया जा चुका है। इसलिए इसे एडमिट किया जाना चाहिए। लेकिन सवाल ये उठता है कि जब सारी फैक्ट्रियां बैन हो चुकी हैं तो बाजार में ये पॉलिथीन आ कहां से रही है? ये निर्माण कहां से हो रहा है? वो अवैध चल रहा या कहीं से इंपोर्ट हो रहा है? क्या मंत्री जी को ये जानकारी है कि हमारे यहां इस तरह के प्लास्टिक मटेरियल नेपाल से भी आयातित होता है?' उमाशंकर सिंह की बात को मंत्री डॉ. अरुण ने स्वीकर कर लिया। कहा कि हां, जहां तक मेरी जानकारी है, उसके अनुसार नेपाल और अन्य कई राज्यों से ये पॉलीथिन आता है।
इसपर उमाशंकर सिंह ने फिर सवाल खड़े किए। कहा, जब हम प्रतिबंध लगाए हैं, तो उसे कहां से आने दिया जाता है। आप कह रहे हैं कि 2016 से पहले जो लाइसेंस दिए गए थे, उसे पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है। लेकिन आपका ये उत्तर सही नहीं है। मेरी जो जानकारी है, उसके मुताबिक, अभी भी कुछ फैक्ट्रियों को अनुमति दी गई है। वहीं, नेपाल से आने वाले प्लास्टिक मटेरियल पर क्यों नहीं प्रतिबंध लगाया जा रहा है? क्यों केवल छोटे ठेले और सब्जी वालों पर कार्रवाई की जा रही है?
कौन है बसपा के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह?
विधायक उमाशंकर सिंह ने इस बार बलिया के रसड़ा से चुनाव जीता है। उमा शंकर को अपने विधानसभा क्षेत्र (UP Assembly Budget Session) में फ्री वाई-फाई उपलब्ध कराने के लिए भी जाना जाता है। वे छात्र जीवन से ही राजनीति में हैं। बलिया के एएसी कॉलेज से वे पहली बार 1990-91 में छात्रसंघ के महामंत्री निर्वाचित हुए। इसके बाद 2000 में वे जलिा पंचायत अध्यक्ष बने। प्रदेश की राजनीति में आने से पहले उन्होंने ठेकेदारी में हाथ आजमाय जिसमें वे काफी सफल रहे। 2012 में पहली बार विधायक बने। दूसरी बार साल 2017 में भाजपा की लहर में भी उमाशंकर को जीत मिली। एडीआर (एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफार्म) की ओर से उत्तर प्रदेश के करोड़पति विधायकों की सूची में उमाशंकर टॉप-टेन विधायकों में शामिल हैं। 2022 में लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए हैं।