Begin typing your search above and press return to search.
राष्ट्रीय

UP : कानपुर देहात में गरीबों के लिए शुरू हुआ कम्यूनिटी किचन, लेकिन 250 पैकेट खाना बांटने के दावे की हकीकत असल में कुछ और है

Janjwar Desk
21 May 2021 11:52 AM GMT
UP : कानपुर देहात में गरीबों के लिए शुरू हुआ कम्यूनिटी किचन, लेकिन 250 पैकेट खाना बांटने के दावे की हकीकत असल में कुछ और है
x

यह खानाबदोश मजदूरों का परिवार है. जिनके पास प्रशासन के 250 खाने के पैकेट में एक भी दिन कुछ नहीं मिला. photo - janjwar

प्रशासन का दावा है कि ग्रामीण इलाकों में गरीबो को राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रशासन के दावों के उलट जिला मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर अकबरपुर नगर पंचायत क्षेत्र में नेशनल हाईवे के किनारे बसे खानाबदोश लोगों दो वक्त के भोजन तक के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है...

जनज्वार, कानपुर देहात। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद लाखो-लाख लोग अब तक जान गवा चुके हैं। तो दूसरी तरफ लॉकडाउन ने भी जनता की कमर तोड़ दी है। कारोबार और नौकरी करने वाले लोगों को भी कोरोना व लॉकडाउन ने बेहाल कर दिया है। सड़क किनारे गुजर-बसर करने वाले खानाबदोश जो इस वक्त लॉकडाउन में फंसकर दो वक्त के खाने तक को मोहताज़ हो चुके हैं।

ऐसे गरीबों को भुखमरी से बचाने के लिए योगी सरकार ने सूबे के सभी जिलाधिकारियों को कम्युनिटी किचन के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराने के निर्देश सख्ती के साथ दिए हैं। जिसके बाद से जिला प्रशासन ने कम्युनिटी किचन बनाकर गरीबों के नाम पर खाना बनाना शुरू तो कर दिया, लेकिन इसका लाभ गरीबों मिल नहीं पा रहा है।

कानपुर देहात में सीएम योगी के आदेश के बाद पुखरायां नगर पालिका परिषद और अकबरपुर नगर पंचायत में कम्युनिटी किचन का निर्माण करवाकर गरीबों के लिए भोजन बनाने का काम शुरू हो गया, लेकिन इस भोजन का लाभ गरीबो और सड़क किनारे रहने वाले खाना बदोशों को नहीं मिल पा रहा है। वहीं जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि नगरीय निकाय क्षेत्रों में कम्युनिटी किचन के माध्यम से सड़क किनारें रहने वालों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

साथ ही साथ प्रशासन का दावा है कि ग्रामीण इलाकों में गरीबो को राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रशासन के दावों के उलट जिला मुख्यालय से चंद कदमों की दूरी पर अकबरपुर नगर पंचायत क्षेत्र में नेशनल हाईवे के किनारे बसे खानाबदोश लोगों दो वक्त के भोजन तक के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है। इन्हें न तो प्रशासन के कम्युनिटी किचन का लाभ मिल पा रहा है और न ही कोई उनकी सुध ही ले रहा है।


खुले आसमान और तपती धूप में जल रही आग के बीच लोहा पीटने वाली सोनी कहती है कि जब से लॉकडाउन लगा है, तब से एक-एक पैसे को तबाह चल रही है। कभी कहीं से एक अन्न का दाना नहीं मिला। दो-चार दिन तो बरसात होती रही, बच्चे पेट दबा-दबा के रहा गए। सोनी को कम्यूनिटी किचन की बाबत पूछने पर वह बताती हैं ये क्या है। हो सकता है पुलिस ने अपने लिए ही खोला हो। प्रशासन के नाम पर सोनी को पुलिस जैसी चीज ही पता है।

मजदूर मानसिंह कहते हैं भईया क्या करेंगे ये लोग हमें कुछ देकर। हम जिस तरह गुजारा करते हैं वह दूसरा कोई नहीं समझ जान सकता है। कभी कुछ खाया कभी नहीं खाया। कोई पूछने सुध लेने वाला नहीं है। मानसिंह कहते हैं, ना भोजन मिल रहा, ना राशन मिल रहा भूखे मर रहे सो अलग। काम धंधा पहले ही चौपट हो गया है।

जिम्मेदार अधिकारियों के पास जिले में रह रहे मजदूरों और खानाबदोश लोगों का आंकड़ा तक नही है। ऐसे में अपर जिलाधिकारी देहात पंकज वर्मा गरीबों को सरकारी योजना का लाभ पहुंचाने का दावा कर रहे है। दावा यह भी है कि सड़क किनारे रहने वाले मजदूरों को खाना बांटने के साथ प्रतिदिन लगभग 250 लंच पैकेट गरीबों को वितरित किए जा रहे है।

बावजूद इन वादों के गरीब कुछ और ही स्थिति बयां कर रहे है, जो जिला प्रशासन के दावे पर उल्टी पड़ती है। सरकार व सत्ता के गलियारों से गरीबों के लिए योजनाएं निकलती तो हैं, लेकिन जनता तक पहुचते-पहुँचते दम तोड़ देती हैं। जिम्मेदार केवल सरकार के आदेश का पालन पूरी तरह से करने का दावा तो कर रही है, लेकिन धरातल में देखें तो हालात अलग ही दिखते हैं।

इनपुट - मोहित कश्यप, कानपुर देहात

Next Story

विविध