UP पुलिस ने फिर कराई फजीहत, गोरखपुर से अपहृत लड़की दो महीने में ना ढ़ूंढ़ पाई, दिल्ली पुलिस ने 2 दिन खोज निकाला
(दो महीने खाली हाथ रहने के बाद भी यूपी पुलिस दे हफ्ते और मांग रही थी)
जनज्वार/दिल्ली/गोरखपुर। यूपी पुलिस (UP Police) भी समय-समय पर अपनी भद्द पिटवाती रहती है। ना पिटवाए तो शायद रोटी ना हजम होती हो। ताजा मामला गोरखपुर से अपहृत 13 वर्षीय किशोरी को लेकर सामने आया है। यूपी पुलिस बच्ची को दो महीने से खोज रही लेकिन हाथ खाली रहे, वहीं दिल्ली पुलिस ने दो दिन में खोज लिया, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने शुक्रवार 3 अगस्त को अदालत में बताया कि, 8 जुलाई को गोरखपुर (Gorakhpur) से अपहृत नाबालिग लड़की को कोलकाता से ढ़ूंढ़ लिया गया है। साथ ही अपहर्ता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे पहले यूपी पुलिस दो महीने तक लड़की की तलाश में जाने कहां भटकती रही थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, 'यह निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली का प्रतिबिंब है। वह दो महीने में बच्ची को नहीं खोज सकी और अब भी दो हफ्ते का समय मांग रही है। पुलिस पीड़ितों को मुश्किल से निकालने और अपहृत की तलाश करने के लिए ही है। यह जरूरी है कि, हर बार सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट को यह बताना होगा।'
क्या कहा दिल्ली पुलिस के वकील ने?
वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल आरएस सूरी ने बताया, 'यूपी पुलिस ने बृहस्पतिवार को दिल्ली पुलिस को जांच रिपोर्ट दी थी। जिसके बाद एक टीम कोलकाता गई। किशोरी को ढ़ूंढ़ निकालने सहित आरोपी को भी हिरासत में ले लिया गया है।'
यूपी पुलिस के वकील ने ये मांगा जवाब
यूपी पुलिस के वकील ने पीठ से पूछा कि, आगे की जांच राज्य पुलिस करेगी या दिल्ली पुलिस। पीठ ने कहा, 'पहले दिल्ली पुलिस को रिपोर्ट पेश करने दीजिए। फिर विचार करेंगे आगे की जांच कौन करेगा?
अदालत ने इस तरह की यूपी पुलिस की खिंचाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी पुलिस के वकील से कहा, मामले की गंभीरता व शीघ्रता महसूस किए बिना उन्हें लड़की का पता लगाने के लिए दो हफ्ते का और समय नहीं मांगना चाहिए था। इससे पहले अदालत ने बुधवार 1 अगस्त को भी जांच में लापरवाही पर उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई की थी। इस सहित मामले की अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी।