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UP : 1000 टन सोने के झूठे स्वप्न पर लहालोट हुआ था सिस्टम, अंधविश्वासी IAS का बढ़ा कद तो बदहाल 'डौंडियाखेड़ा'
(1000 टन सोने के खजाने का दावा करने वाले संत शोभन सरकार)
जनज्वार, उन्नाव। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में लगभग 8 साल पहले, अक्टूबर 2013 को एक गांव डौंडिया खेड़ा में एक बड़ी घटना हुई थी। घटना थी एक साधू (शोभन सरकार के नाम से विख्यात तिवारी बाबा) द्वारा देखा गया स्वपन। स्वप्न के मुताबिक इस गांव में एक निश्चित जगह पर 1000 टन सोना गड़ा है।
इस खुदाई से कोई खजाना तो नहीं मिला, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात सरकार और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुटकी जरूर ली थी कि सपना आने पर सरकार खुदवाई करा रही है, जिससे दुनिया मे भारत देश का मजाक बन रहा है। सरकार स्विस बैंक में जमा काले धन को क्यों नहीं लाती, जो इससे भी ज्यादा है। तब विहिप प्रमुख अशोक सिंघल जी ने भी इस पर प्रश्न उठाया था कि सिर्फ सपने की बात पर खुदाई क्यों?
कौन है विजय किरण आनंद
साधू के इस स्वप्न के आधार पर ही केंद्र सरकार ने खुदाई शुरू करवा दी थी और इस खुदाई के लिए पहला फावड़ा तत्कालीन उन्नाव के जिलाधिकारी विजय किरण आनन्द ने चलाया था, साथ ही उन्होंने पुरात्व विभाग के अधिकारियों से खजाने का 10 प्रतिशत हिस्सा उन्नाव जिले के कायाकल्प के लिए मांग रखी थी।
एक डीएम का इस तरह अंधविश्वास के जाल में फंसकर तमाम तामझाम के साथ रातों रात खुदाई करवाना और पहला फावड़ा मारकर शुरूआत करना बेहद हास्यास्पद मसला था। विजय किरण आनंद इस वक्त जिलाधिकारी गोरखपुर और प्रदेश के बेसिक शिक्षा की कायाकल्प कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि आनंद की सरपरस्ती में बेसिक शिक्षकों की हालत खराब है। एक आईएएस जो अंधविश्वासी हो भाजपा सरकार में खासकर ऐसे ही लोगों की जरूरत भी है जो इशारों पर जपनाम करते रहें।
इस पूरी घटना पर एक पुरातत्वविद की क्या थी राय
पुरातत्व विभाग के अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर जनज्वार को बताया कि 'जिन रामबख्श सिंह के खजाने के दबे होने का गप्प उड़ाया गया था, उनको कर न चुकाने के कारण अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी। इस खजाने वाली गप्प और forcefull excavation के कारण डौंडियाखेड़ा जैसी अति महत्वपूर्ण पुरातात्विक साइट हमेशा के लिए शापित हो गई। अब कोई रिसर्चर हिम्मत नहीं करेगा यहां शोध करने की, क्योंकि खजाने का भूत उसका पीछा नहीं छोड़ेगा।'
कड़ी दर कड़ी जानिए कैसे हुई डौंडिया खेड़ा में खजाने के खोज की शुरूआत
उत्तरप्रदेश में राजा रामबक्स सिंह के किले में पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई शुक्रवार सुबह शुरू हो गई है। इसके प्रमुख विंदु....
-उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के डौंडिया खेड़ा गांव में साधु के सपने के आधार पर खजाने की खोज में खुदाई का पहले दिन का काम खत्म हो गया है और अब शनिवार को सुबह 10 बजे से फिर खुदाई शुरू होगी। पहले दिन की खुदाई में जमीन के नीचे 6 इंच खुदाई की।
- ASI ने कहा था कि साधु के सपने के आधार पर खुदाई नहीं हो रही है। जांच के दौरान मेटल होने के संकेत मिले हैं इस आधार पर खुदाई हो रही है।
सूत्रों की मानें तो इस खुदाई का वैज्ञानिक आधार भी है
उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले में साधु शोभन सरकार के सपने पर भरोसा करते हुए पुरातत्व विभाग की टीम ने शुक्रवार सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच डौडिया खेड़ा गांव में राजा राव रामबक्शसिंह के खंडहर हो चुके किले में दबे 1000 टन सोने की खोज के लिए खुदाई का काम शुरू कर दिया था।
-जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने पहला फावड़ा मारते हुए खुदाई की औपचारिक शुरुआत की और इसके साथ पुरातत्वविद पीके मिश्र की देखरेख में उनके विभाग की 12 सदस्यीय टीम ने खुदाई का काम शुरु किया था।
-खुदाई का काम दिन में लगभग 11 बजे शुरु होना था, लेकिन औपचारिकताएं पूरी करने के बाद खुदाई लगभग डेढ़ घंटे विलम्ब से शुरू हो पाई थी।
-सोने की भविष्यवाणी करने वाले साधु शोभन सरकार ने खुदाई शुरू होने से पहले आज सुबह खुदाई स्थल का भूमि पूजन किया और खुदाई के स्थान का चिन्हांकन किया था।
कुछ ब्रेकिंग जो उस समय बनी थीं सुर्खियां
उन्नाव के डोडियाखेड़ा में धारा 144 लागू कर दी गई थी। एएसआई की 6-7 टीमें कर रही थीं खुदाई का काम। साधु शोभन सरकार के शिष्य स्वामी ओम ने कहा था कि अगर खजाना नहीं मिला तो वे सिर कटवाने के लिए तैयार हैं। डीएम के मुताबिक 1 महीने तक चलेगी खुदाई। 10X10 के दायरे में हो रही है खुदाई। किले के अंदर जाने पर रोक लगाई। खुदाई अभी प्रारंभिक स्तर पर। वीडियो कवरेज के साथ खुदाई हो रही है। हल्के औजारों से खुदाई हो रही है। पुरातत्व विभाग की 12 सदस्यीय टीम खुदाई कर रही है।
शोभन सरकार ने ऐसे मारी थी पलटी
खुदाई में सोने का खजाना मिलने में लगने वाले समय के बारे में पूछे जाने पर साधु शोभन सरकार ने कहा कि वे इस संबंध में कुछ नहीं कह सकते। यह बात तो पुरातत्वविद ही बता सकते है। इतना जरूर कह सकते हैं कि 1000 टन सोना किसी एक ही जगह पर नहीं मिलने वाला और इसके लिए किले में कई जगहों पर खुदाई करनी पड़ेगी।
मेले में बदल गया था वीरान गांव
किले में 1000 टन सोना दबे होने की भविष्यवाणी के बाद से ही सैकड़ों साल से खंडहर पड़ा रामबक्श सिंह का किला लोगों के आकर्षण केन्द्र बन गया था। यहां जिज्ञासुओं का मेला लगा हुआ था। इसे देखते हुए सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए और खुदाई वाले स्थान तक लोगों को पहुंचने से रोकने के लिए बैरिकेडिंग तक कर दी गई थी। व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा 144 भी लगा दी गई थी। जिलाधिकारी आनंद के साथ पुरातत्व टीम के मुखिया पीके मिश्र एवं अन्य अधिकारियों की बैठक में खुदाई की रूपरेखा एवं जरूरी व्यवस्था को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं थी।
कैसे क्या हुआ
इस सिलसिले की शुरुआत 22 सितंबर को साधु शोभन सरकार के साथ केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चरणदास महंत की मुलाकात के बाद हुई, जब सरकार ने उन्हें किले में 1000 टन सोना दबे होने की बात का यकीन दिलाया। महंत 22 सात अक्टूबर को भी साधु शोभन सरकार के आश्रम गए और उसके बाद उनके सपने के आधार पर खुदाई के लिए भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) और पुरातत्व विभाग की टीमों ने किले का दौरा किया और जरूरी जांच-पड़ताल के बाद खुदाई का कार्यक्रम तय किया।
इस पूरी रस्साकसी में ना खजाना मिला और ना ही खजाने के बाद अफवाह की जिम्मेदारी ही किसी ने ली। बाद इसके आज तक यहां विकास की नदियां बहा देने वाले लोग भी नजर नहीं आए। डौंडियाखेड़ा सहित पूरा उन्नाव अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है।