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Covid-19 Deaths in UP: ऑक्सीजन की किल्लत से नहीं हुई एक भी मौत, योगी सरकार ने किया दावा

Janjwar Desk
17 Dec 2021 5:59 AM GMT
योगी सरकार का दावा: UP में कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से नहीं गई किसी की जान
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योगी सरकार का दावा: कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से नहीं गई किसी की जान

Covid-19 Deaths in UP: योगी सरकार ने विधानसभा में दावा किया कि दूसरी लहर के दौरान राज्य में ऑक्सीजन की कमी से मौते नहीं हुई। इसपर विपक्ष ने सवाल किया कि क्या गंगा में बहती सैंकड़ों लोगों की लाशें और ऑक्सीजन की कमी से तड़पते लोग राज्य सरकार को नजर नहीं आई...

Covid Deaths in UP: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन के लिए लोगों के बीच हाहाकर को कोई कैसे भूल सकता है। अस्पताल में बेड की किल्लत के साथ साथ जिंदगी बचाने के लिए एक एक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए जद्दोजहद का वो दौर पूरे देश के लिए काले अध्याय के समान था। मगर, उत्तर प्रदेश सरकार ये दावा कर रही है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की भी मौत नहीं हुई। योगी सरकार (Yogi Government) की मानें तो कोरोना की दूसर लहर (Second Wave of Covid) के दौरान मरीजों की मौत विभिन्न बिमारियों के कारण हुई।

गुरुवार, 16 दिसंबर को यूपी विधानसभा (UP Assembly) में प्रश्नकाल के समय, कांग्रेस विधायक दीपक सिंह ने योगी सरकार (Yogi Adityanath) के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह (UP Health Minister) से कोरोना के कारण राज्य में हुई मौत की जानकारी देने को कहा। कांग्रेस ने सवाल में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री (Jai Pratap Singh) से पूछा कि क्या चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सदन को बताएंगे कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में ऑक्सीजन की किल्लत से कोविड 19 की दूसरी लहर में कितनी मौतें हुई। जनपद लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर में मरने वाले लोगों की संख्या कितनी थी? क्या सत्ताधारी पक्ष मौत से संबंधित जानकारी सदन की मेज पर रखेंगे।

इसपर, यूपी के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि, "प्रदेश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन (Oxygen Shortage) की कमी से किसी की मौत की सूचना नहीं है।" स्वास्थ्य मंत्री ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई मौतों के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत होने पर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate) डॉक्टर बनाते हैं। यूपी में कोरोना के कारण अब तक 22915 मरीजों की मौत हुई है। मगर इनमें से किसी के प्रमाण पत्र में ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत होने का जिक्र नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इन लोगों की मौत का कारण ऑक्सीजन की कमी नहीं बल्कि विभिन्न बीमारियों के कारण हुई।

मंत्री के इस जवाब पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार के ही कई मंत्रियों ने पत्र लिखकर कहा था कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण मौतें हो रही हैं। सपा सदस्य उदयवीर सिंह ने कहा कि योगी सरकार ने ही ऑक्सीजन से लोगों की मौतें होने की बात कही थी। यूपी सरकार ने खुद आगरा के एक अस्पताल के खिलाफ एक्सन लिया था, क्योंकि वहा ऑक्सीजन की कमी होने के कारण आधे मरीजों को ऑक्सीजन दी गई और ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने से आधे मरीजों की मृत्यु हो गई। विपक्ष के नेताओं ने सवाल किए कि क्या गंगा में बहती सैंकड़ों लोगों की लाशें और ऑक्सीजन की कमी से तड़पते लोग राज्य सरकार को नजर नहीं आई।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई योगी सरकार को फटकार

वही, बुधवार 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने भी योगी सरकार के सुस्त रवैये को लेकर नाराजगी जताई। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से हुई मौतों के मामले में मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार को इस संबंध में हर जिले में स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देना चाहिए। अपनी सफाई देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि कोरोना से मौत के कुल 25,933 आवदेन प्राप्त हुए हैं और इनमें से 20,060 पीड़ितों को भुगतान किया जा चुका है।

सरकार पक्ष के वकील ने कहा कि विज्ञापन दिए गए हैं, जिसमें टॉल फ्री नंबर भी दिए गए हैं। इस पर बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, कौन उठाता है टोल फ्री नंबरों को। हम आपको अभी कॉल करके देखने को कहेंगे। आप अभी कॉल कीजिए। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि पीड़ितों को एक वेब पोर्टल के बारे में बताया जाना चाहिए, जिस पर वे मुआवजा पाने के लिए आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

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