Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ब्राहमणों को साधने में जुटी सभी पार्टियां, लेकिन इस बार सबसे बाद में खुलेंगे इस बिरादरी के पत्ते

Janjwar Desk
10 Jun 2021 7:46 AM GMT
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ब्राहमणों को साधने में जुटी सभी पार्टियां, लेकिन इस बार सबसे बाद में खुलेंगे इस बिरादरी के पत्ते
x

यूपी की राजनीति में 21 साल तक ब्राहमणों ने राज किया है.लेकिन इस बार वह किसके साथ हैं अंदाजा जरा मुश्किल है.

यूपी के 21 मुख्यमंत्रियों में 6 ब्राह्मण रहे और एनडी तिवारी तो तीन बार सीएम रहे। ब्राह्मणों ने 23 साल तक यूपी पर राज किया, जब सीएम नहीं भी रहे तो भी मंत्री पदों पर उनकी संख्या और जातियों की तुलना में सबसे बेहतर रही...

जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सत्ता और विपक्ष दोनो ही ब्राहमणों को साधने में जुट गया है। आम आदमी पार्टी हो, कांग्रेस हो, सपा या फिर कोई अन्य पार्टी ब्राहमण वोटरों को लब्बोलुआब दिया जाने लगा है। लेकिन इस बार यूपी का ब्राहण क्या बाजपा को वोट देगा, कहना जरा कठिन है।

यूपी में जातिगत सियासत हमेशा से गहरी रही है। जिसे मौजूदा सरकार में मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव और बाकी अन्य अहम पदों पर ब्राहमणों की ताजपोशी से समझा जा सकता है। भाजपा ने योगी को सीएम बनाया तो उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को बना दिया। यह नजीर ब्राहमण ठाकुर संतुलन साधने के लिए पेश की गई थी।

मामला इतने से बनता नजर नहीं आया तो 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अनूप चंद्र पाण्डेय को प्रदेश का मुख्य सचिव बना दिया गया। इसके बाद हितेश चंद्र अवस्थी को डीजीपी बनाया गया तो अवनीश अवस्थी को अपर मुख्य सतिव के पद पर बिठाया गया। अनूप चंद्र पाण्डेय रिटायर हुए तो आरके तिवारी को लाया गया।

कुल मिलाकर यह संदेश देने की कोशिश की जाती रही कि, भाजपा सरकार में ब्राहमणों को पूरी तवज्जो दी जा रही है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार आलोक पाठक कहते हैं कि इस बार मोदी जी, अमित शाह जी उल्टा लटक जाएंगे तो भी यूपी का ब्राहमण भाजपा को वोट नहीं देगा।

जातिवाद का ठप्पा अब तक हर एर सरकार और उसकी जाति को लेकर लगता रहा है। इससे पहले की सपा सरकार में यही भाजपा वाले जातिवाद का आरोप लगाते थे। कि सभी यादवों को भर लिया। अब सपा सहित सभी पार्टियां आरोप लगा रही है कि यह सरकार ठाकुरवादी सरकार है।

कल बुधवार 9 जून को जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए। हालांकि जानकार कह रहे हैं कि जतिन के भाजपा में जाने से बहुत जादा फर्क नहीं पड़ेगा, और वैसे भी कांग्रेस की हालत कौन सी ठीक है। पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने बिकरू कांड के बाद ब्राहमण चेतना परिषद बनाई थी। कुछ प्रतिशत ब्राहमण उनसे जुड़ा था। लेकिन अब भाजपा में प्रवेश के बाद छिटकाव भी होगा।

इधर आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने बिकरू की दुल्हन खुशी के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है। संजय सिंह के मीडिया सेल को भनक लग रही है कि बिकरू कांड के बाद ब्राहमणों में सरकार को लेकर क्या छवि बनी है। दूसरी तरफ खुशी दुबे के लिए लगऊग सभी ब्राहमण दल आवाज उठा रहे हैं और इस समय खुशी को सीढ़ी बनाकर ब्राहमणों तक पहुँचने को संजय सिंह जितना आसान समझ रहे हैं उतना दरअसल है नहीं।

यूपी की राजनीति में ब्राह्मण वर्ग का लगभग 10% वोट होने का दावा किया जाता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भले ही मुस्लिम-दलित आबादी 20-20% हो लेकिन रणनीति और समझदारी से वोटिंग के मामले में ब्राह्मणों से बेहतर कोई नहीं है। ब्राह्मणों की इसी खासियत ने उन्हें हर पार्टी नेतृत्व के करीब रखा।

मंडल आंदोलन के बाद यूपी की सियासत पिछड़े, दलित और मुस्लिम केंद्रित हो गई। नतीजतन, यूपी को कोई ब्राह्मण सीएम नहीं मिल सका। ब्राह्मण एक दौर में पारंपरिक रूप से कांग्रेस के साथ था, लेकिन जैसे-जैसे कांग्रेस कमजोर हुई यह वर्ग दूसरे ठिकाने खोजने लगा। मौजूदा समय में वो बीजेपी के साथ खड़ा नजर आता है। कांग्रेस उन्हें दोबारा अपने पाले में लाने की जद्दोजहद कर रही है।

यूपी के 21 मुख्यमंत्रियों में 6 ब्राह्मण रहे और एनडी तिवारी तो तीन बार सीएम रहे। ब्राह्मणों ने 23 साल तक यूपी पर राज किया, जब सीएम नहीं भी रहे तो भी मंत्री पदों पर उनकी संख्या और जातियों की तुलना में सबसे बेहतर रही।

Next Story

विविध