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उत्तर प्रदेश

हाथरस कांड : भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर समेत 400 कार्यकर्ताओं पर दो धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा

Janjwar Desk
5 Oct 2020 7:37 AM GMT
हाथरस कांड : भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर समेत 400 कार्यकर्ताओं पर दो धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
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भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण रविवार को पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस पहुंचे थे। जिसके बाद चंदपा पहुंचे चंद्रशेखर रावण के साथ पुलिस ने 10 लोगों को परिवार वालों से मिलने दिया। लेकिन यूपी पुलिस ने इस मामले में भीम आर्मी चीफ सहित 400 कार्यकर्ताओं के खिलाफ धारा 188 और 144 के तहत केस दर्ज किया है।

जनज्वार। हाथरस में गैंगरेप के बाद पीड़िता की मौत को लेकर राजनीति चरम पर पहुंच चुकी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण रविवार को पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस पहुंचे थे। जिसके बाद चंदपा पहुंचे चंद्रशेखर रावण के साथ पुलिस ने 10 लोगों को परिवार वालों से मिलने दिया। लेकिन यूपी पुलिस ने इस मामले में भीम आर्मी चीफ सहित 400 कार्यकर्ताओं के खिलाफ धारा 188 और 144 के तहत केस दर्ज किया है।

कल रविवार 4 सितंबर को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की। चंद्रशेखर उर्फ रावण ने पीड़ित परिवार को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि पीड़ित परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की निगरानी में मामले की जांच कराए जाने की मांग की। साथ ही भीम आर्मी चीफ ने पुलिस पर परिजनों की पिटाई का आरोप लगाया और कहा कि पीड़िता का परिवार डर के चलते गांव में नहीं रहना चाहता।

चंद्रशेखर ने कहा कि पीड़ित परिवार उनके साथ ही जाना चाहता था। आसपास भी पंचायत हुई है जिसके कारण पीड़ित परिवार असुरक्षित महसूस कर रहा है। भीम आर्मी के प्रमुख ने कहा कि जब कंगना रनौत को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी जा सकती है, तो इस परिवार को क्यों नहीं। चंद्रशेखर ने कहा कि यदि प्रशासन इस परिवार को सुरक्षा मुहैया नहीं करा सकता तो वह भी हमें बताए। पीड़ित परिवार को अपने घर ले जाएंगे और भीम आर्मी के 1000 सदस्य परिवार की सुरक्षा करेंगे।

पीड़िता के रेप पर अलग-अलग रिपोर्ट

हाथरस की पीड़िता ने जख्मी हालत में एक वीडियो में बयान दिया था कि उसका यौन उत्पीड़न किया गया। अलीगढ़ के एक अस्पताल की ओर से 8 दिन बाद पीड़िता के मेडिको-लीगल निरीक्षण में प्राइवेट पार्ट में कम्पलीट पेनिट्रेशन, गला दबाने और मुंह बांधने का जिक्र था। लेकिन इसी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने अपनी फाइनल ओपिनियन में, फॉरेंसिक विश्लेषण का हवाला देते हुए इंटरकोर्स की संभावना को खारिज कर दिया है।

22 सितंबर की एमएलसी रिपोर्ट ने यूपी पुलिस के उन दावों का खंडन किया कि फॉरेंसिक जांच में रेप के कोई सबूत नहीं मिले। उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने जोर देकर कहा था कि पीड़िता के सैम्पल्स पर शुक्राणु नहीं पाए गए। जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट की ओर से तैयारी एमएलसी के मुताबिक पीड़िता ने हमले के वक्त बेसुध हो गई थी।

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