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पाकिस्तान जेल में बंद मिर्जापुर के पुनवासी की एक 11 साल बाद वतन वापसी, पत्नी ने कर ली दूसरी शादी मगर बहन खोजती रही भाई को
खंडहर में तब्दील हो चुका है 11 साल बाद वतन वापसी कर रहे पुनवासी का घर और उसका एक फाइल फोटो
संतोष देव गिरि की रिपोर्ट
जनज्वार, मिर्जापुर। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के लाहौर जेल से तकरीबन 11 साल बाद रिहा हो रहे मिजा्रपर जनपद के थाना देहात कोतवाली क्षेत्र के भरूहना गांव निवासी 35 साल के पुनवासी दलित पुत्र कन्हैया जल्द ही अपने घर लौटेगा। पुलिस विभाग की ओर से पुनवासी को घर लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। पुनवासी के आने की खबर लगते ही परिवार के लोगों में खुशी की लहर दौड़ पडी़ है।
गौरतलब हो कि मीरजापुर जिले के भरूहना गांव निवासी पुनवासी वर्ष 2009 में एक ट्रक चालक के साथ राजस्थान घूमने गया था। इसी दौरान वह किसी तरह पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गया था, जिसे पाकिस्तान के लाहौर प्रांत के नूरलवा थाने की पुलिस ने पकड़कर जेल भेज दिया था।
बिना वीजा के दूसरे देश में प्रवेश करने के आरोप में पाकिस्तान की कोर्ट ने पुनवासी को सात साल की सजा सुनाई थी। पूरी सजा काटने के बावजूद पुनवासी लाहौर जेल में बंद रहा। इसकी जानकारी होने पर भारत सरकार ने पुनवासी के परिजनों की खोजबीन की। पता चलने पर उसे छुड़ाने की कवायद शुरू कर दी है। सरकार की पहल पर पाकिस्तान जेल से उसे रिहा कर दिया गया।
पाकिस्तानी सैनिकों ने 17 नवंबर 2020 की सुबह पुनवासी को भारत-पाकिस्तान के बाघा-अटारी बार्डर पर तैनात बीएसएफ को सौंप दिया। अटारी के तहसीलदार जगसीर सिंह ने उसे देर रात छेरहटा के नारायणगढ़ स्थित कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में क्वारंटाइन कर दिया। उसकी कोविड 19 की जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट निगेटिव आने पर उससे तीन दिन तक पूछताछ की जाएगी।
इसके बाद ही उसे उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा। वहां से मिर्जापुर पुलिस को दिया जाएगा, जो उसे घर तक पहुंचाने का काम करेगी। जानकारी के मुताबिक मीरजापुर के देहात कोतवाली के भरूहना गांव निवासी पुनवासी छह भाइयों में चौथे नंबर पर था। पांच भाइयों में चार मंगरू, गोनू, मतरू व शंकर की मौत हो चुकी है, जबकि पुनवासी की तरह एक भाई मिठाईलाल भी अबूझहाल में गायब हो गया था, जिसका आज तक पता नहीं चल सका है।
पुनवासी भी इसी तरह गायब हो गया था। इसके बारे में दो महीने पहले ही पता चला कि वह पाकिस्तान के लाहौर जेल में बंद है। इसकी जानकारी होने पर उसकी बहन किरन व चचेरे भाई जवाहर दलित को हुई तो वह खुशी से झूम उठे हैं।
फिलहाल पुनवासी का घर खंडहर बन चुका है। उसके घर पर कोई नहीं है। उसकी बहन किरन अपने घर जिले के ही लालगंज तहसील क्षेत्र के बसइटा बहुती बलहरा में रहती है, जबकि उसकी पत्नी पुनवासी का इंतजार करते हुए जब थक गयी तो उसने 7 साल बाद घरवालों के दबाव में दूसरी शादी कर ली।
अब इसे विधि के विधान का लेखा ही कहा जाएगा कि जब पुनवासी अपने घर लौट आएगा तो सभी तो होंगे, लेकिन उसकी अर्धांगिनी उसे छोड़कर किसी और का दामन थाम चुकी हुई मिलेगी, जो शायद पाकिस्तान की जेल से ज्यादा कष्टदायक उसके लिए साबित होगा।
इस संदर्भ में पुलिस अधीक्षक मिर्जापुर अजय कुमार सिंह का कहना है कि जिले के भरूहना गांव निवासी पुनवासी के बारे में सूचना मिली है। उसे घर लाने की कवायद चल रही है, जल्द ही उसे यहां लाकर उसके घरवालों को सौंप दिया जाएगा।
पाकिस्तान की लाहौर जेल से पुनवासी के वतन वापसी की खबर से पुनवासी के परिजनों, नात रिशतेदारों और ग्रामीणों में जहां खुशी की लहर देखी जा रही है तो वहीं लाहौर जेल में पुनवासी को काफी यातनाएं दी गई थीं की खबर से वह आक्रोशित भी हैं। ग्रामीणों ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार चल रहे पुनवासी को यातना देना दरिंदगी का काम है। यह काम केवल पाकिस्तान के लोग ही कर सकते हैं। उन्होंने भारत सरकार से यातना देने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की।
11 साल बाद पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर अपने घर लौट रहे दलित पुनवासी को देखने के लिए ग्रामीण जहां उत्सुक हैं तो वहीं वतन वापसी के बाद अपनी सरजमी पर वापस लौट पुनवासी खुली हवा में सांस तो जरूर लेगा, लेकिन परिजनों बिन खाली हो खंडहर बना उसका घर अब उसे काटने को दौड़ेगा।