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उत्तर प्रदेश

लॉकडाउन लगाने हटाने की हड़बड़ी 2022 चुनाव में ब्राह्मण वोट के छिटकाव की आहट तो नहीं?

Janjwar Desk
13 July 2020 2:18 AM GMT
लॉकडाउन लगाने हटाने की हड़बड़ी 2022 चुनाव में ब्राह्मण वोट के छिटकाव की आहट तो नहीं?
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योगी राज में गोरक्षकों द्वारा पशु व्यापारी की हत्या को रिहाई मंच ने बताया सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

उत्तरप्रदेश में गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के राजनीतिक नफा-नुकसान का आकलन भी सत्ताधारी दल भाजपा के लिए किया जा रहा है...

जनज्वार। यूपी का सबसे बड़ा मोस्ट वांटेड बन चुके गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर हो चुका है। साथ ही साथ उसकी पटकथा भी लिखनी शुरू हो चुकी है। सोशल मीडिया में सवाल जवाब की बाढ़ आई हुई है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या 2022 के चुनाव में विकास दुबे की पटकथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भारी पड़ सकती है। जैसे योगी ने एकाएक यूपी में शुक्रवार रात से सोमवार सुबह तक 55 घंटे के लॉकडाउन की घोषणा कर दी, जबकि यहां कोरोना के केस एकदम से बेकाबू नहीं हो रहे थे।



एक दिन के 1384 नए केसों को जोड़ लें तो रविवार सुबह तक राज्य में कोरोना के 36 हजार 4 सौ 76 मामले सामने आए हैं। विपक्ष और पुलिस एक्सपर्ट की ओर से एनकाउंटर पर अंगुलियां उठ रही हैं तो उसकी सीबीआई जांच क्यों नहीं करवाई जा रही। योगी सरकार ने एसआईटी का गठन किया तो लोग सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं कि क्या योगी सरकार ने खुद को बचाने के लिए एसआईटी गठित की है? जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने भी 'एनकाउंटर और जाति' पर कुछ इशारा किया है। पप्पू यादव ने यहां तक कहा की बलात्कारी कुलदीप सेंगर की गाड़ी कभी क्यों नहीं पलटती।


विकास एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया में कुछ लोगों ने लिखा कि योगी सरकार में ब्राह्मणों को निशाना बनाया जा रहा है। ठाकुर और ब्राह्मण राजनीति पर चर्चा तेज हो गई। जानकारों का सवाल था कि दुबे की हत्या ने उत्तर प्रदेश में ठाकुर समुदाय के खिलाफ ब्राह्मणों के नेतृत्व वाले एक युद्ध को प्रज्वलित किया है। कुछ लोगों ने इस केस को जोड़ते हुए गांधी, गोडसे और तब्लीगी समाज के प्रमुख मौलाना साद का नाम तक ले लिया। कहा, आज गोडसे की जरूरत है। पूर्व एमपी उदित राज ने कहा यदि दुबे ठाकुर होता तो न मारा जाता।

जानकारों का कहना है कि यूपी में दुबे एनकाउंटर कई तरह के राजनीतिक व सामाजिक बदलावों का जरिया बन सकता है। लोगों ने सोशल मीडिया में लिखा कि विकास दुबे की हत्या नहीं हुई है, बल्कि ब्राह्मणों के विश्वास को मार दिया गया है। लोग आपस में मिलकर इस केस की चर्चा न करें, उनमें एक सामाजिक दूरी बनी रहे, इसके लिए कोरोना की आड़ लेकर 55 घंटे का लॉकडाउन कर दिया गया।

जब लोगों में यह चर्चा होने लगी कि ये सब दुबे मामले को शांत करने के लिए हो रहा है तो सरकार के कान खुल गए। आनन-फानन में शनिवार को यह घोषणा कर दी गई कि अब हर सप्ताहांत पर सरकारी और निजी कार्यालय बंद रहेंगे। इसके पीछे कोरोना को ही बड़ी वजह बताया गया है। इतने बड़े केस की सीबीआई जांच को लेकर योगी सरकार ने कुछ नहीं कहा। वजह, अगर यह जांच सीबीआई करती तो हो सकता है कि भविष्य में ये मामला योगी के गले की फांस बन जाए। केंद्र में सत्ता बदलने के बाद सीबीआई के पिटारे से कुछ ऐसा निकल जाए, जो राजनीतिक तौर पर योगी को नुकसान पहुंचा दे।

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद सीधे तौर पर इस विवाद में नहीं पड़े, मगर उन्होंने कई ट्वीट कर दिए। एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए लिखा कि यूपी पुलिस ने दुबे के परिजनों और दूसरे रिश्तेदारों के साथ गलत व्यवहार किया है। उन्होंने अमर दुबे के साथ नौ दिन पहले ब्याही महिला की परेशानी के बाबत पुलिस को घेरा। यूपी में लगातार हो रही ब्राह्मणों की हत्याओं को लेकर फेसबुक लाइव किया गया। ब्राह्मण चेतना परिषद के जरिए समाज के लोगों की हत्या पर आवाज बुलंद करने की बात कही गई।

विकास दुबे केस में प्रभात मिश्रा जैसे लोगों को क्या जानबूझकर मारा गया, इस पर सवाल खड़े किए गए। इस दौरान लोगों ने यूपी में ब्राह्मणों की मौजूदा दयनीय स्थिति को लेकर कई तरह की बातें लिखीं। आगामी चुनाव में योगी को सबक सिखाने की बात कही गई। हालांकि बाद में जितिन प्रसाद ने कहा, ब्राह्मण चेतना समाज, लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए है। इसे दुबे या किसी दूसरे अपराधी के साथ न जोड़ा जाए।

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