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उत्तर प्रदेश

DDU Budget Crisis News: गोरखपुर विश्वविद्यालय में वित्तीय संकट, योगी सरकार से नहीं मिली राहत, वेतन भुगतान के लिए अब तोड़नी होगी FD

Janjwar Desk
12 Oct 2021 1:50 PM GMT
DDU Budget Crisis News: गोरखपुर विश्वविद्यालय में वित्तीय संकट, योगी सरकार से नहीं मिली राहत, वेतन भुगतान के लिए अब तोड़नी होगी FD
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DDU Budget Crisis News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर का दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है। नियुक्तियों को लेकर विवादों में रहा विश्वविद्यालय अब वितीय संकट को लेकर सुर्खियों में है।

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

DDU Budget Crisis News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर का दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है। नियुक्तियों को लेकर विवादों में रहा विश्वविद्यालय अब वितीय संकट को लेकर सुर्खियों में है। बजट के अभाव में आगे शिक्षक व कर्मचारियों के वेतन भुगतान तक का संकट अब आ गया है। ऐसे में पहली बार धरोहर धनराशि के रूप में जमा किए गए एफडीआर को तोड़ने की तैयारी है। जिससे वेतन भुगतान समेत अन्य कार्यों को किया जाएगा।

संकट की यह खबर हर किसी को चैंकाने वाला है। यह भी इसलिए की एक पखवारा पूर्व ही जो विश्वविद्यालय पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय की विचारधारा से प्रभावित होकर छात्रों सहित आम नागरिकों को रियायत दर पर भोजन व नास्ता कराने की बात कर रहा था,वह आखिर कैसे इतना बड़ा वित्तीय संकट से घिर गया। मालूम हो कि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के साथ ही आमजन को भी विश्वविद्यालय रियायती दर पर पांच रुपये में नाश्ता और 10 रुपये में भोजन कराने का निर्णय कुलपति प्रो. राजेश सिंह की अध्यक्षता में कार्य परिषद की बैठक में एक पखवारा पूर्व ही ली गई थी। बैठक में कुलपति ने कहा था कि रियायती दर पर नाश्ता व भोजन के लिए विश्वविद्यालय और अदम्य चेतना फाउंडेशन के बीच पहले ही करार हो चुका है। करार के तहत विश्वविद्यालय में जल संरक्षण, जीरो गार्बेज कम्युनिटी किचन पर काम भी शुरू हो गया है। विश्वविद्यालय में लीगल सेल का पुनर्गठन भी हुआ है।

इस बीच अचानक वित्तीय संकट के चलते वेतन भुगतान भी बाधित होने की बात सामने आ गई है। इस संकट में शासन ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। जो परिस्थितियां बन रही हैं और शासन से जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, उससे साफ है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी वर्षों पुरानी जमा 52.98 करोड़ की एफडीआर अब तोड़नी पड़ सकती है। हाल यह है कि एक के बाद एक योजनाओं की घोषणा कर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले गोरखपुर विश्वविद्यालय के पास अपने शिक्षकों और कर्मचारियों की सेलरी देने तक के पैसे नहीं' हैं।

उधर वित्तीय संकट के कारण कई योजनाएं अधर में लटकी हैं। हर महीने करीब सात सौ शिक्षकों-कर्मचारियों की सेलरी पर करीब सात करोड़ रुपये खर्च' आता है। समय≤ पर शासन द्वारा वेतन और अन्य कार्यों के लिए अनुदान दिया जाता है। करीब 40 करोड़ के सालाना ग्रांट में से कोरोना महामारी के कारण शासन द्वारा 20 प्रतिशत ही देने पर सहमति बनी है। हाल के समय में शासन से ग्रांट नहीं मिलने के कारण जून महीने से ही विश्वविद्यालय में वित्तीय संकट गहराया हुआ है। ग्रांट के सम्बंध में विश्वविद्यालय प्रशासन ने 18 जून को शासन को पत्र लिखकर वेतन मद और गैर वेतन मद में अवशेष धनराशि की स्वीकृति निर्गत करने का अनुरोध किया था।

पहले विश्वविद्यालय में अमूमन महीने की पहली तारीख को शिक्षकों और कर्मचारियों के खाते में सेलरी आ जाती है। सितम्बर महीने में रिकॉर्ड देरी हुई थी और 6 सितम्बर को सभी को सेलरी मिली थी। अक्तूबर में नवरात्र पर्व को देखते हुए 8 अक्तूबर की शाम जैसे-तैसे व्यवस्था कर सेलरी डाली गई। लेकिन अब अगले महीने की सेलरी के लिए डीडीयू प्रशासन के पास पैसे नहीं बचे हैं।

उधर हाल यह है कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को जून से वेतन नहीं मिला है। डीडीयू में आउटसोर्सिंग के जरिए करीब तीन सौ कर्मचारी व सुरक्षाकर्मी रखे गए हैं। उन्हें आखिरी बार मई महीने की ही सेलरी मिली थी। बताते हैं कि जिस एजेंसी के जरिए संविदा कर्मचारियों को आउटसोर्स किया गया था, उस एजेंसी के साथ डीडीयू का करार जून में ही खत्म हो गया है। उसके बाद भी चार महीने से कर्मचारियों से नियमित कार्य लिया जा रहा है।

20 वर्ष पूर्व तत्कालीन कुलपति ने कराया था एफडी

करीब 20 वर्ष पूर्व तत्कालीन कुलपति प्रो. राधे मोहन मिश्र के कार्यकाल में पहली बार विश्वविद्यालय ने अपनी बचत से एफडी कराया था। उनके बाद प्रो. प्रवीण चन्द्र त्रिवेदी के कार्यकाल (2010-2014) में भी उस एफडी का अमाउंट बढ़ा था। 53 करोड़ की एफडी के ब्याज से विश्वविद्यालय की काफी मदद हो जाती है। एडमिशन व परीक्षा फीस ही विश्वविद्यालय की आय के स्रोत हैं। इसके अलावा बाकी धन शासन से अनुदान के रूप में मिलता है।

शासन ने तत्काल मदद से किया इंकार

बजट संकट को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा भेजे गए पत्र के जवाब में शासन ने फिलहाल मदद करने से इंकार कर दिया है। विशेष सचिव अब्दुल समद ने 28 सितम्बर को डीडीयू के उस पत्र का जवाब देते हुए कहा है, उन्हें निर्देश हुआ है कि 'कोविड-19 के कारण प्रदेश में राजस्व प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सरकार के पास सीमित वित्तीय संसाधन हैं। डीडीयू के पास बचत के रूप में करीब 80.19 करोड़ रुपये हैं। उनमें 52.98 करोड़ की एफडीआर भी शामिल है। शासन ने कहा है कि बचत की इस धनराशि से ही वेतन और गैर वेतन मद में व्यय भार का वहन किए जाने पर विचार करें।

कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में वित्तीय संकट तो है।लेकिन जल्द इससे निकलने की कोशिश की जा रही है। एफडी न तोड़नी पड़े, इसके लिए शासन को पुनः पत्र प्रेषित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से भी मिलकर अनुदान की मांग करूंगा। नए कोर्स शुरू करने से विश्वविद्यालय की आय बढ़ेगी। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेलरी एक हफ्ते में जारी हो जाएगी।

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