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DDU News Today: निलंबित प्रोफेसर के समर्थन में उतरे छात्र, गोरखपुर शहर में आज निकालेंगे मार्च
DDU News Today: कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह के दूसरे चरण का एलान तो छात्रों ने प्राक्टर सहित पांच प्रोफेसर के खिलाफ दी थाने में अर्जी
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
DDU News Today: दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रो.राजेश सिंह को हटाने की मांग को लेकर सत्याग्रह पर उतरे प्रोफेसर कमलेश गुप्ता के निलंबन के बाद आंदोलन एक नया मोड़ ले लिया है। 21 दिसंबर की रात में ही बड़ी संख्या में छात्र सड़क पर उतर आए। इन छात्रों ने विश्वविद्यालय गेट पर धरना देते हुए घंटो सभा की। साथ ही एलान किया कि प्रोफेसर के निलंबन की कार्रवाई व कुलपति को हटाने की मांग को लेकर हमारा आंदोलन निरंतर जारी रहेगा। इस क्रम में कुलपति हटाओ विश्वविद्यालय बचाओ के नारे के साथ शहर में अभियान चलाने का छात्रों ने निर्णय लिया है। इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ अन्य शिक्षक भी अब मोर्चा खोल दिए हैं। इसके बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन संवाद का रास्ता चुनने के बजाए चर्चा है कि कुलपति दस दिनों की अमेरिकी यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। जिसके चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर का राजनीतिक तापमान गरमा गया है।
मालूम हो कि कुलपति राजेश सिंह के खिलाफ लंबे समय से विरोध जता रहे हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने 21 दिसंबर से सत्याग्रह करने का एलान किया था। जिसके तहत प्रशासनिक भवन में दीन दयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने धरना पर बैठते ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके निलंबन का आदेश जारी कर दिया। इसकी खबर मिलने पर शिक्षकों के साथ ही छात्रों में रोष दिखा। यह आक्रोश शाम ढलते ही आंदोलन में बदल गया। प्रोफेसर कमलेश गुप्ता के समर्थन में विश्वविद्यालय के छा़त्रावासियों ने मुख्य गेट पर रात में प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में आए इन छात्रों ने घंटो यहां सभा की। जिसमें छात्रसंघ के निवर्तमान व पूर्व पदाधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। छात्रों ने कहा कि बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय में लूट मचाने के बाद यह कुलपति अब हमारे विश्वविद्यालय को लूटने में लगे हैं। इसके खिलाफ आवाज उठाने पर प्रोफेसर कमलेश गुप्ता को निलंबत कर दिया।ऐसे में अब यह लड़ाई कुलपति के हटने तक जारी रहेगा। छात्र नेताओं ने सभी से आहवान किया कि दो बजे से कमलेश गुप्ता के सत्याग्रह में हिस्सा लें तथा इसके बाद शहर में कुलपति हटाओ, विश्वविद्यालय बचाओ नारे के सथ पैदल मार्च निकालें। साथ ही यह आंदोलन निरंतर जारी रहेगा।
उधर हिंदी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश कुमार गुप्त को निलंबित करते हुए उन पर लगे आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है जिसमें दो पूर्व कुलपति और एक कार्यपरिषद सदस्य शामिल है। इसके साथ ही दो और शिक्षकों को भी कार्रवाई के लिए चिन्हित किया गया है। वहीं विश्वविद्यालय के मीडिया एवं जनसंपर्क कार्यालय की ओर से कहा गया कि प्रो. गुप्त को विश्वविद्यालय के पठन पाठन के माहौल को खराब करने, बिना सूचना आवंटित कक्षाओं में न पढाने, समय सारिणी के अनुसार न पढाने व असंसदीय भाषा का प्रयोग करते हुए टिप्पणी करने समेत कई मामलों को लेकर नोटिस जारी किए। इनके खिलाफ लगे आरोपों में विद्यार्थियों को अपने घर बुलाकर घरेलू कार्य कराना तथा उनका उत्पीडन करना, जो विद्यार्थी उनकी बात नहीं सुनते है उसको परीक्षा में फेल करने की धमकी देने, महाविद्यालयों में मौखिकी परीक्षाओं में धन उगाही की शिकायत, विभाग के लडकियों के प्रति उनका व्यवहार मानसिक रूप से ठीक नहीं रहना एवं नई शिक्षा नीति, नये पाठ्यक्रम तथा सीबीसीएस प्रणाली के बारे में दुष्प्रचार करने, सोशल मीडिया पर बिना विश्वविद्यालय के संज्ञान में लाए भ्रामक प्रचार फैलाने, विश्वविद्यालय के अनुशासनहीनता एवं दायित्व निर्वहन के प्रति घोर लापरवाही तथा कर्तव्य विमुखता का मामला शामिल है। निलंबन के समय कहा गया कि कुलसचिव की ओर से समय समय पर आठ नोटिस जारी किए गए हैं। इनका यह आचरण विश्वविद्यालय के परिनियम के अध्याय 16(1) की धारा 16 की उपधारा, 2, 3 तथा 4 तथा उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 के विरुद्ध है।
उधर प्रोफेसर गुप्ता ने कुलपति प्रो. राजेश सिंह पर प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं, गैरलोकतांत्रिक कार्यशैली, अपने में निहित शक्तियों के दुरुपयोग, घोर असंवेदनशीलता, नियमविरोधी मनमर्जी और देख लेने वाले आचार-व्यवहार के कारण विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी, शोधार्थी और अभिभावक तनावभरी जिंदगी जीने के लिए अभिशप्त करने का आरोप लगाया हैं।
सत्याग्रह का शिक्षकों ने भी जताया समर्थन
प्रोफेसर कमलेश गुप्ता के समर्थन में कई शिक्षक भी उतर आए हैं। उनके सथ सत्याग्रह में विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रो. चंद्रभूषण अंकुर,प्रो.उमेश नाथ त्रिपाठी,प्रो. अजेय कुमार गुप्त,प्रो. सुधीर कुमार श्रीवास्तव,प्रो. वीएस वर्मा,प्रो.विजय कुमार,प्रो.अरविंद त्रिपाठी भी शामिल रहे। आंदोलन के दूसरे दिन अन्य शिक्षकों के भी शामिल होने की उम्मीद है। इस बीच निलंबन की कार्रवाई का शिक्षक संगठनों समेत अन्य लोगों ने निंदा की है। विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष व वर्धा विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति डा. चितरंजन मिश्र ने कहा कि कमलेश गुप्ता पर सरासर बेबुनियाद आरोप है और विश्वविद्यालय में सरकार का कंडक्ट रूल 1956 लागू नहीं होता है। यह तुगलकी आदेश अपनी करतूतें छिपाने तथा प्रोफेसर गुप्त को विभागाध्यक्ष बनने से रोकने के लिए किया गया है। विश्वविद्यालय जैसी स्वायत्तशासी संस्थान में,जहां ज्ञान,दर्शन,वैचारिकी और तकनीक के नये विकसित हो रहे आयामों पर लंबी बहसों और शोध की अपरिहार्य परंपरा के साथ विमर्शों पर भी बल दिया जाता है,ऐसा होना तथा लगातार परिनियम 2.20 का होना गंभीर गुनाह है। हम सबको मिलकर इसका प्रतिकार करना चाहिए।
अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक महासंघ उत्तर प्रदेश व उतराखंड के जोनल सेक्रेटरी डा. राजेश चन्द्र मिश्र ने कहा कि कमलेश गुप्ता का निलंबन असंवैधानिक है। यह अधिकार विश्वविद्यालय एक्ट के अनुसार कार्य परिषद को और महाविद्यालय की दशा में प्रबंध समिति को है। गोरखपुर विश्वविद्यालय से जुडे शिक्षक नेता चतुरानन ओझा कहते हैं, जो आरोप कुलपति के गुर्गों पर लगना चाहिए वे सारे आरोप कमलेश गुप्त पर लगा दिए गए हैं। कमलेश गुप्त को लोग जानते हैं, कमलेश पर एक भी आरोप सच नहीं हो सकता। प्रोफेसर कमलेश में यदि वह खूबियां होती जिन्हें उन पर आरोपित किया गया है तो वह भ ी कुलपति की चापलूसी में लगे होते और सत्य, न्याय और शिक्षा की मशाल लेकर संघर्ष नहीं कर रहे होते।
पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अनियमितता का आरोप
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बनने के पूर्व प्रो. राजेश सिंह बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति रहे। इस दौरान आरोप है कि प्रो. राजेश सिंह ने बिना निविदा निकाले ही लाखों रुपये के उत्तरपुस्तिका व ओएमआर शीट की खरीददारी कर ली थी। इस मामले में शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने उत्तरपुस्तिका व ओएमआर शीट की खरीददारी के साथ कई वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। जांच के क्रम में लोकायुक्त बिहार ने अपने न्यायादेश में जिक्र किया है कि पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया में प्रथम दृष्टया जांच से यह प्रतीत होता है कि इस विश्वविद्यालय में व्यापक भ्रष्टाचार है। लोकायुक्त ने राज्य सरकार एवं कुलाधिपति को निर्देशित किया कि पूर्णिया विश्वविद्यालय की ऑडिट कराई जाए और ऑडिट रिपोर्ट को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए। राज्य सरकार ने न्यायालय के आदेश को मानते हुए पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया के लिए ऑडिटर भी नियुक्त कर दिया। ऑडिटर ने ऑडिट का कार्य शुरू किया, तो सहयोग नहीं मिला। नतीजन तीन ऑडिट टीम वापस लौट गयी, लेकिन चैथी बार फिर पूर्णिया विश्वविद्यालय के खाता बही का ऑडिट किया जा रहा है। इधर, एडीजीपी स्पेशल विजिलेंस यूनिट पटना, बिहार को पत्र भेजकर पूर्णिया विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति के संस्थापक और राजद जिला प्रवक्ता आलोक राज ने पूर्णिया विश्वविद्यालय में बरती गयी व्यापक वित्तीय भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की है।
उन्होंने स्पेशल विजिलेंस को भेजे पत्र में उल्लेख किया है कि बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों के तरह पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया में भी व्यापक भ्रष्टाचार एवं घोटाला है। पूर्णिया विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार को लेकर लोकायुक्त, पटना, बिहार का भी आदेश पारित है कि यहां व्यापक भ्रष्टाचार हुई है। पूर्णिया विश्वविद्यालय के सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ सुरेश कुमार मीणा ने पूर्णिया विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया । त्याग-पत्र में सहायक परीक्षा नियंत्रण सुरेश कुमार मीणा द्वारा स्पष्ट लिखा गया है कि मेरे हस्ताक्षर का फर्जीवाड़ा करके धन राशि की निकासी की गई। सहायक परीक्षा नियंत्रण सुरेश कुमार मीणा द्वारा यह भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि उनके द्वारा वित्तीय भ्रष्टाचार के संबंध में त्वरित कार्रवाई हेतु कुलसचिव पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया को आवेदन दिया गया। कुलपति के निजी सचिव तथा वित्त विभाग को भी सौंपा गया था, लेकिन विश्वविद्यालय स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। सहायक परीक्षा नियंत्रण सुरेश कुमार मीणा के त्यागपत्र देने के बाद विश्वविद्यालय अंतर्गत अन्य महाविद्यालयों के दर्जनों शिक्षकों ने भी गंभीर आरोप लगाया है कि मेरे भी नाम का फर्जीवाड़ा हुआ है।
पूर्णिया विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों पर सहायक परीक्षा नियंत्रक सुरेश कुमार मीणा द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि अनुसूचित जनजाति के होने के कारण, उनके आवेदन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, इससे साफ जाहिर होता है कि पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन घोटाले में सम्मिलित पदाधिकारियों का बचाव कर रही हैं एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा इस मामले की लीपा-पोती करने की योजना बना ली गई है।पूर्णिया विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग द्वारा डिग्री पार्ट-क, डिग्री पार्ट-2 एवं अन्य पाठ्यक्रमों के उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के भुगतान मामले में हुए व्यापक तौर पर वित्तीय अनियमितता बरती गयी। डिग्री पार्ट-1 एवं अन्य पाठ्यक्रमों के तत्कालीन मूल्यांकन निदेशक द्वारा मूल्यांकन एवं टेबुलेशन में व्यापक तौर पर अवैध रूप से मिलीभगत करते हुए अनियमितता बरती गई है। डिग्री पार्ट-2 एवं अन्य पाठ्यक्रमों के तत्कालीन मूल्यांकन निदेशक द्वारा मूल्यांकन एवं टेबुलेशन में व्यापक तौर पर अवैध रूप से मिलीभगत करते हुए अनियमितता बरती गई है। आलोक राज ने पूर्णिया विश्वविद्यालय में हुए व्यापक भ्रष्टाचार की जांच स्पेशल विजिलेंस युनिट से अपने स्तर से करने की मांग की है।