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उत्तर प्रदेश

DDU News Today: भंवर में फंसा कुलपति के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन,सीएम दरबार पर टिकी नजर

Janjwar Desk
28 Jan 2022 11:26 AM IST
DDU News Today: भ्रष्टाचार के आरोपी VC राजेश सिंह के प्रकरण में योगी की चुप्पी बरकरार,राज्यपाल के निर्णय का हर किसी को इंतजार
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DDU News Today: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेश सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन भंवर में फंसता सा नजर आ रहा है।

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

DDU News Today: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेश सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन भंवर में फंसता सा नजर आ रहा है। एक शिक्षक का शुरू हुआ सत्याग्रह व बाद में आंदोलन के प्रति शिक्षकों के एकजूटता के बाद आंदोलन को धार मिलने की जगी उम्मीद अब टूटती नजर आ रही है। शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने अब अपने नए रणनीति के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में हाजरी लगाने का निर्णय लिया है। मोर्चा के सदस्य मुख्यमंत्री से मिलकर कुलपति को हटाकर जांच कराने की मांग करेंगे।

शिक्षक संधर्ष मोर्चा का कहना है कि मुख्यमंत्री को पूरे प्रकरण से अवगत कराकर विधिक कार्यवाही की मांग करेंगे। इसी क्रम में शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल जनप्रतिनिधियों से मिलकर उनका समर्थन प्राप्त करेगा। यही नहीं साक्ष्यों के साथ अपना पक्ष रखने के लिए यह शिक्षक बारी-बारी से विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्यों से भी मिलेंगे। यह रणनीतिक निर्णय शिक्षकों ने शिक्षक संघर्ष मोर्चा के संयोजक प्रो. उमेश नाथ त्रिपाठी और प्रो. विनोद सिंह की अगुवाई में हुई बैठक में लिया। बैठक के बाद प्रो. त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि राजभवन सचिवालय द्वारा कुलपति प्रो. राजेश सिंह को संरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुलपति के हटाए जाने तक संघर्ष मोर्चा का संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने बताया मोर्चा के सदस्यों ने शिक्षक संघ का चुनाव अतिशीघ्र कराने का चुनाव अधिकारी प्रो. संजय बैजल से आग्रह किया गया है। चुनाव जल्द संपन्न होंगे। रणनीति के तहत यह शिक्षक पहले मुख्यमंत्री से मिलकर कुलपति के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराएंगे। मुख्यमंत्री को पूरे प्रकरण से अवगत कराकर विधिक कार्यवाही की मांग करेंगे। इसी क्रम में शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल जनप्रतिनिधियों से मिलकर उनका समर्थन प्राप्त करेगा। यही नहीं साक्ष्यों के साथ अपना पक्ष रखने के लिए यह शिक्षक बारी-बारी से विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्यों से भी मिलेंगे।

कुलपति प्रो. राजेश सिंह और शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बीच चल रहे विवाद के बीच पूर्व संविदा शिक्षक डा. सम्पूर्णानंद मल्ल ने 27 जनवरी से अपने बशारतपुर स्थित आवास पर आमरण अनशन शुरू कर दी। उनके अनशन का लक्ष्य प्रो. कमलेश का निलंबन वापस लेना और कुलपति को हटाया जाना है। प्रेस क्लब में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने बताया कि यदि विवि परिसर में उन्हें आमरण अनशन से रोका गया तो वह अपने घर पर मांग पूरी होने तक अपने आंदोलन को जारी रखेंगे।

एक माह से चल रहा आंदोलन को लेकर अनिर्णय की स्थिति

गोरखपुर स्थित डीडीयू यूनिवर्सिटी लंबे समय से कुलपति के कारनामों को लेकर चर्चा में बना हुआ है। मुख्यमंत्री के शहर होने के बाद भी योगी आदित्यनाथ के पूरे विवाद को लेकर चुप्पी से यहां के छात्रों से लेकर शिक्षकों में संशय बना रहा है। कुलपति के खिलाफ लंबे समय से आंदोलित पीएचडी के छात्रों से लेकर एक प्रोफेसर के सत्याग्रह पर उतर जाने के बाद आखिरकार कुलाधिपति के दरबार में पहली बार हलचल दिखी थी। 21 दिसंबर को पहले दिन सत्याग्रह पर बैठने के दौरान समर्थन में शिक्षक प्रो.चंद्रभूषण अंकुर,प्रो. उमेश नाथ विारी,प्रो. अजय कुमार गुप्त,प्रो.सुधीर कुमार श्रीवास्तव,प्रो. वीएस वर्मा,. विजय कुमार,प्रो. अरविंद त्रिपाठी उतर आए। देर शाम छात्र भी उनके प्रति समर्थन जताते हुए रात में विश्वविद्यालय गेट पर धरना दिए। जिसमें छात्रसंघ के निवर्तमान प्रतिनिधि के अलावा बड़ी संख्या में छात्रों ने भी हिस्सा लिया। दूसरे दिन के सत्याग्रह में बड़ी संख्या में छात्रों के अलावा शिक्षक भी उतर आए।

लिहाजा आंदोलित छात्र व शिक्षकों के नब्ज टटोलने के लिए राज्यपाल के ओएसडी यहां खुद पहुंचे। दो दिनों के प्रवास के दौरान आंदोलनकारियों के साथ उनकी चली मैराथन बैठक में विवादों के निस्तारण को लेकर ओएसडी कीे दिलचस्पी दिखी। ऐसे में इनके राज्यपाल के दरबार में लौट जाने के बाद से अब आगे के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी रही।

उधर हिन्दी विभाग के आचार्य प्रो. कमलेश कुमार गुप्त लगातार सोशल मीडिया पर कुलपति प्रो. राजेश सिंह के खिलाफ मुखर रहे। नियमों की अनदेखी कर शिक्षक व कर्मचारियांे का शोषण करने के साथ ही मौजूदा पाठयक्रम से लेकर परीक्षा प्रणाली पर सवाल उठाया। जिसकी शिकायत कुलाधिपति से लेकर अन्य जवाबदेह अफसरों से भी की। इसके बाद भी कोई नतीजा न निकलने पर आखिरकार कुलपति के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का एलान करते हुए उनके हटने तक सत्याग्रह पर जाने का एलान किया। इसके बाद भी आवाज को अनसुनी कर दिए जाने पर प्रो. कमलेश गुप्ता ने वसंत पंचमी के दिन शरीर त्याग देने की घोषणा कर दी। इस निर्णय पर घबराये कुछ शिक्षकों व छात्रों ने प्रोफेसर के निर्णय वापस लेने की मांग की। जिस पर कमलेश ने निर्णय वापस लेने का वादा किया।

खास बात यह है कि स्थानीय स्तर पर ही शिकायतों का निस्तारण न होने की स्थिति में कुलाधिपति का दरवाजा शिक्षकों ने खटखटाया। जिसके बाद कुलाधिपति के ओएसडी ने विश्वविद्यालय का दौरा कर शिक्षकों व कर्मचारियों से वार्ता कर उनका पक्ष जाना। इसके एक पखवारे बाद भी कोई कार्रवाई न करने पर शिक्षक संघर्ष मोर्चा का गठन कर आंदोलन चलाने का निर्णय लिया गया। लेकिन एक सप्ताह पूर्व लिए गए निर्णय पर कोई अमल होते नहीं दिखा। जिसका नतीजा रहा कि आंदोलन एक भंवर में फंसता दिख रहा है।

अब ताजा फैसले के तहत शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मिलकर अपनी बात रखने का निर्णय लिया हैं। इसके अलावा संधर्ष समिति कार्यपरिषद के सदस्यों से भी वार्ता करने का निर्णय ली है। ऐसे में कहा जा रहा है कि कल तक शिक्षक निर्णायक संघर्ष की बात कर रहे थे ,पर वे सड़क पर आंदोलन चलाने के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैैं। ऐसे में आंदोलन के परिणाम को लेकर अनिश्चितता बनी रहने की उम्मीद है।

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