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Deoband : इस्लामोफोबिया पर मुस्लिम विद्वानों ने केंद्र पर साधा निशाना, नवाज देवबंदी बोले - 'मंदिर-मस्जिद पर लड़ने की जरूरत नहीं'

Janjwar Desk
28 May 2022 8:00 AM GMT
Deoband : इस्लामोफोबिया पर मुस्लिम विद्वानों ने केंद्र पर साधा निशाना, नवाज देवबंदी बोले -  मंदिर-मस्जिद पर लड़ने की जरूरत नहीं
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Deoband : इस्लामोफोबिया पर मुस्लिम विद्वानों ने केंद्र पर साधा निशाना, नवाज देवबंदी बोले - मंदिर-मस्जिद पर लड़ने की जरूरत नहीं

Deoband : देवबंद : जमीयत के जलसे के पहले दिन मुस्लिम विद्वानों ने सभी से इस्लामोफोबिया के खिलाफ लामबंद होने की अपील की तो मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मोदी सरकार पर निशना साधा।

Deoband : उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के देवबंद ( Deoband ) में 28 मई से जमीयत उलेमा ए हिंद ( Jamiat Ulema e Hind ) की पहल पर दो दिनों का जलसा शनिवार सुबह से जारी है। इस जलसे में अलग-अलग मुस्लिम संगठनों के 5000 विद्वान व धर्मगुरु शामिल हुए हैं। जमीयत के जलसे के पहले दिन मुस्लिम विद्वानों ने सभी से इस्लामोफोबिया ( Islamofobia ) के खिलाफ लामबंद होने की अपील की। वहीं मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मोदी सरकार ( Modi Government ) पर निशना साधा। जलसे के पहले दिन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सकारात्मक संदेश देने के लिए धर्म संसद ( Dharm Sansad ) की तर्ज पर 1000 जगह सद्भावना संसद ( Sadbhavna Sansad ) के आयोजन का ऐलान किया।

देवबंद ( Depbandi ) में जमीयत उलेमा ए हिंद ( Jamiat e ulema e hind ) के जलसे के पहले दिन मशहूर शायर नवाज देवबंदी ( Nawaz Deobandi ) ने कहा कि मंदिर-मस्जिद ( Mandir masjid ) के नाम पर लड़ने की जरूरत नहीं है। इस मुद्दे पर पहले ही बहुत कुछ हो चुका है। हमें धार्मिक मसलों को समझदारी से सुलझाने पर जोर देना चाहिए।

हमें अपने ही देश में अजनबी बना दिया : मदनी

जमीयत के जलसे की अध्यक्षता कर रहे मौलाना महमूद मदनी ( Maulana Mahmood Madani ) ने कहा कि मौलाना महमूत मदनी ने कहा कि जुल्म सहेंगे पर देश पर आंच नहीं आने देंगे। हमें हमारे देश में अजनबी बना दिया गया है। सभी मो मिलकर बांटने वाला माहौल खत्म करना होगा। हालात मुश्किल है लेकिन मायूस होने की जरूरत नहीं है।

Islamofobia : भय-नफरत को दिल-दिमाग पर हावी करने की मुहिम

देवबंद में सुबह से जारी जमीयत के जलसे में इस्लामोफोबिया ( Islamofobia ) को लेकर भी प्रस्ताव भी पेश किया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत में इस्लामोफोबिया और मुस्लिम विरोधी उकसावे की घटनाएं बराबर बढ़ रही हैं। इस्लामोफोबिया केवल धर्म के नाम पर शत्रुता ही नहीं, बल्कि इस्लाम के खिलाफ भय और नफरत को दिल और दिमाग पर हावी करने की मुहिम है। ये मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ एक सोची समझी साजिश है। इस्लामोफोबिया ( Islamofobia ) के वीज से आज देश को धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक अतिवाद का सामना करना पड़ रहा है।

हालात खराब, उनको तो बस अपनी सत्ता प्यारी

वहीं जमीयत उलेमा ए हिंद ( Jamiat Ulema e Hind ) की ओर से आरोप लगाया गया कि देश पहले कभी इतना खराब माहौल नहीं था जितना अब है। आज देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में आ गई है जो देश की सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर नाम लिए बगैर हमला बोलते हुए जमीयत ने कहा है कि उनके लिए हमारी साझी विरासत और सामाजिक मूल्यों का कोई महत्व नहीं है। उनको बस अपनी सत्ता ही प्यारी है।

लॉ कमिशन की रिपोर्ट तत्काल लागू हो

जमीयत के जलसे में धर्मगुरुओं ने कहा कि 2017 में प्रकाशित लॉ कमीशन की 267वीं रिपोर्ट में हिंसा के लिए उकसाने वालों के लिए कानून बनाने की सिफारिश की गई थी। कानून में सजा दिलाने का प्रावधान हो और सभी कमजोर वर्गों खासकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के प्रयासों पर रोक लगाने की बात भी शामिल है। धर्मगुरुओं ने लॉ कमीशन की सिफारिश पर तत्काल लागू करने पर जोर दिया।


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