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उत्तर प्रदेश

Shiksha Adhikar Manch Deoria : नई शिक्षा नीति आम जनता के लिए पढ़ाई से बेदखली का घोषणा पत्र - शिक्षा अधिकार मंच

Janjwar Desk
3 Aug 2022 4:25 PM IST
Shiksha Adhikar Manch Deoria : नई शिक्षा नीति आम जनता के लिए पढ़ाई से बेदखली का घोषणा पत्र  -  शिक्षा अधिकार मंच
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Shiksha Adhikar Manch Deoria, Deoria News : यह शिक्षा नीति आम छात्रों के लिए शिक्षा से बेदखली का घोषणा पत्र है। मंच अखिल भारत विश्वविद्यालय और कॉलेज शिक्षक संघ द्वारा जंतर मंतर दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह रद्द करने के लिए चल रहे प्रदर्शन का समर्थन करता है...

Shiksha Adhikar Manch Deoria, Deoria News: अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच के प्रतिनिधि डॉ चतुरानन ओझा के नेतृत्व में एडवोकेट रामकिशोर वर्मा, पूर्वांचल छात्र संघर्ष समिति गोरखपुर के मंडल अध्यक्ष अरविंद गिरी ,भारतीय किसान यूनियन के नेता चंद्रदेव सिंह, किसान नेता शिवाजी राय, पंचायत प्रतिनिधि महासंघ के अध्यक्ष बृजेंद्र मणि त्रिपाठी, कामरेड रामविलास मणि, दिव्यांग एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20-20 को पूरी तरह खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंपा।

ज्ञापन के माध्यम से लोगों ने बताया कि यह शिक्षा नीति आम जनता के लिए शिक्षा से बेदखली का घोषणा पत्र है। मंच अखिल भारत विश्वविद्यालय और कॉलेज शिक्षक संघ द्वारा जंतर मंतर दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह रद्द करने के लिए चल रहे प्रदर्शन का समर्थन करता है और संविधान सम्मत समतामूलक एवं पूरी तरह मुक्त सरकारी शिक्षा नीति लागू करने की मांग करता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति को औपचारिक और नियमित शिक्षा से बच्चों के एक बड़े हिस्से को बाहर करने के लिए डिजाइन किया गया है, यानी कि कारपोरेट हित में स्कूलों कालेजों की मान्यता के लिए जरूरी सुविधाओं सेवा शर्तों को खारिज करते हुए सिर्फ परिणाम आधारित हालचाल लेने की बात करती है। यह शिक्षा नीति ना सिर्फ हाशिए की पृष्ठभूमि के छात्रों को शिक्षा से दूर करेगी बल्कि बाल मजदूरी को भी बढ़ाएगी। इसके लिए प्राथमिक शिक्षा में दूरस्थ और अनौपचारिक शिक्षा का प्रावधान किया गया है। इसमें शुरुआती वर्षों से ही मजदूर विरोधी वोकेशनल शिक्षा थोपी जा रही है।

यह नई शिक्षा नीति पूरी तरह से शिक्षक और अन्य कर्मचारी विरोधी है, ना तो यह पैरा और अनुबंध शिक्षकों के विनियमितीकरण के मुद्दे को संबोधित करती है ना ही ठेके पर रखे गए कर्मचारियों के लिए प्रमोशन, पेंशन, मातृत्व अवकाश और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने के बारे में कुछ भी कहती है। गैर शिक्षण कर्मचारियों को भी अधिक असुरक्षित और शोषणकारी हालात में छोड़ दिया गया है क्योंकि उनके बारे में भी कोई शब्द नहीं कहा गया है जिससे साफ है कि ऐसे सभी पोस्टों को अस्थाई रखकर आगे भी लूटने वाले ठेकेदारों को आउट सोर्स किया जाता रहेगा।

इससे वंचित वर्गों के विद्यार्थियों की रोजगार की संभावनाएं घटेगी सामाजिक न्याय कमजोर होगा और शासकों की मनमानी बेहिसाब और अन्याय पूर्ण शक्तियां बढ़ेगी। इन काम चलाऊ और अन्याय पूर्ण प्रणाली का इलाज सभी शैक्षिक संस्थाओं में समयबद्ध तरीके से सभी पदों में नियमित कर्मचारियों की भर्ती ही हो सकती है।

आज शिक्षा के क्षेत्र में चल रहे छल और धोखाधड़ी का एकमात्र समाधान गैर बराबरी और लूटपाट की निजी स्कूलों और कॉलेजों, विश्वविद्यालयों की प्रणाली को समाप्त करके पूरी तरह से राज्य द्वारा वित्त पोषित सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली स्थापित करना है। स्कूलों के बीच सभी असमानता को दूर करते हुए सभी स्कूलों के संसाधनों और पाठ्यक्रमों को एक ही स्तर पर लाने की जरूरत है। हम गैर बराबरी को खत्म करते हुए तथा विविधताओं को शामिल करते हुए पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित पड़ोस आधारित समान स्कूल व्यवस्था की मांग करते हैं। ज्ञापन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20-20 के तत्काल वापसी की मांग की गई है।

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