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Exclusive : पीएम-सीएम किसान व वृद्धावस्था पेंशन योजना में कौन लगा रहा सेंध, आखिर कहां पहुंच रही रकम

Janjwar Desk
30 Jan 2021 2:42 PM GMT
Exclusive :  पीएम-सीएम किसान व वृद्धावस्था पेंशन योजना में कौन लगा रहा सेंध, आखिर कहां पहुंच रही रकम
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गरीबों, किसानों के कल्याण के लिए सरकार कई योजनाएं चलाती हैं, लेकिन धरातल पर उसमें कई तरह की अनियमितता होती है। पढिए कल्याणकारी योजनाओं के जमीनी हालात की पड़ताल करती यह रिपोर्ट...

यूपी के ग्रामीण इलाकों से लौटक मनीष दुबे की ग्राउंड रिपोर्ट

जनज्वार, कानपुर। गरीब किसान की सरकार होने का तमगा रखने वाली केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार में किसानों तक क्या पहुंच रहा क्या नहीं इसकी तस्वीर समय दर समय जनज्वार आपको दिखता रहता है। कल देश का 72वां गणतंत्र दिवस था। दिल्ली में धरने पर बैठे किसान और उनकी ट्रैक्टर रैली में क्या हुआ, अब तक जिसने नहीं देखा उसने भी देख लिया होगा।

योगीराज के ग्रामीण और शहरी इलाकों में किसानों के क्या हालात हैं इसका जायजा लेने जनज्वार कुछ गांवों में गया। हमें कई ऐसे गांव और किसान मिले, जिनको खोखले सरकारी दावों के सिवा कुछ नहीं मिला है। सरकार ने लाखों किसानों के खातों में 2-2 हजार रुपये भेजे, लेकिन हमारी कुछ गांवों के किसानों से बात हुई तो स्थितियां अलग ही दिखीं।

कानपुर नगर से कोई 25 किलोमीटर दूर चलने पर मिला गांव बंगाली पुरवा की किसान पत्नी रूपरानी के घर में 7 बिसुआ जमीन है। पति फसल की देखभाल करने गया हुआ था। मौके पर रूपरानी हमसे हुई बातचीत में कहती है कि उसे और उसके परिवार को आज तक एक रुपया नहीं मिला। बगल में ही बैठा एक किसान रामचंद्र को भी आज तक किसानी के नाम पर एक फूटी कौड़ी नहीं मिली है, जबकि इन लोगों ने कागज देकर अप्लाई भी किया। यहां कुछ लोगों से बात करने के बाद हम आगे बढ़े।

आगे लगभग ढाई किलोमीटर चलने पर खेत के किनारे हमें दो किसान मिले। दोनों खेत में बैठकर अपनी फसलें ताक रहे थे। यहां बैठे 55 वर्षीय बुजुर्ग किसान हरिलाल के नाम सात बीघा जमीन है। हरिलाल हमसे बात करते हुए कहते हैं कि करीब बीते साल उनके खाते में 2 हजार रुपये आये थे। लेकिन उसके बाद अब एक साल बीत गया कुछ नहीं आया। हरिलाल के बगल में बैठे दूसरे किसान अजय ने बताया कि उनके पिता जिंदगीभर से खेती कर रहे लेकिन कभी एक रुपया नहीं मिला।

थोड़ा आगे बढ़ने पर हम गांव जरगांव पहुंचे। यहां हमें कई एक बुजुर्ग औरतें और पुरुष मिले। बात करने पर बताया गया कि सरकार की एक भी योजना का उन्हें आज दिन तक कोई लाभ नहीं मिला है। कभी किसी योजना का कुछ आता जाता है तो गांव के प्रधान की नीयत से कुछ मिल मिला नहीं पाता।

72 वर्षीय बुजुर्ग रामस्नेही कहते हैं कि उनने कई दफा कागज भी जमा किये, लेकिन उन्हें मिला मिलाया कुछ नहीं। इसके अलावा न ही आज तक वर्द्धवस्था वाली पेंशन ही प्राप्त हुई है।

रामस्नेही का का नाती रामू घर के बाहर लकड़ी काट रहा था। हमारे पूछने पर कहता है सरकार तो सिर्फ टीवी पर 'मन की बात' कर देती है। कभी यहां आकर हमारी मुश्किलें देखने वाला कोई नहीं है। नेता वोट लेकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। बाद में कोई दिखाई नहीं देता। प्रधान अपनी चलाता है, राशन तक पूरा नहीं मिलता। सरकार बुजुर्गों को पेंशन देने की बात करती है, शौचालय और घर का पैसा तक देने की बात कहती है पर हम लोगों को आज तक कहीं कुछ मिला हो तो बताएं।

पत्रकारों को पहुंचा देखकर किसी योजना के लाभ के लालच में गांव की कई महिलाएं भी एकत्रित हो गईं। श्रीमती कहती हैं गनीमत है जो उनकी पेंशन आती है, 5 सौ रुपया महीना इसके अलावा कुछ नहीं मिलता।

रामजानकी कहती हैं उसके पास खेती नहीं है और पेंशन भी नहीं मिलती, 56 साल उमर हो गई। इसी गांव में रहने वाली अति बुजुर्ग जिनको अपनी उम्र भी ठीक ठीक याद नहीं है वो हमसे कहती हैं 'लाला कइयों दफा विधवा पेंशन के लाने हम बैंकन के चक्कर लगा चुकीन हैं। 5 साल पहिले आती थी, अब बन्द हो गई। तमाम बार कागज जमा करे पर कुछ नहीं आया। किरन देवी का कहना है उनको कई बार प्रधान ने कहा मिल जाएगा पर एक रुपये की कसम है।

इसी गांव में बाबूराम पाल भारतीय जनता पार्टी के शुभचिंतक हैं। बताते हैं, 'गांव में राशन कार्डों में भी धांधली हो रही है। अपात्रों को दे दिए गए और जो पात्र हैं उनको राशन कार्ड ही नहीं दिए गए। राशन भी काटकर दिया जाता है। यहां जो ठीकठाक खेती और पैसे वाले हैं उनको गरीबी रेखा के नीचे का राशन कार्ड दिया गया है और जो वाकई गरीब हैं उन्हें दूसरे वर्ग का राशन कार्ड आवंटित है। राशन बांटने के टाइम तौल भी कम कर दी जाती है।' बाबूराम कहता है सरकार तो बहुत योजनाएं चला रही पर पहुंच पाए तब ना।

आगे के गांव भीसी पहुंचने पर यहां भी यही हालात मिले। यहां की मधु को लॉकडाउन लगते ही राशन मिलना बंद हो गया और अब तक नहीं मिलता। ना ही किसान सम्मान निधि की योजना का लाभ मिलता है। किसान गोपाल अपनी इंतखाब उठा लाता है। हमे दिखाते हुए कहता है ये मेरी इंतखाब है 6 महीने पहले 2 हजार रुपये मिले थे पर अब 6 महीना बीत चुका है एक रुपया खाते में नहीं आया। इनका मानना है कि प्रधानमंत्री टीवी पर जिन किसानों से बात करते हैं वो दरअसल किसान नहीं होते। बल्कि किसान तो वो हैं जो सुबह से शाम तक अपने खेतों में मेहनत करते हैं।

गांव के प्रधान राजेन्द्र सिंह घर के बाहर ही धूप ले रहे थे। बताते हैं, वह सन 1995 के बाद से लगातार प्रधान बनते आ रहे हैं। चकाचक घर और बाहर दो कारें खड़ी थीं। प्रधान जी मानते तो हैं कि गांव में तमाम लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, लेकिन उसका तोड़ नहीं मिल रहा। राजेन्द्र आगे कहते हैं कि कम्प्यूटर में गड़बड़ी हो जाती है तो कभी कोई नम्बर मिस्टेक हो जाता है इस वजह से लोग रह जाते हैं। राशन कार्ड सबके एक समान बने हैं और जो बड़े खेतिहर किसान उनके बने भी नहीं। और राशन कम दिए जाने की बात गलत है।

यह हालत तब है जब बीती 25 दिसंबर को पीएम किसान सम्मान निधि की सातवीं किस्त जारी कर दी गई है। प्रधानमंत्री ने 9 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में 18000 करोड़ रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर किए थे। इस योजना के तहत सरकार किसानों के बैंक खातों में हर साल 6 हजार रुपये जमा करती है। यह राशि तीन बराबर किस्तों में किसानों के खाते में डाली जाती है। यानी साल में हर चौथे महीने 2 हजार की रकम। पीएम मोदी ने इस स्कीम के तहत 18,000 करोड़ रुपये की एकमुश्त रकम जारी की थी। केंद्र सरकार के मुताबिक अब तक इस स्कीम के तहत 10.60 करोड़ किसानों को 95 हजार करोड़ रुपये की रकम जारी की जा चुकी है।

प्रधानमंत्री किसान योजना पहली किस्त फरवरी 2019 में जारी की गई थी। जिसके बाद दूसरी किस्त 2 अप्रैल 2019 को जारी की गई। किसान योजना की तीसरी किस्त अगस्त में जारी हुई चौथी किस्त जनवरी 2020 में जारी की गई। योजना की पांचवीं किस्त 1 अप्रैल, 2020 में जारी की गई। छठी किस्त का 1 अगस्त से पैसा आना शुरू हुआ। इसके बाद सातवीं किस्त 25 दिसंबर को जारी हो चुकी है।

इसी प्रकार वर्द्धवस्था पेंशन भी दी जानी बताई जा रही है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली, हरियाणा और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों में वृद्धावस्था पेंशन के रूप में सीनियर सिटीजन को 1000 रुपये महीने से अधिक की रकम मिलती है, वहीं हिमाचल में 550, राजस्थान में 500, महाराष्ट्र में 600, बिहार में 400 और यूपी में 300 रुपये महीने पेंशन के रूप में दिए जाते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश में 3.5 करोड़ लोगों को वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। केंद्र सरकार की पेंशन योजना में इस समय 3.19 करोड़ और राज्य सरकार की योजना में 28.74 लाख वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 60 से 79 साल तक की उम्र के सीनियर सिटीजन को हर महीने 300 रुपये से 1000 रुपये की दर से पेंशन का लाभ दिया जाता है। इस रकम में 200 रुपये भारत सरकार और बाकी रकम राज्य सरकार द्वारा अंशदान के रूप में दिया जाता है। 80 साल या इससे अधिक उम्र के वृद्धों को प्रतिमाह 500 रुपये की दर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन के रूप में राशि प्रदान की जाती है। जिसका हाल खेतिहर मजदूरों और उसका हक रखने वालों से ऐसा सुनने को मिलता है।

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